बांग्लादेश पर अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया आई सामने, मोदी सरकार को दी नसीहत 

बांग्लादेश में हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: बांग्लादेश में हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक्स पोस्ट में बिना किसी देश का नाम लिए लंबी पोस्ट लिखकर अपना बयान जारी किया है। सपा मुखिया ने लिखा कि विश्व इतिहास गवाह है कि विभिन्न देशों में सत्ता के खिलाफ, उस समय की कसौटी पर, सही-गलत कारणों से हिंसक जन क्रांतियां, सैन्य तख्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं। ऐसे में उस देश का ही पुनरुत्थान हुआ है, जिसके समाज ने अपने सत्ता-शून्यता के उस उथल-पुथल भरे समय में भी अपने देशवासियों की जान-माल व मान की रक्षा करने में जन्म, धर्म, विचारधारा, संख्या की बहुलता-अल्पता या किसी अन्य राजनीतिक विद्वेष या नकारात्मक, संकीर्ण सोच के आधार पर भेदभाव न करके सकारात्मक-बड़ी सोच के साथ सबको एक-समान समझा और संरक्षित किया है।

बांग्लादेश पर अखिलेश की प्रतिक्रिया आई सामने

आपको बता दें कि अखिलेश यादव की सोशल मीडिया पोस्ट से कई अलग- अलग मायने लगाए जा रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वैश्विक इतिहास का संदर्भ लेते हुए इशारों में बांग्लादेश की हालिया स्थिति पर टिप्पणी करते हुए मोदी सरकार को भी ‘नसीहत’ दी है। दरअसल, अखिलेश ने लिखा है कि देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है। सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष रूप से रेखांकित करने की एक बात इतिहास ये भी सिखाता है कि किसी और देश के राजनीतिक हालातों का इस्तेमाल जो सत्ता अपने देश में अंदर, अपनी सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए करती है, वो देश को आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर कमज़ोर करती है।

आपको बता दें कि सपा नेता ने बिना किसी का नाम लिए लिखा कि जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेगी, वो ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है कि उसके सभी दिशाओं के निकटस्थ देशों में परिस्थितियाँ न तो सामान्य हैं और न उसके अनुकूल। ऐसे में इसका मतलब साफ है कि ‘भू-राजनीतिक’ नज़रिये से उसकी विदेश नीति में कहीं कोई भारी चूक हुई है। सांस्कृतिक-निकटस्थता के सूत्र से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र को बांधकर आपसी समझबूझ और भाईचारे से ही विश्व के विभिन्न अशांत भू-खंडों में अमन-चैन लाया जा सकता है। साथ ही अखिलेश ने लिखा कि सकारात्मक सोच से जन्मा सौहार्द एवं शांति ही मानवीय समृद्धि का मार्ग है।

 

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