अखिलेश ने देवरिया में पीड़ित  परिवारों के पोछे आंसू

दुबे व यादव परिवार से मिले पूर्व सीएम घटना स्थल का किया मुआयना, गांव के चप्पे-चप्पे पर रही पुलिस तैनात

सपा प्रमुख ने कहा – दोनों के साथ नहीं होने देंगे अन्याय

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
देवरिया। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सीएम अखिलेश यादव सोमवार को देवरिया पहुंचे। पूर्व सीएम ने दोनों पीडि़त परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने इन परिवारों के बच्चों के दुख:दर्द को सुना और उनके आंसू पोछे। सपा प्रमुख ने पीडि़तों को ढांढस बढ़ाते हुए कहा कि दोनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।
इससे पहले वह फतेहपुर गांव में हुए सामूहिक हत्याकांड में पहले सत्यप्रकाश दूबे के घर गए। इसके बाद उन्होंने घटनास्थल का भी मुआयना किया। वहां से मृतक पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव के घर गए। बता दें कि पूर्व सीएम के आगमन के संबंध में रविवार की शाम से गांव के चप्पे-चप्पे पर सख्त पहरा लगा दिया गया था। देर शाम तक आईजी जे रविंद्र गौड़ ने रुद्रपुर कोतवाली में पुलिस कर्मचारियों के साथ बैठक की और कार्यक्रम का खाका तैयार किया था।

दो अक्टूबर को घटी थी घटना

दो अक्टूबर को फतेहपुर गांव के लहड़ा टोला में एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। जिसमें सत्य प्रकाश दुबे एवं उनकी पत्नी किरण दुबे के अलावा सलोनी तथा नंदिनी एवं गांधी शामिल थे। इसके अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य दबंग प्रेमचंद यादव की भी हत्या हुई थी ।

मैं घटना को नहीं भूल पा रहा हूं : देवेश दुबे

रामनाथ देवरिया में एक आवास में ठहरे देवेश ने बताया कि वर्ष 2014 में समाजवादी पार्टी की सरकार थी उसी वक्तहमारे पिता सत्य प्रकाश दुबे ने सरकार से गुहार लगाई थी कि हमारी भूमि जबरिया दबंग प्रेमचंद यादव द्वारा बैनामा कराया जा रहा है, लेकिन उस वक्त कोई सुनवाई नहीं हुई। देवेश का आरोप है कि दबंग प्रेमचंद यादव के दबाव में जमीन बैनामा करा दिया गया। उस घटना को भूल नहीं पा रहा। देवेश ने आरोप लगाया कि यदि अखिलेश यादव की सरकार में बैनामा नहीं हुआ होता तो यह नरसंहार नहीं होता। जब उनकी ही सरकार में मेरे परिवार के साथ उत्पीडऩ हुआ तो किस मुंह से मुझसे मिलने के लिए आ रहे हैं। मैं उनसे किसी भी हाल में मिलने के लिए तैयार नहीं हूं। देवेश दुबे ने कहा कि समाजवादी पार्टी के लोग मुझसे मिलने के लिए आए थे उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव आपसे मिलना चाहते हैं लेकिन मैंने साफ-साफ आज निर्णय किया कि अखिलेश यादव से नहीं मिलेंगे। क्योंकि उनकी ही सरकार में हम लोगों के साथ ज्यादती हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पिछले हफ्ते, न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की अगुवाई वाली दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा था कि उसे पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं मिली और दोनों की गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस रिमांड में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और कंपनी के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी। पिछले हफ्ते, न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की अगुवाई वाली दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा था कि उसे पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं मिली और दोनों की गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस रिमांड में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने कहा कि गिरफ्तारी के संबंध में कोई प्रक्रियात्मक कमजोरी या कानूनी या संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है और रिमांड आदेश कानून में टिकाऊ है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि यूएपीए लिखित आधार प्रस्तुत करने को अनिवार्य नहीं करता है और केवल गिरफ्तारी के कारणों के बारे में आरोपी को ‘सूचित’ करने की बात करता है। अदालत ने कहा कि यह ‘सलाह’ होगी कि पुलिस ‘संवेदनशील सामग्री’ को ठीक तरीके से पेश करने के बाद आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में प्रदान करे।

धारा 43बी के तहत कोई प्रक्रियात्मक खामी नहीं: कोर्ट

पोर्टल के संस्थापक की याचिका पर आदेश पारित करते हुए अदालत ने कहा कि याचिका में पुख्ता आधार नहीं होने के कारण लंबित आवेदनों सहित इसे खारिज किया जाता है। अदालत ने कहा कि पूरे मामले की सही परिप्रेक्ष्य में जांच करने के बाद, अब तक ऐसा प्रतीत होता है कि गिरफ्तारी के बाद याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी के आधारों के बारे में यथाशीघ्र सूचित कर दिया गया था और इस तरह, यूएपीए की धारा 43बी के तहत कोई प्रक्रियात्मक खामी नहीं दिखती है या भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता और गिरफ्तारी कानून सम्मत है।

निठारी कांड के आरोपियों की फांसी की सजा रद्द

पंढेर और कोली इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी
निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी करने का आदेश दिया है। नोएडा के चर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है, इसके साथ ही दोनों को मिली फांसी की सजा भी रद्द कर दी गई है। कई दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया। इस मामले पर विभिन्न खंडपीठों ने 134 दिन की लंबी सुनवाई की। फांसी के खिलाफ दोनों ने इलाहाबाद कोर्ट में दायर की थी याचिकानिठारी कांड में मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली और एक अन्य अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को एक निचली अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुरेंद्र कोली के साथ कोठी डी-5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है, कोली पर आरोप है कि वह पंढेर कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था. निठारी गांव की दर्जनों लड़कियों गायब हो गई, वह उनसे दुष्कर्म कर हत्या कर देता था। इसके बाद लाश के टुकड़े कर बाहर फेंक आता था।

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