Caste Census पर अखिलेश की BJP को सख्त चेतावनी, ईमानदारी से होनी चाहिए जनगणना
Samajwadi Party के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने Caste Census पर केंद्र के फैसले के बाद बीजेपी को सख्त चेतावनी दी है... अखिलेश यादव ने कहा है कि

4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है…… और उन्होंने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम करार देते हुए भारतीय जनता पार्टी को कठोर चेतावनी दी है…… अखिलेश ने इस फैसले को इंडिया गठबंधन और पीडीए की एकजुटता की जीत बताया…… साथ ही बीजेपी पर दबाव में यह निर्णय लेने का आरोप लगाया…… सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि जाति जनगणना का फैसला 90 फीसदी पीडीए की एकजुटता की 100 फीसदी जीत है…… हम सबके सम्मिलित दबाव से बीजेपी सरकार मजबूरन ये निर्णय लेने को बाध्य हुई है….. सामाजिक न्याय की लड़ाई में ये पीडीए की जीत का एक अतिमहत्वपूर्ण चरण है……
केंद्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे…… यह फैसला लंबे समय से विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी….. और इंडिया गठबंधन की मांग थी…… अखिलेश यादव ने इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया…… और उन्होंने कहा कि यह जनगणना न केवल समाज के विभिन्न वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में हक…… और अधिकार दिलाएगी बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि अब तक वर्चस्ववादी ताकतों द्वारा दबाए गए समुदायों को उनका उचित स्थान मिले…….
वहीं उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि एक ईमानदार जनगणना ही हर जाति को अपनी-अपनी जनसंख्या के अनुपात में अपना वो अधिकार…… और हक़ दिलवाएगी जिस पर अब तक वर्चस्ववादी फन मारकर बैठे थे…… आपको बता दें कि अखिलेश यादव का यह बयान न केवल बीजेपी की नीतियों पर हमला है…… साथ ही यह भी बताता है कि अखिलेश यादव सामाजिक न्याय के मुद्दे को अपनी राजनीतिक रणनीति का केंद्र बनाए हुए हैं…… वहीं अखिलेश यादव ने बीजेपी को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपनी “चुनावी धांधली” की रणनीति को जातीय जनगणना से दूर रखे…… और उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने यह फैसला इंडिया गठबंधन…… और पीडीए के लगातार दबाव के कारण लिया है…… न कि अपनी इच्छा से….. बीजेपी की प्रभुत्ववादी सोच का अंत होकर ही रहेगा….. संविधान के आगे मनुविधान लंबे समय तक चल भी नहीं सकता….. और उन्होंने कहा कि यह बयान बीजेपी की नीतियों को नकारात्मक और विभाजनकारी करार देने का प्रयास है……
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने हमेशा सामाजिक न्याय के मुद्दों को दरकिनार करने की कोशिश की है…….. अखिलेश ने दावा किया कि बीजेपी की नकारात्मक राजनीति अब अपने अंतिम चरण में है……. और यह फैसला उनके दबाव का परिणाम है…… और यह अधिकारों के सकारात्मक लोकतांत्रिक आंदोलन का पहला चरण है….. अखिलेश यादव की राजनीतिक रणनीति का केंद्र बिंदु रहा है पीडीए…….. जिसे वे पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों का गठजोड़ बताते हैं….. और उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि पीडीए की एकजुटता ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगी…… इस बार भी उन्होंने जातीय जनगणना के फैसले को 90 फीसदी पीडीए की एकजुटता की 100 फीसदी जीत करार दिया……. यह बयान न केवल उनके समर्थकों को उत्साहित करने का प्रयास है……. बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे इस मुद्दे को 2027 के विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं……
समाजवादी पार्टी के समर्थकों और नेताओं ने भी अखिलेश के इस बयान का स्वागत किया है…… सपा के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किया गया कि यह सिर्फ एक नीति निर्णय नहीं….. बल्कि सामाजिक न्याय के लिए एक ऐतिहासिक कदम है……. अखिलेश यादव जी के नेतृत्व में पीडीए ने बीजेपी को झुकने पर मजबूर किया…… वहीं अखिलेश ने इस फैसले को इंडिया गठबंधन की जीत बताया…… जो दिखाता है कि वे इस मुद्दे पर विपक्षी एकता को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं…… इंडिया गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दल शामिल हैं……. लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग की थी….. अखिलेश ने कहा कि यह फैसला विपक्ष के प्रयासों का परिणाम है……. जिसने बीजेपी को इस मुद्दे पर पीछे हटने के लिए मजबूर किया…….
आपको बता दें कि कांग्रेस ने भी इस फैसले का स्वागत किया है…….. लेकिन साथ ही यह मांग की है कि जनगणना पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से हो…… कांग्रेस ने कहा कि जातिगत जनगणना के अभाव में……. सार्थक सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन अधूरा है…… बता दें कि बीजेपी इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में है……. उत्तर प्रदेश में ओबीसी और दलित वोटरों की बड़ी संख्या को देखते हुए…… बीजेपी इस मुद्दे को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर सकती है…… हालांकि अखिलेश की आक्रामक रणनीति…… और पीडीए के नारे ने बीजेपी के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं……
भारत में जातीय जनगणना का मुद्दा दशकों से चर्चा में रहा है…… 1951 के बाद से केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना की जाती रही है……. 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना कराई गई थी……. लेकिन इसके आंकड़े पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किए गए…… अखिलेश और अन्य विपक्षी नेता लंबे समय से पूर्ण जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे…… ताकि सामाजिक और आर्थिक नीतियों को अधिक समावेशी बनाया जा सके….. जातीय जनगणना का महत्व इस बात में निहित है कि यह विभिन्न समुदायों की जनसंख्या…… और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को स्पष्ट कर सकती है……. इससे सरकार को आरक्षण, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में लक्षित नीतियां बनाने में मदद मिलेगी…… अखिलेश ने कहा कि जब लोगों को यह मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं….. तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है…… जिससे उनकी एकता बढ़ती है……
अखिलेश यादव का यह 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए एक रणनीतिक रोडमैप है……. पीडीए के नारे और जातीय जनगणना के मुद्दे को केंद्र में रखकर वे बीजेपी को सामाजिक न्याय के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं……. 2024 के लोकसभा चुनावों में सपा ने उत्तर प्रदेश में 37 सीटें जीतकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी……. और अब अखिलेश इस गति को बनाए रखना चाहते हैं……. वहीं उन्होंने हाल के उपचुनावों में भी पीडीए की रणनीति को अपनाया था……. हालांकि नतीजे उनकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे…… फिर भी अखिलेश ने हार नहीं मानी……. और अब जातीय जनगणना को एक बड़े मुद्दे के रूप में उभार रहे हैं…….. उनके समर्थकों का मानना है कि यह मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति को नया रंग दे सकता है…..



