अमित शाह की बढ़ी टेंशन, अब तो सूपड़ा साफ होगा!  

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मनोज जरांगे ने बहुत ही रणनीति के साथ चुनाव में उतरने का प्लान बनाया है... सूबे में मराठा आरक्षण आंदोलन का गढ़ रहे मराठवाड़ा पर विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें टिकी हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल मची हुई है…. सभी दल अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं…. इस बीच बीजेपी ने निन्नानभ उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है… जिसमें मौजूदा सिटिंग विधायक पर ही बीजेपी ने अपना दांव चला है… बीजेपी को पता है कि उनकी पार्टी का वर्चस्व जनता के बीच में खत्म हो चुका है… महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी को नकार दिया है… जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी नए चेहरों पर दांल चलने से बची है… और पुराने मौजूगा विधायकों ही टिकट दिया है… जिसका जमकर विरोध हो रहा है… और पार्टी में कलह का माहौल व्याप्त हो चुका है… बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद से मोदी की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है… पार्टी के अंदर अंतर्कलह देखने को मिल रही है… और आपस के नेता ही बगावत पर उतर आए हैं…. सीएम शिंदे से बीजेपी ने किनारा कर लिया है…. जिससे शिंदे की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है…. इन्हीं सब बातों को देखते हुए पार्टी के अंदर खलबली मची हुई है….

आपको बता दें कि महाराष्ट्र चुनाव की बागडोर अमित शाह के हाथों में हैं… अमित शाह महाराष्ट्र चुनाव को लेकर अपनी पूरी ताकत से जुटे हुए है… जिसका मुख्य कारण है कि मोदी की लोकप्रियता खत्म हो चुकी है… जिसके कारण अमित शाह जनका का माइंड वाश करने में जुट गए है… लेकिन शाह की कोई भी रणनीति महाराष्ट्र चुनाव में चलने वाली नहीं है… जनता बीजेपी की मानसिकता को भली भांति समझ चुकी है…. और इस बार राज्य से पूरी तरह से सफाया होने जा रहा है… वहीं महाराष्ट्र में अमित शाह के एक्टिव होते ही… विपक्ष ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है…. और अमित शाह पर वोटर लिस्ट ले वोटरों का नाम कटवाने का आरोप लगा रहा है… और विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग भी बीजेपी से मिला हुआ है,… और हर गलत काम में उनका सहयोग कर रहा है… चुनाव आयोग अब अपना काम निष्पक्ष तरीके से नहीं कर रहा है…. जिसको देखते हुए विपक्ष ने चुनाव आयोग का मोर्चा खोल रखा है…

इस बीच मोदी और शिंदे की टेंशन कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है… मराठा आरक्षण को लेकर लगातार आंदोलनरत रहे मनोज जरांगे पाटिल लगातार आस्वासन देकर महायुति की सकरार ने अनशन खत्म करवा दिया करती थी… लेकिन मनोज जरांगे की एक भी मांगो को पूरा नहीं किया गया… जिसको देखते हुए मनोज जरांगे ने महायुति सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगरल मेरी मांग नहीं पूरी हुई तो हम विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे… बावजूद इसके मनोज जरांगे की एक भी बात नहीं मानी गई… जिसके चलते आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने रविवार को घोषणा की कि वह महाराष्ट्र की उन विधानसभा सीट पर मराठा उम्मीदवार उतारेंगे…. जहां इस समुदाय के लोगों की अच्छी-खासी आबादी है….. जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में सभा को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा कि…. वह केवल उन्हीं सीटों पर मराठा उम्मीदवार उतारेंगे…. जहां समुदाय की जीत की संभावना है…. आपको बता दें कि जरांगे ने कहा कि उनका समूह अनुसूचित जाति…. और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित क्षेत्रों में मराठा मुद्दों का समर्थन करने वाले अन्य उम्मीदवारों का समर्थन करेगा….

बता दें कि मनोज जरांगे ने कहा कि जिन निर्वाचन क्षेत्रों में मराठा समुदाय की जीत की संभावना नहीं है….. वहां उनका समूह पार्टी, जाति या धर्म की परवाह किए बिना उम्मीदवारों का समर्थन करेगा….. बशर्ते वे आरक्षण की मांग का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हों…. और उन्होंने कहा कि जो उम्मीदवार उपरोक्त मांग से सहमत हैं…. उन्हें लिखित प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करना होगा…. महाराष्ट्र की दो सौ अट्ठासी सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए बीस नवंबर को मतदान होगा और मतगणना तेइस नवंबर को होगी…. और उन्होंने संभावित उम्मीदवारों से नामांकन पत्र दाखिल करने का आग्रह करते हुए कहा कि…. उनकी उम्मीदवारी के बारे में अंतिम निर्णय उनतीस अक्टूबर को किया जाएगा…. और उन्होंने कहा कि यदि किसी उम्मीदवार से नामांकन वापस लेने का अनुरोध किया जाता है…. तो उसे इसका अनुपालन करके नामांकन पत्र वापस लेना होगा…..

आपको बता दें कि जरांगे ने उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पर मराठा आरक्षण आंदोलन को कमजोर करने का आरोप लगाया…. और उन्होंने मराठा समुदाय से अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग के पीछे एकजुट होने…. और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखने की अपील की…. जरांगे ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए आरक्षण… और हैदराबाद, बॉम्बे और सतारा के राजपत्रों की मसौदा अधिसूचनाओं को लागू करने की मांग कर रहे हैं…. जिसमें मराठा समुदाय को कृषक समूह कुनबी घोषित करते…. हुए ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण… और लाभ के लिए पात्र बताया गया है…. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग को लेकर जंग छिड़ गई है…. जानकारी के मुताबिक उद्धव ठाकरे सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस से नाराज हैं…. और प्लान B पर भी काम कर रहे हैं…. उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) की तैयारी सभी दो सौ अट्ठासी सीटों पर है….. यानि MVA में सीट शेयरिंग की बात नहीं बनी तो ठाकरे अपने बल पर चुनाव लड़ सकते हैं…..

वहीं ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उद्धव ठाकरे कांग्रेस से दूर होते हैं…. तो क्या वो बीजेपी के साथ जाएंगे…. वहीं कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि सीट शेयरिंग पर उद्धव ठाकरे के दवाब के आगे पार्टी नहीं झुकेगी…. जानकारी के मुताबिक उद्धव ठाकरे बयानों से उनके कदमों का इशारा रविवार को मिल गया था…. जानकारी के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी… संजय राउत ने भी अमित शाह से मुलाकात की थी…. हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि किन मुद्दों पर चर्चा हुई…. कांग्रेस के मुताबिक जिस तरह से शिवसेना (यूबीटी) दवाब की रणनीति अपना रही है…. उसे देखते हुए सीट आवंटन में देरी होगी…. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं से कहा कि शिवसेना ऐसी सीटें मांग रही है…. जहां मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में हों और जहां कांग्रेस का उम्मीदवार सौ फीसदी चुनकर आ सकते हैं….

आपको बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने स्पष्ट कहा कि हम ये सीटें नहीं छोड़ेंगे और इन सीटों पर चर्चा अंत तक जारी रहेगी…. लोकसभा में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए… और हम लेकर रहेंगे…. जानकारी के मुताबिक एमवीए में महाराष्ट्र में करीब बीस से पच्चीस सीटों पर पेंच फंसा हुआ है…. इनमें ज्यादातर विदर्भ और मुंबई की सीटें हैं…. शिवसेना (यूबीटी) विदर्भ की तीन सीटें चाहती है…. और इससे कम में तैयार नहीं है…. राज्य के नेताओं से नाराजगी की वजह से अब शिवसेना (यूबीटी) केंद्र के शीर्ष कांग्रेसी नेताओं से बातचीत कर रही है…. वहीं सीट शेयरिंग पर जब शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत से सवाल किया गया तो उन्होंने सोमवार को कहा कि हमारी बातचीत चल रही है…. हमलोग सब बैठ कर फैसला कर लेगें….. कांग्रेस हाईकमान से बातचीत हो रही है….. राज्य के कांग्रेस नेता हमारे दोस्त हैं…. सीट शेयरिंग में सब को थोड़ा बहुत त्याग करना पड़ता है…. कांग्रेस का आलाकमान दिल्ली में बैठता है…. बता दें कि महाराष्ट्र में एमवीए में कांग्रेस…. और शिवसेना (यूबीटी) के साथ शरद पवार की एनसीपी (एसपी) शामिल है…. इस गठबंधन का मुकाबला बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी से है…..

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मनोज जरांगे ने बहुत ही रणनीति के साथ चुनाव में उतरने का प्लान बनाया है…. और उन्होंने कहा कि मराठवाडा की कई सीटों पर मराठा समुदाय के वोट सत्तर हजार से एक लाख तक है…. इतने बड़े बहुमत को तोड़ना किसी के लिए भी संभव नहीं है…. कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में अन्य समीकरण महत्वपूर्ण हैं…. वह उन समीकरणों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं…. इस तरह से मराठा समुदाय के लिए चुनाव में आरक्षण का एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहते हैं…. महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी करीब तीस फीसदी है…. जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं…. मराठा समाज का समर्थन मनोज जरांगे ने आरक्षण आंदोलन से हासिल कर रखा है…. मराठा बहुल सीटों पर मनोज जरांगे के द्वारा उम्मीदवार उतारने से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ही नहीं बल्कि कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन का गेम भी बिगड़ सकता है…..

हालांकि, मनोज जरांगे की नाराजगी खासकर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी को लेकर है….. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं…. लेकिन मराठा समाज के उम्मीदवार के उतरने से ओबीसी समाज के वोटों का ध्रुवीकरण भी हो सकता है…. इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है…. ऐसे में अगर दोनों ही गठबंधन के द्वारा चुनाव में ओबीसी उम्मीदवार उतारते हैं… तो दोनों के बीच वोटों का विभाजन होगा और दोनों को नुकसान झेलना पड़ सकता है…. वहीं महाराष्ट्र में ओबीसी और मराठों काफी अहम हैं…. ओबीसी कई जातियों में बंटा हुआ तो मराठा समाज राजनीतिक रूप से बिखरा हुआ है…. मनोज जरांगे पाटिल मराठों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण की मांग कर रहे हैं….. जिसे लेकर ओबीसी समुदाय खुश नहीं है…. सूबे में मराठा आरक्षण आंदोलन का गढ़ रहे मराठवाड़ा पर विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें टिकी हैं…. क्योंकि जातीय ध्रुवीकरण के प्रभाव इसी क्षेत्र में होना है…. ऐसे में मराठा समाज के प्रभाव वाली छियालीस सीटें है…. जो किस करवट बैठेंगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं है…..

आपको बता दें कि मराठवाड़ा बेल्ट की छियालीस सीटों के नतीजे को देखें तो दो हजार उन्नीस के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना (अविभाजित) गठबंधन अट्ठइस सीटें जीतने में कामयाब रही थीं…. बीजेपी सोलह और शिवसेना को बारह सीटें मिली थीं…. कांग्रेस और एनसीपी को आठ-आठ सीटें मिली थी… तो अन्य को दो सीटें मिली थीं…. आपको बता दें कि साल दो हजार तेइस में मराठा समुदाय को कुनबी (खेतिहर मराठा) का दर्जा देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे में आरक्षण दिलवाने के लिए शुरू हुए आंदोलन ने पूरे मराठवाड़ा की हवा बदल दी है…… मराठा युवक मनोज जरांगे पाटिल के एक आह्वान ने दो हजार चौबीस लोकसभा चुनाव में मराठवाड़ा बेल्ट में बीजेपी को एक भी सीट नहीं जीतने दी थी…. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए मराठवाड़ा के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके तो अजीत पवार भी बेअसर रहे…. इस क्षेत्र की आठ लोकसभा सीटों में से तीन कांग्रेस…. और तीन सीटें उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने जीती थीं…. शरद पवार की एनसीपी और शिंदे की शिवसेना एक-एक सीटें जीती थी….

बता दें कि मराठावाड़ा में जातीय गणित के आधार पर देखें तो आठ में से सात सीट मराठा समाज के उम्मीदवारों ने जीती हैं…. जबकि एक सीट लातूर दलितों के लिए आरक्षित है…. जहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी…. जातीय ध्रुवीकरण की स्थिति ऐसी रही कि छत्रपति संभाजी महाराज नगर से ओबीसी से आने चंद्रकांत खैरे को हराकर शिवसेना (शिंदे) के मराठा उम्मीदवार संदीपन भुमरे को जिताया था…. इससे समझा जा सकता है कि किस तरह से मराठा समुदाय ने मराठवाड़ा की सियासत में उलटफेर किया था…. मराठवाड़ा बेल्ट के चुनावी नतीजे बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन (महायुति) के लिए अच्छे संकेत नहीं थे…. अब मनोज जरांगे ने विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर दी है…. उन्होंने तो संभावित उम्मीदवारों के साक्षात्कार भी लेने शुरू कर दिए हैं…. मराठवाड़ा में सियासी उलटफेर कई सीटों पर हो सकता है…. महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों में भले ही मराठा आंदोलन का असर न रहे…. लेकिन मराठवाड़ा के मराठा तो उनके पीछे चलने को तैयार दिख रहे हैं…..

आपको बता दें कि मराठवाड़ा जिस प्रकार से खेतिहर मराठों का केंद्र है…. उसी प्रकार वंचित-ओबीसी मतदाताओं का भी बड़ा गढ़ है…. गोपीनाथ मुंडे मराठवाड़ा क्षेत्र के बड़े ओबीसी नेता रहे हैं…. लेकिन उनकी विरासत उनकी बेटी पंकजा मुंडे संभाल रही हैं…. पंकजा के चचेरे भाई धनंजय मुंडे अब पंकजा के साथ आ चुके हैं…. विजयदशमी के दिन ग्यारह साल बाद दोनों बहन-भाई एक साथ एक मंच पर नजर आए…. मराठवाड़ा में ओबीसी वोटों का आधार इन्हीं दोनों नेताओं पर टिका है…. मनोज जरांगे पाटिल के मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण सबसे ज्यादा असुरक्षित ओबीसी समाज ही महसूस कर रहा है…. वह नहीं चाहता कि उसके आरक्षण कोटे में कोई… और आकर सेंध लगाए. मराठा आंदोलन ने पिछले एक साल में खासतौर से मराठवाड़ा के गांव-गांव में ऐसी दरार डाली है…. कि दोनों समुदायों ने एक-दूसरे के सुख-दुख में हिस्सा लेना भी बंद कर दिया है…. यह बात वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल खुद जाकर सबसे बड़े मराठा नेता शरद पवार को बता चुके हैं….

वहीं मराठा और ओबीसी ध्रुवीकरण के साथ-साथ मराठवाड़ा की पंद्रह प्रतिशत मुस्लिम आबादी भी अपना असर दिखाने से नहीं चूकेगी….. खासतौर से असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम इस क्षेत्र में अपना अच्छा असर रखती है…. इम्तियाज जलील कुछ ही दिन पहले छत्रपति संभाजी महाराज नगर से मुंबई तक एक बड़ी कार रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं…. ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं की भांति ही दलितों की भी बड़ी आबादी मराठवाड़ा में है…. इस तरह दलित, मुस्लिम, मराठा और ओबीसी मतदाता मराठवाड़ा की सियासत पर असर रखते हैं…. इनमें से जो भी इन्हें साध लेगा, उसकी सियासी नैया पार है…..

 

 

 

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