ईरान पर अमेरिका का हमला: तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ती दुनिया?
ईरान पर अमेरिका के हालिया हमले के बाद वैश्विक स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। यह संघर्ष अब उस दिशा में बढ़ रहा है, जहां से लौटना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन माना जा रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः ईरान पर अमेरिका के हालिया हमले के बाद वैश्विक स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। यह संघर्ष अब उस दिशा में बढ़ रहा है, जहां से लौटना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन माना जा रहा है। यह युद्ध एक महाविनाश की ओर ले जा सकता है, जिसकी लपटों से कोई भी देश बच नहीं पाएगा।
ईरान पर अमेरिका द्वारा किए गए हमले ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। अंतरराष्ट्रीय समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। यह युद्ध अब उस दिशा में बढ़ रहा है, जिसका अंत महाविनाश के रूप में सामने आ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात नहीं संभले तो यह टकराव पहले और दूसरे विश्वयुद्ध से भी अधिक विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।
ईरान में अमेरिकी हमले की शुरुआत रात ढाई बजे हुई। अमेरिकी सेना ने इसे एक गोपनीय ऑपरेशन के तहत अंजाम दिया, जिसमें ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन का कोडनेम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इसे अमेरिकी सैन्य इतिहास के सबसे सटीक और तकनीकी रूप से उन्नत अभियानों में से एक बताया जा रहा है। आशंका यहां तक है कि इस युद्ध में विनाश पहले और दूसरे विश्वयुद्ध से भी ज्यादा होगा. वहीं, ईरान में अमेरिका ने जो हमला किया, रात ढाई बजे जिस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, उसकी इनसाइड स्टोरी क्या है? इस ऑपरेशन में कितने किरदार शामिल हैं? इजराइल की बात मानकर ट्रंप ने युद्ध में उतरने और ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला करने का फैसला कब किया?
17 जून 2025, ये वही तारीख है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध में उतरने और ईरानी परमाणु केंद्रों पर हमले का निर्णय ले लिया था, यानी ठीक 6 दिन पहले. इसी दिन अमेरिका के ऑपरेशन ईरानी एटमी मिशन की शुरुआत हुई. 17 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप G-7 की बैठक बीच में ही छोड़कर अचानक कनाडा से अमेरिका लौट गए थे, वापसी के दौरान ही ट्रंप ने कहा था कि इजराइल-ईरान में सीजफायर नहीं, कुछ बड़ा होने वाला है.
ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी पहुंचते ही व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम को न सिर्फ खोलेन का, बल्कि नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को सिचुएशन रूम में पहुंचने हुक्म दे दिया, तभी से इसी सिचुएशन रूम में ईरान के एटमी ठिकानों पर हमले की प्लान शुरू हो गई. पांच दिनों तक प्लानिंग और डिप्लॉयमेंट का सिलसिला चलता रहा, अमेरिका ने मिडिल ईस्ट के आस पास, बॉम्बर, फाइटर जेट, युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर की तैनाती तेज कर दी.
ये किरदार रहे हैं शामिल
अमेरिका ने सबसे पहले मिडिल ईस्ट में मौजूद अपने बेस की सुरक्षा बढ़ाई. बेस पर मौजूद अमेरिकी सैनिकों को बंकर में पहुंचाया. पांच दिनों की प्लानिंग और तैनाती के बाद 21 और 22 जून की रात अमेरिकी बॉम्बर और सबमरीन ने ईरान के तीन परमाणु् सेंटर पर हमला कर दिया. कल तक इजराइल को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि अमेरिका जंग में उतरेगा या नहीं, ईरान के एटमी ठिकानों पर हमला करेगा या नहीं, अमेरिका ने इजराल को इस बारे में जानकारी हमले से कुछ देर पहले ही दी.
इस हमलें जिन किरदारों की बात हो रही है उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, ज्वाइंट चीफ के चेयरमैन डैन केन, CIA डायरेक्टर जॉन रेटक्लिफ, अमेरिकी NSA और विदेश मंत्री मार्को रुबियो, CDS सुसी विल्स
और व्हाइट हाउस के सलाहकार डेविड वेरिंगटन शामिल थे. ये वही लोग हैं, जिन्होंने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई. ऑपरेशन के दौरान ये लोग सिचुएशन रूम में ही मौजूद थे.
एक साल पहले ही अमेरिका ने कर लिया था अभ्यास
कनाडा से ट्रंप की वापसी और सिचुएशन रूम को एक्टिव करने के साथ ही इस बात की आशंका बढ़ गई थी कि अमेरिका युद्ध में उतरने जा रहा है और वही हुआ. ईरान के एटमी सेंटर पर जो हमला हुआ है, उसका अभ्यास अमेरिकी और इजराइली सेना ने करीब एक साल पहले ही किया था, यानी ईरान के एटमी मिशन को खत्म करने की तैयारी बहुत पहले से ही थी.



