तिरहुत में JDU की हार के बाद एनडीए में बढ़ता बवाल, BJP विधायक ने नीतीश के करीबियों के खिलाफ खोला मोर्चा!
4PM न्यूज़ नेटवर्क: बिहार में तिरहुत विधान परिषद उपचुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। पिछले कई सालों से जिस सीट पर JDU का कब्जा रहा उस सीट पर जेडीयू की शर्मनाक हार हुई है। जेडीयू के उम्मीदवार अभिषेक झा चौथे नंबर पर रहे हैं। जाहिर है इतनी बुरी हार की उम्मीद जेडीयू को नहीं रही होगी। इस उपचुनाव में जेडीयू की हालत RJD और प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज से भी खस्ता रही है। एक तरफ निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर वृजवासी ने इस उपचुनाव में जीत हासिल की तो दूसरी तरफ दूसरे नंबर पर जनसुराज उम्मीदवार विनायक गौतम दूसरे और आरजेडी उम्मीदवार गोपी किशन तीसरे नंबर पर रहे। पहले इस बात के आसार जताये जा रहे थे कि हार जीत का असर बिहार की राजनीति पर होगा और यह असर दिखना शुरू भी हो गया है।
जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के खिलाफ खोला मोर्चा: NDA
अब एनडीए के नेता हीं अभिषेक झा और जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। साहेबगंज सीट से बीजेपी विधायक राजू सिंह ने तो जेडीयू की हार का कारण अभिषेक झा के घमंड और अति आम्मविश्वास को बताया दिया है। यही नहीं बीजेपी विधायक ने सधे अंदाज मे हीं सहीं लेकिन उन्होंने जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर पर भी निशाना साधा है। भाजपा विधायक का आरोप है कि इस उपचुनाव में एनडीए के नेताओं को विधायाकों को पूछा तक नहीं गया। एक इंटरव्यू के दौरान बीजेपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि बंशीधर वृजवासी को मैं बधाई देना चाहता हूं।
तिरहुत में तो लग हीं नहीं रहा था कि NDA चुनाव लड़ रहा है। मैं तो एनडीए में चाहे वो जेडीयू के लोग हों बीजेपी के लोग हों या एनडीए के अन्य दल के लोग हों मैंने किसी को चुनाव में सक्रिय देखा हीं नहीं। पता नहीं इसका क्या कारण था। मैं तो खुद उपेक्षित महसूस कर रहा था। किसी ने कभी कोई पूछा नहीं जिसको जहां मन हुआ वहां वोट दिया। लड़ने वाले की जीत हुई है। हम वंशीधर वृजवासी जी से आग्रह करेंगे कि वे एनडीए में आएं।
देवेश चंद्र ठाकुर के बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा लेकिन उन्होंने जो बयान दिया ऐसे बयानों का असर देखने को मिलता हीं है। देवेश बाबू सबक लेंगे। शिक्षकों ने जात पात से उठकर वंशीधर वृजवासी को वोट दिया है। तिरहुत में माहौल बन हीं नहीं पाया। अभिषेक झा खुद को एनडीए का उम्मीदवार साबित नहीं कर पाया। मुझे अहसास हुआ कि अभिषेक झा में तो अति आत्मविश्वास था या घमंड था लेकिन लगा हीं नहीं कि एनडीए चुनाव लड़ रहा है। तिरहुत का कोई स्थानीय उम्मीदवार नहीं था इसलिए एनडीए की हार हुई है।