Akshay Kumar की रियल लाइफ बहन ने मुंडवा लिया सिर, बन गईं बौद्ध भिक्षु। अचानक लिया संन्यास!

बॉलीवुड की दुनिया में कई सितारे ऐसे रहे हैं..जिनका अचानक ही मायानगरी से मोह भंग हो गया।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बॉलीवुड की दुनिया में कई सितारे ऐसे रहे हैं..जिनका अचानक ही मायानगरी से मोह भंग हो गया। कई सेलेब्स तो ऐसे भी हैं, जो खूब पॉपुलर हुए। पैसा-नाम-शौहरत सब कुछ कमाया..लेकिन फिर इन्होंने इस सब को छोड़ने का फैसला ले लिया।

और, ऐसी ही एक्ट्रेस, वो रहीं..जो अक्षय कुमार की रियल लाइफ बहन के तौर पर भी पहचानी जाती है। जी हां, ये अदाकारा जो ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार की बहन के नाम से जानी गईं..वो कोई और नहीं बल्कि बरखा मदान हैं।

वही बरखा..जो एक दौर में ख़ूबसूरती में पूर्व मिस वर्ल्ड और एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय को टक्कर दिया करती थीं। लेकिन फिर अचानक ही उन्होंने ग्लैमर की दुनिया से दूर होने का फैसला कर किया और सबको हैरानी में डाल दिया।

दरअसल, 90 के दशक में, बॉलीवुड में कई नई एक्ट्रेसेस आईं जिन्होंने अपने काम और स्टारडम से खूब फेम हासिल किया। मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन, मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय बच्चन जैसी एक्ट्रेसेस ने देश के साथ-साथ दुनियाभर में परचम लहराया। जिससे 90 के दौर में एक्ट्रेसेस के बीच ऐसा तगड़ा कॉम्पिटिशन बना कि हसीनाओं का अपनी अलग जगह बनाना कोई छोटी बात नहीं थी।

हालांकि, इस सबके बावजूद बरखा मदान वो अदाकारा बनीं..जिन्होंने फेम और नेम दोनों कमाया। उनकी तुलना ऐश्वर्या राय तक से होने लगी। वजह थी..उनकी खूबसूरती और टैलेंट, जिसकी वजह से वो बड़े-बड़े चेहरों की भीड़ में भी सबसे अलग दिखती थीं।

तो, बॉलीवुड में उन्होंने शुरुआत करने से पहले मॉडल के तौर पर काम किया। वो साल 1994 में ‘फेमिना मिस इंडिया पेजेंट’ में हिस्सा लेने वालों में से एक थीं। इसमें जहां सुष्मिता सेन विनर बनीं, ऐश्वर्या राय फर्स्ट रनर-अप रहीं। तो वहीं, बरखा को ‘मिस इंडिया टूरिज्म’ चुना गया।

फिर, मॉडलिंग इंडस्ट्री में पहचान बनाने के बाद बरखा ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आने का फैसला किया और डायरेक्टर उमेश मेहरा ने उन्हें अपनी 1996 में आई फिल्म ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ से एक्टिंग डेब्यू कराया।

फिर, उन्होंने साल 2003 में राम गोपाल वर्मा की हॉरर फिल्म ‘भूत’ में काम किया था। ये फिल्म उनके करियर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई थी। आख़िर मूवी जबरदस्त हिट रही और बरखा इसकी सक्सेस से रातों-रात स्टार बन गई थीं।

एक्टिंग में सक्सेस की सीढ़ी चढ़ रहीं बरखा ने प्रोडक्शन में भी अपना हाथ आज़माया था। उन्होंने ‘गोल्डन गेट’ नाम की प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत की थी। जिसके तहत उन्होंने ‘सोच लो’ और ‘सुर्खाब’ बनाई थी…जिसे क्रिटिक्स ने खूब पसंद भी किया था।

तो, इन सब फिल्मों में नजर आने के बाद साल 2012 में, बरखा मदान ने एक ऐसी अनाउंसमेंट की..जिसने सबको चौंका कर रख दिया। आख़िर, बरखा ने ये जो अनाउंस किया कि उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी है और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से हमेशा के लिए दूरी बनी ली है।

यह सबके लिए एक बड़ा शॉक था क्योंकि कहा जाता है कि उन्हें अपनी जबरदस्त एक्टिंग रेंज की वजह से कई फिल्म प्रोजेक्ट्स मिल रहे थे।

लेकिन, बरखा फिर ‘लामा जोपा रिनपोछे’ की देखरेख में बरखा बौद्ध भिक्षु बन गईं। फिर उन्होंने अपना नाम बदलकर ‘वेन. ग्याल्टेन समतेन’ रख लिया।

बात एक्ट्रेस की करें तो, बरखा मदन का जन्म 28 मार्च 1972 को भारत में हुआ। उनका झुकाव बचपन से ही आर्ट्स, फैशन और एक्टिंग की ओर था। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा।

1990 के दशक में जब भारत में ब्यूटी पेजेंट्स का ज़ोर था, तब बरखा मदन ने मिस टूरिज़्म इंडिया (1994) का ख़िताब जीता। इसके बाद मलेशिया में हुए ‘इंटरनेशनल ब्यूटी कंटेस्ट’ में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया। इसने उन्हें ग्लैमर इंडस्ट्री में पहचान दिलाई और फ़िल्म और टेलीविज़न की दुनिया के दरवाज़े खोल दिए।

बरखा मदन ने बॉलीवुड में 1990 के दशक में कदम रखा। उन्हें सबसे ज़्यादा पहचान मिली 1996 में रिलीज़ हुई फ़िल्म “खिलाड़ियों का खिलाड़ी” से, जिसमें उन्होंने एक विदेशी लड़की का किरदार निभाया था। इस फ़िल्म में अक्षय कुमार और रेखा जैसे बड़े सितारे थे। भले ही उनका रोल लीड हीरोइन का नहीं था, लेकिन उनकी मौजूदगी ने दर्शकों का ध्यान खींच लिया।

इसके अलावा उन्होंने कुछ और फ़िल्मों में भी काम किया, लेकिन बॉलीवुड में उन्हें वो सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद हर सितारा करता है। इसके बावजूद, बरखा मदन ने हार नहीं मानी और टेलीविज़न की ओर रुख किया।

टीवी की दुनिया में बरखा मदन को काफ़ी अच्छी पहचान मिली। उन्होंने “न्याय”, “1857 क्रांति”, और कई शोज में अहम रोल निभाए। टीवी ने उन्हें न सिर्फ़ काम दिया, बल्कि एक अच्छी एक्ट्रेस के रूप में भी स्थापित किया।

हालांकि, टीवी पर काम करते हुए भी उनके अंदर एक खालीपन धीरे-धीरे पनप रहा था। इंडस्ट्री में मिल रही सफलता के बावजूद, वे अंदर की शांति की तलाश में थीं। वो खुद से बार-बार सवाल करती थीं, ‘क्या जिंदगी बस यही है?’ शोहरत और नाम के बीच रहते हुए भी उन्हें अकेलापन महसूस होता था। बरखा उस खालीपन को समझने की कोशिश कर रही थीं, जिसे न पैसा भर पा रहा था और न ही फेम। इसी दौरान उन्होंने अपने अंदर की आवाज को सुनना शुरू किया।

उनकी पर्सनल लाइफ की बात करें तो, बरखा मदन ने अपनी निजी ज़िंदगी को हमेशा मीडिया की चकाचौंध से दूर रखा। उनकी शादी हुई थी, लेकिन यह रिश्ता ज़्यादा समय तक नहीं चला और बाद में उनका तलाक़ हो गया।

शादी टूटने के बाद उनका झुकाव और ज़्यादा आध्यात्मिकता की ओर बढ़ा। यह समय उनके जीवन में आत्ममंथन का दौर था, जहां उन्होंने जीवन के अर्थ, दुख, मोह और इच्छाओं पर गहराई से सोचना शुरू किया।

बरखा मदन लंबे समय से बुद्ध के दर्शन से प्रभावित थीं। धीरे-धीरे उन्होंने बौद्ध धर्म का अध्ययन शुरू किया और ध्यान व साधना को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उन्होंने महसूस किया कि ग्लैमर, पैसा और पहचान उन्हें वह शांति नहीं दे पा रहे हैं, जिसकी उन्हें तलाश थी।

आख़िरकार उन्होंने एक बड़ा फ़ैसला लिया—एक्टिंग और सांसारिक जीवन को पूरी तरह छोड़ने का। उन्होंने अपने बाल त्याग दिए, साधारण वस्त्र धारण किए और पूरी तरह से आध्यात्मिक जीवन को अपना लिया। यह दीक्षा लद्दाख क्षेत्र में हुई, जहां उन्होंने बौद्ध परंपराओं के अनुसार संन्यास लिया।वह कई मौकों पर दलाई लामा से भी मिल चुकी हैं, जो उनके आध्यात्मिक सफर का अहम हिस्सा रहा है।

बहरहाल, एक समय पर फ़िल्मों और टीवी की चमक-दमक में रहने वाली बरखा मदन ने सब कुछ छोड़कर संन्यास का रास्ता चुना, जिसने उन्हें दूसरों से अलग बना दिया। अब वो दूसरों को भी आंतरिक शांति का रास्ता दिखाने की कोशिश करती हैं। वो सोशल मीडिया पर कभी-कभी अपने विचार साझा करती हैं, जहां वे मानसिक शांति, ध्यान और करुणा की बात करती हैं। इस वक्त बरखा तिब्बत के सेरा जे मठ में शांति से जिंदगी बिता रही हैं। वो शांत और एकांत वादियों में रहती हैं, जहां न कैमरों की चमक है, न डायलॉग्स की गूंज और न ही किसी स्क्रिप्ट की जरूरत। वहां उनका जीवन ध्यान, सेवा और आत्म-खोज के इर्द-गिर्द घूमता है।

कहना ग़लत नहीं होगा कि, जो अदाकारा कभी रैंप पर स्पॉटलाइट की रोशनी में चमकती थी और सिल्वर स्क्रीन पर अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लेती थी, वही आज बौद्ध परंपराओं में पूरी तरह रम चुकी है।

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