सदन में हो शालीन शब्दों का ही प्रयोग: अखिलेश यादव
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- सीएम द्वारा दिए गए बाप का सम्मान न करने संबंधी बयान का सपा अध्यक्ष ने दिया जवाब
- रामचरित मानस का विरोधी नहीं, पर गलत को गलत ही कहूंगा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बाप का सम्मान न करने संबंधी बयान का जवाब देते हुए अखिलेश ने यह परंपरा ठीक नहीं है। सदन में ऐसा आचरण नहीं होना चाहिए। ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा होगा तो दूसरा भी जवाब दे सकता है।
उन्होंने कहा कि ऐसा होगा तो दूसरा भी जवाब दे सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपने भी तो कई परंपराओं का निर्वाह नहीं किया है। हम भी चाहते तो बहुत कुछ कह सकते थे, लेकिन नेताजी (मुलायम सिंह) ने हमें ऐसी शिक्षा नही दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विधानसभा में रामचरित मानस की चौपाई की व्याख्या के बाद अब नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को उठाया है। हालांकि इस मुद्दे को सियासत गरमाने के बाद अखिलेश ने नरम रूख दिखाते हुए कहा है कि वह रामचरित मानस के विरोधी नहीं है। भागवान किसी एक के नहीं हैं, बल्कि वे सबके हैं। उन्होंने कहा कि फिर भी जो गलत है, उसे गलत कहना चाहिए। मुख्यमंत्री द्वारा बताए गए शुद्र और ताडऩ के अर्थ से असहमति जताते हुए अखिलेश ने कहा कि यह वही शुद्र हैं जो आपका साथ न दिए होते तो शायद आप सत्ता में न आते। विधानसभा में बजट पर मंगलवार को हो रही चर्चा में भाग लेते हुए अखिलेश ने शुद्र का अपमान करना गलत है, क्योंकि शुद्र होना कोई अपराध नहीं है।
जाति व्यवस्था की लड़ाई चलती रहेगी
जातीय व्यवस्था पर सरकार को घेरते हुए अखिलेश ने कवि दिनकर की कुछ कविताओं में कर्ण जैसे कई योद्धाओं की उदाहरण देते हुए कहा कि जाति व्यवस्था की लड़ाई तो 5000 वर्ष से पहले चली आ रही है। आगे भी यह लड़ाई चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि हम उस व्यवस्था का विरोध करते हैं, जिसमें एक मुख्यमंत्री के जाने के बाद दूसरा सीएम आये तो आवास को गंगा जल से धुलवाया जाए। इस मौके पर अखिलेश ने सरकार के बजट को किसान और नौजवानों का विरोधी बताते हुए भाजपा के संकल्प पत्र में शामिल उन वादों का भी उल्लेख किया, जिसे अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। नेत सदन द्वारा लगाए गए एसडीएम के पद पर 86 में से 56 पदों पर एक ही जाति का चयन होने के आरोप के जवाब में अखिलेश ने आंकड़ा पेश किया। उन्होंने कहा कि नेता सदन ने जाति का नाम भले ही न लिया हो, पर मैं बता रहा हूं कि 2011 में हुए चयन में 30 में से 5 एडीएम यादव जाति के चयनित हुए थे। इसी प्रकार 2012 में 4, 2013 में 6 और 2015 में 3 यादव एसडीएम के पद पर चयनित हुए थे। उन्होंने सरकार से 56 लोगों की सूची सदन में रखने की भी मांग दोहराई।