अजित पवार की बढ़ी टेंशन, महाराष्ट्र में होगा बड़ा खेल?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अजित पवार के लिए राह आसान नहीं है... वहीं अगर विधानसभा चुनाव में अजित पवार को करारी शिकस्त मिलती है तो बीजेपी अजित पवार से किनारा कर लेगी... देखिए खास रिपोर्ट...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः विधानसभा चुनाव को लेकर महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल जारी है… लोकसभा चुनाव में अजित पवार की पार्टी का प्रदर्शन हमेशा सुर्खियों में रहा है… जिसको लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाईं जा रही थी… और सियासी गलियारों में यहां तक चर्चा थी की अजित पवार को महायुति अपने खेमें से बाहर कर देगा… जिसको देखते हुए अजित पवार हमेशा तनाव में दिखाई दे रहे हैं… वहीं अजित पवार की एक मुसीबक खत्म नहीं हुई है… दूसरी मुसीबत सिर पर खड़ी है… राजनीतिक गलियारों में जोरों पर चर्चा चल रही है… कि अजित पवार खेमें के कई विधायक शरद पवार के संपर्क में हैं… और वे सभी जल्द ही घर वापसी कर सकते हैं… जिसको लेकर ऐसा माना जा रहा है कि अगर अजित पवार खेमें में से बड़ी टूट होती दिखाई दे रही है… बता दें कि वहीं अगर ऐसा हुआ तो अजित पवार को बड़ा झटका लगेगा और उनके सभी मनसूबे पर पानी फिर जाएगा… उसके बाद शायद महायुति भी किनारा कर ले क्योंकि विधानसभा चुनाव में अजित पवार गुट ने पैंतालीस से पचास सीटों की मांग की है… वहीं लोकसभा में मिली चार सीटों में से महज एक सीट पर जीत दर्ज करने वाली अजित पवार की पार्टी पहले से ही रडार पर है…. जिसको देखते हुए बीजेपी अजित पवार को विधानसभा चुनाव में इतनी अधिक सीटें देने के मूड में नहीं हैं….
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अजित पवार के लिए राह आसान नहीं है… वहीं अगर विधानसभा चुनाव में अजित पवार को करारी शिकस्त मिलती है तो बीजेपी अजित पवार से किनारा कर लेगी… आपको बता दें कि एनसीपी अजित पवार गुट के विधायक अपने भविष्य को अंधकार में देखते हुए दूसरे दलों की तरफ अपना रूख कर रहें है… जो अजित पवार के लिए काफी दुखद है… और आने वाले समय में इसका बुरा असर देखने को मिलेगा… वहीं राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता रोहित पवार ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ राकांपा के अट्ठारह से उन्नीस विधायक राज्य विधानसभा के आगामी मानसून सत्र के बाद उनके पाले में आ जाएंगे…. और उन्होंने कहा कि राकांपा के कई विधायक हैं…. जिन्होंने जुलाई दो हजार तेइस में पार्टी में हुए विभाजन के बाद कभी भी पार्टी के संस्थापक शरद पवार… और अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ गलत बात नहीं की… वहीं राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार के पोते ने कहा कि लेकिन उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेना है… और अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विकास निधि प्राप्त करनी है… इसलिए, वे सत्र समाप्त होने तक प्रतीक्षा करेंगे….. और राकांपा के अट्ठारह से उन्नीस विधायक हमारे और शरद पवार के संपर्क में हैं…. वे मानसून सत्र के बाद उनके पक्ष में आ जाएंगे… आपको बता दें कि अविभाजित राकांपा ने दो हजार उन्नीस के चुनावों में चौव्वन विधानसभा सीटें जीती थीं… और जुलाई दो हजार तेइस में जब पार्टी विभाजित हुई…. तो अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट ने लगभग चासीस विधायकों के समर्थन का दावा किया था… आपको बता दें कि साल दो हजार तेइस के जुलाई महीने में जब एनसीपी के एक गुट को लेकर अजीत पवार अलग हो गए थे…. तो उन्हें चालीस विधायकों का समर्थन प्राप्त था…. बता दें कि विधानमंडल का मानसून सत्र सत्ताइस जून से शुरू होगा… और बारह जुलाई को समाप्त होगा… वहीं राज्य में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह आखिरी सत्र होगा….
जिसको देखते हुए महाराष्ट्र की राजनीति में फिर एक बार भूकंप आने की आशंका जताई जा रही है…. क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अजित पवार की एनसीपी के कुछ लोगों के संपर्क में होने का दावा शरद पवार गुट ने किया था…. उस पर आज शरद पवार ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है… और उन्होने कहा कि जिन नेताओं से पार्टी की मदद होगी…. पार्टी में काम करने वाले कार्यकर्तातों का हौसला बढ़ेगा,…ऐसे लोगों की वापसी का स्वागत करने मे कोई समस्या नहीं है…. लेकिन जिन-जिन लोगों ने पार्टी में रहने के बाद…. पार्टी से लाभ लेने के बाद पार्टी का नुकसान करने का कदम उठाया… उन लोगों के बारे मे पार्टी में के नेताओं की राय ली जाएगी….वहीं शरद पवार की इस प्रतिक्रिया के बाद महाराष्ट्र में अजित पवार गुट में खलबली मची हुई है…. अजित पवार गुट के प्रवक्ता और विधायक अमोल मिटकरी ने इस बारे मे खुलासा करते हुए कहा की शरद पवार साहब का यह स्टेटमेंट खाली लोगों में… और हमारे कार्यकर्ताओं मे भ्रम फैलाने के लिए किया गया है…. इसमे कोई तथ्य नहीं है…. हमारे विधायक मजबूती से हमारे साथ खडे़ हैं…. किसी के कहीं जाने की कोई संभावना नहीं है…. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजों मे शरद पवार को बड़ी कामयाबी मिली…. और 10 सीटों पर चुनाव लड़कर एनसीपी (शरद पवार) ने आठ सीटें जीती…. वहीं, दूसरी ओर अजित पवार ने चार सीटों पर लोकसभा चुनाव में लड़ाई लड़ी थी…. लेकिन सुनील तटकरे की रायगढ़ सीट छोड़कर कोई सफलता नहीं मिली…. हालांकि, अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार भी बारामती चुनाव क्षेत्र से अपनी ननंद सुप्रिया सुले से चुनाव हार गईं…. लेकिन अजित पवार ने उन्हें राजनीति में फिर से स्थापित करने के लिए राज्यसभा भेज दिया है….
वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें तो जनता ने इस बार राष्ट्रवादी कांग्रेस और बीजेपी की साझेदारी को पसंद नहीं किया…. दोनो पार्टियां एक दूसरे को वोट ट्रान्सफर नहीं कर पाईं…. अजित पवार की पार्टी को कुल तीन से तीन दशमल पांच फीसदी वोट ही मिल सके…. इसका जिक्र बीजेपी के अंदरूनी मीटिंग मे भी हुआ है… वहीं अपने-अपने विधानसभा चुनाव क्षेत्र में जो विधायक राष्ट्रवादी या फिर बीजेपी को लीड नही दे पाए…. वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं… और उन्हें लगता है कि अगर हम विधानसभा चुनावों में भी अजित पवार के साथ रहे… और बीजेपी के साथ चुनाव लडे़ तो हमें जनता स्वीकार नहीं करेगी…. दूसरी तरफ पार्टियां तोड़ने का आरोप, गद्दार जैसे नैरेटिव से हो रहा नुकसान भी रोक पाना उन्हें मुश्किल लग रहा है…. जीएसटी की मार, किसान के उत्पाद को भाव ना मिल पाना… और मराठा-ओबीसी के बीच चल रहा विवाद को देखते हुए मौजूदा सरकार मुश्किल में है…. इसलिए अजित पवार के साथ जो अभी चालीस विधायक हैं…. उनमें से कुछ विधायक जो मराठवाडा और पश्चिम महाराष्ट्र से आते हैं…. वह अलग फैसला ले सकते हैं…. ऐसा दावा शरद पवार के पार्टी के नेता और विधायक रोहित पवार ने किया है….
आपको बता दें कि एनसीपी में टूट के बाद कई बडे़ नेताओं ने शरद पवार पर निजी हमला बोल दिया था…. उनकी राजनीतिक नीतीयां, तत्व और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा पर बडे़ सवाल खडे़ किए थे…. इसमें खुद उनके भतीजे अजित पवार, पार्टी के वर्किंग प्रेसिडेंट प्रफुल्ल पटेल, पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष सुनील तटकरे, सीनियर नेता छगन भुजबल और… अजित पवार के करीबी और बीजेपी से अच्छे ताल्लुख रखने वाले धनंजय मुंडे का भी नाम है…. वहीं इन नेताओं पर शरद पवार की खासी नाराजगी होने की चर्चा है…. इसके अलावा जिन लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली थी…. उन पर भी शरद पवार के पार्टी के नेताओं ने दो टूक हमला बोला था… अब उन्हें साथ लेना अपने ही हाथ अपने ही मुंह मे डालने जैसा है…. ऐसा कुछ विधायक मानते है…. तीसरी बात, जिन पर बीजेपी ने ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे… और फिर उन्हें साथ लिया…. जिस पर शरद पवार की एनसीपी ने हमला बोला… और उन्हें वापस लेना भी मुश्किल है…. क्योंकि पार्टी को फिर से उन पर लगे आरोपों का जिम्मा लेना पड़ सकता है….
वहीं विधानसभा चुनाव दो-ढाई महीने की दूरी पर है…. अभी विधानसभा का सत्र बाकी है… और बजट भी आना है…. इन दो महीनों में अपने चुनाव क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विकास का बजट मंजूर करवाना विधायकों की प्राथमिकता है…. अजित पवार खुद महाराष्ट्र के अर्थ मंत्री है…. और उनका फोकस इस बार विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्सन करना है… जिसको देखते हुए अजित पवार अपने विधायकों के क्षेंत्र के लिए अधिक से अधिक धन उपलब्ध कराएंगे… जिससे उनके विधायक विधानसभा चुनाव से पहले जनता को साधने के लिए विकास कर सकें जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में एनसीपी को अधिक सीटें मिल सकें… लेकिन ऐसा तभी संभव होगा जब बीजेपी उनके मनमुताबिक सीटों को देना स्वीकार करेगी… बता दें कि लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए एकनाथ शिंदे भी अजित पवार के खिलाफ और बीजेपी के इंटरनल सर्वे में भी इस बात का जिक्र किया गया है… वहीं लोकसभा चुनाव में करारी हार पाने के बाद से बीजेपी खुद फूंक-फूंक कर आगे की रणनीति बनाने की तैयारी कर रही है… जिसका कारण बीजेपी की ध्रुवीकरण की राजनीति है… जिसके चलते बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बहुमत तो दूर दो सौ बहत्तर सीटें पाने में लोहे का चना चबाना पड़ा है… जिसके बाद बैसाखी के सहारे सरकार तो बना ली है… लेकिन सरकार कितने दिनों तक चलती है इसका भी कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है… जिसके चलते बीजेपी अजित पवार को अधिक सीटें देने के मूड में नहीं है…
फिलहाल, विधायकों को अजित पवार की जरुरत है… लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे और सीटों के बंटवारे की बातचीत शुरु हो जाएगी…. वैसे-वैसे लोगों को अपने साथ जोड़कर रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है…. फिलहाल अजित पवार के साथ राष्ट्रवादी के चालीस विधायक है… और तीन सांसद हैं…. तो शरद पवार के साथ तेरह विधायक और आठ सांसद हैं…. वहीं इन सभी अटकलों पर बहुत जल्द विराम लग जाएगा… और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसका डंका बजता है… यह आने वाला वक्त तय करेगा…