मूर्ति दंपति के जाति सर्वेक्षण से इनकार पर रार

- बोले- केंद्र की जनगणना में भी नहीं होंगे शामिल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बेंगलुर। इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति द्वारा कर्नाटक के जाति सर्वेक्षण में भाग लेने से इनकार पर राज्य में सियासी रार मच गई है। सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि सर्वेक्षण सभी नागरिकों का है, यह केवल पिछड़े वर्ग तक सीमित नहीं, और पूछा कि क्या वे केंद्र के जाति जनगणना में भी असहयोग करेंगे। यह घटनाक्रम जाति आधारित डेटा संग्रह और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर प्रकाश डालता है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति के, राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति सर्वेक्षण में भाग न लेने के फैसले पर शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी।
दंपति ने यह तर्क दिया था कि वे किसी पिछड़े वर्ग से नहीं आते, जिसके कारण उन्होंने सर्वेक्षण में शामिल होने से इनकार कर दिया। सिद्धारमैया की यह टिप्पणी नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति द्वारा कर्नाटक के सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण में कथित तौर पर भाग लेने से इनकार करने के एक दिन बाद आई। दरअसल, कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सर्वेक्षण के लिए एक प्रोफ़ॉर्म जारी किया था। राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति ने एक स्व-घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके इसमें विवरण भरने से मना कर दिया। कहा जाता है कि सुधा मूर्ति ने कन्नड़ में लिखे स्व-घोषणा पत्र में कहा था, हम किसी पिछड़े समुदाय से नहीं हैं। इसलिए, हम ऐसे समूहों के लिए सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण में भाग नहीं लेंगे। मुख्यमंत्री अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिसने मूर्तियों के इस कदम का विरोध किया है। इससे पहले, पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री शिवराज तंगदागी ने भी इस पर आलोचना व्यक्त की थी।
मंत्रिमंडल का फैसला केवल आरएसएस के लिए नहीं
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी उनके नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल द्वारा आरएसएस की गतिविधियों, जिनमें सडक़ों पर मार्च करना और सार्वजनिक स्थानों व सरकारी परिसरों में कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है, पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाने के फैसले के एक दिन बाद आई है। कैबिनेट के इस फैसले, जिसे व्यापक रूप से आरएसएस के कार्यक्रमों के खिलाफ बताया जा रहा है, पर स्पष्टीकरण देते हुए सिद्धरमैया ने कहा, यह सिर्फ आरएसएस के लिए नहीं है। उन्होंने कहा, सरकार की अनुमति के बिना किसी भी संगठन को गतिविधियां चलाने की अनुमति नहीं है। यह नियम दरअसल भाजपा द्वारा लाया गया था जब मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर थे।’ साल 2013 में, शेट्टर के नेतृत्व वाली सरकार ने एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें स्कूल परिसरों और उससे जुड़े खेल के मैदानों का इस्तेमाल केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए करने का आदेश जारी किया गया था।
पिछड़े वर्गों का सर्वेक्षण समझना गलत
सिद्धारमैया ने कहा कि इस सर्वेक्षण को पिछड़े वर्गों का सर्वेक्षण समझना गलत है। उन्होंने आगे कहा, केंद्र सरकार आने वाले दिनों में जाति जनगणना भी कराएगी। क्या वे तब भी सहयोग नहीं करेंगे? हो सकता है कि वे अपनी गलत सूचना के कारण ऐसा अवज्ञा कर रहे हों। राज्य की आबादी लगभग सात करोड़ है, और यह इन लोगों का आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक सर्वेक्षण है। उन्होंने आगे कहा कि इस पहल में सभी वर्गों के लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा, यह एक सर्वेक्षण है जो पूरी आबादी को शामिल करते हुए किया जा रहा है। शक्ति योजना के तहत, गरीब और उच्च जाति के सभी लोगों को शामिल किया जाएगा। इस बारे में गलत जानकारी फैलाई जा रही है। सरकार ने विज्ञापनों के माध्यम से मंत्रियों और मुख्यमंत्री के संदेश लोगों तक पहुंचाए हैं। यह राज्य के सात करोड़ लोगों का सर्वेक्षण है।



