जनता परिवर्तन के मूड में: अखिलेश
- सपा प्रमुख नेे कहा- चुनाव परिणामों से मजबूत होगा इंडिया गठबंधन
- उत्तर प्रदेश में किसानों की हालत बदतर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने तीन राज्यों में इंडिया गठबंधन को मिले कम सीटों के बाद भी कहा है कि सहयोगियों को घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि विधान सीाा चुनावों ने ये संकेत दिया है कि जनता इस बार परिवर्तन के मूड में तभी तो उसने राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना में सत्ता पर काबिज पार्टी की सरकार को हटा दिया है। सपा मुखिया ने कहा कि इसका अर्थ ये है कि दिल्ली में भी जनता परिवर्तन करने का मन बना रही है। उन्होंने कहा कि अब केवल इंडिया गठबंधन को रणनीति बदल कर चुनाव में जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हाल के चुनावों के जो परिणाम आए हैं, उससे इंडिया गठबंधन और मजबूत होगा। ये परिणाम भाजपा के चिंता का विषय होना चाहिए। जनता का मूड परिवर्तन का है। कल जब केन्द्र सरकार के लिए चुनाव होगा तो जनता परिवर्तन क्यों नहीं चाहेगी? अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने लघु एवं मध्यम उद्योगों के हित में कुछ नहीं किया है। उद्योगपतियों का 15 लाख करोड़ का बैंक कर्ज माफ कर दिया लेकिन किसानों का कर्ज नहीं माफ किया। सपा की सरकार बनेगी तो किसानों का सारा बैंक कर्ज माफ किया जाएगा। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा को बताना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में क्या किसानों के धान की कीमत दोगुनी हुई? क्या अब कोई बेरोजगार नहीं बचा। सबको रोजगार मिल गया? उन्होंने आरोप लगाया कि विद्वेषपूर्ण नीतियों के कारण अन्याय हो रहा है।
मजबूत प्रत्याशी होने पर ही सहयोगी दलों को सीटें देगी सपा
इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे की कवायद शुरू होनी है, पर मौजूदा परिस्थितियों में यह गुत्थी आसानी से सुलझते हुए नहीं दिख रही है। सपा ने फैसला किया है कि घटक दलों के पास मजबूत प्रत्याशी होने पर ही वह कोई भी सीट छोड़ेगी। सीटों के बंटवारे के लिए तृणमूल, सपा और डीएमके सरीखी क्षेत्रीय पार्टियां भी एकसमान फॉर्मूला अपनाने पर सहमत हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 6 दिसंबर को इंडिया के प्रमुख 15 घटक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डीएमके नेता एमके स्टालिन, जदयू नेता नीतीश कुमार और झामुमो के नेता हेमंत सोरेन ने बैठक में भाग लेने से मना कर दिया। इसके बाद बुधवार को होने वाली बैठक को टाल दिया गया है। लेकिन लोकसभा व राज्यसभा में विपक्ष के दलीय नेताओं को दिल्ली में खरगे के आवास पर डिनर के लिए आमंत्रित किया गया है।
खटास दूर करने के होंगे प्रयास
इंडिया गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक, डिनर के जरिये मप्र चुनाव के चलते पैदा हुई खटास को दूर करने की कोशिशें होंगी। अगली बैठक के लिए संभावित तारीखों पर विचार भी किया जाएगा। पांच राज्यों के चुनाव के दौरान ही राजद और जदयू समेत इंडिया के कई घटक दल न सिर्फ एक बड़ी रैली का आयोजन करना चाहते थे, बल्कि सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर वार्ता करने की भी उनकी योजना थी। लेकिन कांग्रेस ने पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद इस पर विचार करने की बात कहते हुए मामले को टाल दिया था। इंडिया के सूत्रों का कहना है कि अब क्षेत्रीय शक्तियां भी सीटों के लिहाज से कांग्रेस की बहुत ज्यादा बात मानने के लिए तैयार नहीं हैं। सपा पहले ही कांग्रेस से कह चुकी है कि यूपी में वो जो सीटें चाहती है, उन पर किस नेता को लड़ाएगी, पहले यह बताए। सपा के रणनीतिकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कोई भी प्रत्याशी तभी लड़ाई में आता है, जब उसके पास कम से कम डेढ़ से दो लाख बुनियादी वोटों का इंतजाम हो। तब गठबंधन के कारण जुडऩे वाला वोट उसे जीत की ओर ले जाता है। इसलिए पहले कांग्रेस को यह बताना होगा कि डेढ़ से दो लाख बुनियादी वोट हासिल कर सकने वाले कौन से नेता उसके पास हैं। सीट बंटवारे की बात उसके बाद ही शुरू होगी। सपा सूत्रों का कहना है कि इंडिया की समन्वय बैठक में मांगे जाने के बावजूद कांग्रेस ने उन नेताओं की सूची नहीं सौंपी है, जिन्हें वह यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती है।