एक और जाट नेता ने सरकार को दिखाई आंख!

कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी भडक़े, कृषि मंत्री शिवराज सिंह को सुना दी खरी-खोटी

राष्ट्र किसान की सहनशीलता परखने की कोशिश करेगा तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी
देश की कोई ताकत किसान की आवाज को दबा नहीं सकती

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एक और जाट नेता ने मोदी सरकार की आंखों में आखें डालकर चेतावनी दी है? यह कोई मामूली व्यक्ति नहीं है बल्कि देश का उपराष्ट्रपति व राज्य सभा के सभापति भी हैं। वह किसान आंदोलन पर सरकार के रवैये से नाराज हैं। उनकी नाराजगी उस समय सार्वजनिक हो गयी जब उन्होंने देश के कृषि मंत्री के साथ एक मंच शेयर किया।
इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को देखकर उपराष्टï्रपति का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और वह खुद को नहीं रोक पाएं वहीं मंच से ही कृषि मंत्री को खरी-खोटी सुना दी। उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्र किसान की सहनशीलता परखने की कोशिश करेगा, तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उपराष्ट्रपति के इन शब्दों के भवार्थ को समझने की कोशिश कीजिए। वह यहीं नही रूके और उन्होंने कहा कि देश की कोई ताकत किसान की आवाज को दबा नहीं सकती। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सवाल किया है कि आखिरकार किसानों से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंच पर मौजूद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा, कृषि मंत्री जी, हर पल आपके लिए महत्वपूर्ण है।

किसानों से किया वादा क्यों नहीं निभाया गया

श्री धनखड़ ने कहा मैं आपसे अनुरोध करता हूं और भारत के संविधान के तहत दूसरे सबसे बड़े पद पर विराजमान व्यक्ति के रूप में मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया मुझे बताइए, क्या किसानों से कोई वादा किया गया था, और वह वादा क्यों नहीं निभाया गया। हम वादा पूरा करने के लिए क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है, और समय जा रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं।

किसानों से वार्ता तुरंत होनी चाहिए

उपराष्ट्रपति ने कहा, कृषि मंत्री जी, मुझे तकलीफ हो रही है। मेरी चिंता यह है कि अब तक यह पहल क्यों नहीं हुई। आप कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हैं। मुझे सरदार पटेल की याद आती है, उनका जो उत्तरदायित्व था देश को एकजुट करने का, उन्होंने इसे बखूबी निभाया। यह चुनौती आज आपके सामने है, और इसे भारत की एकता से कम मत समझिए। किसानों से वार्ता तुरंत होनी चाहिए, और हम सबको यह जानना चाहिए, क्या किसानों से कोई वादा किया गया था। कृषि मंत्री जी, क्या पिछले कृषि मंत्रियों ने कोई लिखित वादा किया था। अगर किया था, तो उसका क्या हुआ।

हम अपने लोगों से नहीं लड़ सकते

आंदोलित किसानों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा, हम अपने लोगों से नहीं लड़ सकते, हम उन्हें इस स्थिति में नहीं डाल सकते कि वे अकेले संघर्ष करें। हम यह विचारधारा नहीं रख सकते कि उनका संघर्ष सीमित रहेगा, और वे अंतत: थक जाएंगे। हमें भारत की आत्मा को परेशान नहीं करना चाहिए, हमें उनके दिल को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए। क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा रेखा बना सकते हैं? जिनको गले लगाना चाहिए, उन्हें दूर नहीं किया जा सकता।

किसानों को हक भी नहीं दे रही सरकार

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपराष्ट्रपति ने कहा, आज किसान को केवल एक काम सौंप दिया गया है, खेतों में अनाज उगाना और फिर उसकी सही कीमत पर बिक्री के बारे में सोचना। मुझे समझ में नहीं आता कि हम क्यों ऐसा फॉर्मूला नहीं बना सकते, जिसमें अर्थशास्त्रियों और थिंक टैंक के साथ विचार-विमर्श करके हमारे किसानों को पुरस्कृत किया जा सके। हम उन्हें उनका हक भी नहीं दे रहे, पुरस्कृत करना तो दूर की बात है। हमने जो वादा किया था, उसे देने में भी कंजूसी कर रहे हैं, और मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हमारी मानसिकता सकारात्मक होनी चाहिए।

किसान और उनके हितैषी चुप

उन्होंने कहा, यह बहुत संकीर्ण आकलन है कि किसान आंदोलन का मतलब केवल वे लोग हैं जो सडक़ों पर हैं। नहीं, किसान का बेटा आज अधिकारी है, किसान का बेटा सरकारी कर्मचारी है। लाल बहादुर शास्त्री जी ने क्यों कहा था जय जवान, जय किसान। उस जय किसान के साथ हमारा रवैया वही होना चाहिए, जैसा लाल बहादुर शास्त्री ने कल्पना की थी। मेरी पीड़ा यह है कि किसान और उनके हितैषी आज चुप हैं, बोलने से कतराते हैं। देश की कोई ताकत किसान की आवाज को दबा नहीं सकती। यदि कोई राष्ट्र किसान की सहनशीलता परखने की कोशिश करेगा, तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

भाजपा नेता कबीर शंकर बोस को सुप्रीम कोर्ट से झटका

टीएमसी कार्यकर्ताओं से हाथापाई का मामला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ 2020 में उनके सुरक्षाकर्मियों और तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई के संबंध में दर्ज दो प्राथमिकियों को बुधवार को सीबीआई को सौंप दिया।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ बोस की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मामले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस से सीबीआई, एसआईटी या किसी स्वतंत्र एजेंसी को स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा, इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों को देखते हुए प्रतिवादियों को आदेश दिया जाता है कि वे दोनों प्राथमिकियों के आधार पर जांच के कागजात तथा जांच पूरी करने के लिए सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंप दें, ताकि यदि आवश्यक हो तो मुकदमा शुरू किया जा सके और पक्षों को न्याय मिल सके।

आखिर आ ही गया महाराष्ट्र के सीएम का नाम

फडणवीस चुने गए भाजपा विधायक दल के नेता
भाजपा पर्यवेक्षक सीतारमण व रूपाणी भी रहे उपस्थित

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम पर संशय के बादल छंट गए हैं। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। भाजपा के विधायक दल की बैठक में बुधवार को देवेंद्र फडणवीस को दल का नेता चुना गया। विधायक दल की बैठक से पहले कोर कमेटी की बैठक में भी देवेंद्र फडणवीस के नाम पर सहमति बन गई थी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक में मौजूद रहे। फडणवीस 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद फडणवीस ने सभी विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार जताया। फडणवीस ने विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जनादेश देने के लिए राज्य की जनता का भी आभार जताया।

तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे फडणवीस

महाराष्ट्र भाजपा के नेता सुधीर मुनगंटीवार ने बताया कि महायुति गठबंधन के नेता बुधवार शाम साढ़े तीन बजे के करीब राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात करेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। कल मुंबई के आजाद मैदान में सीएम का शपथ ग्रहण समारोह होगा। इसके लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। सीएम के साथ ही दो डिप्टी सीएम भी शपथ लेंगे। ऐसी चर्चाएं हैं कि एनसीपी नेता अजित पवार और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ ले सकते हैं।

शीतकालीन सत्र के 8वें दिन भी हंगामा जारी

लोस और रास में संभल व किसानों पर वार-पलटवार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का आज 8वां दिन है। बुधवार को एक बार फिर सदन में हंगामा जारी रहा। संभल व किसानों के मुद्दे को लेकर विपक्षी सदस्य हंगामा किया। आज संसद में कई बिल पेश करने की योजना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को लोकसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश करेंगे और राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत-चीन संबंधों में हालिया घटनाक्रम पर बयान देंगे।
विधेयक का उद्देश्य आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन करना है। गृह मंत्री प्रस्ताव आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन करने वाले विधेयक पर विचार करने के लिए पेश करेंगे। कोशिश यही है कि इसके जरिए भूमिकाओं में अधिक स्पष्टता आए और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अधिकारियों को सशक्त बनाया जा सके। विधेयक को 1 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और यह मौजूदा अधिनियम में संशोधन करने का प्रयास करता है, जिसे मूल रूप से संस्थागत तंत्र, आपदा प्रबंधन योजनाएं और आपदा प्रभावों को रोकने और कम करने के लिए रणनीतियां बनाकर भारत में आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया था। वहीं शीतकालीन सत्र के सातवें दिन विपक्ष ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने अनुरोध किया है कि वे संसद भवन के गेट के सामने प्रदर्शन न करें।

लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष का स्थगन नोटिस नकारा

एक और जाट नेता ने सरकार को दिखाई आंख!
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों की ओर से प्रस्तुत किसी भी स्थगन नोटिस को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उन्होंने विपक्षी सांसदों से लोकसभा के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शन न करने का आग्रह किया। उधर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवसेना यूबीटी सांसद की ओर से बीएसएनएल को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि सरकार बीएसएनएल के 50,000 से अधिक कर्मचारियों की देखभाल करने की अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह अवगत है। उन्होंने अरविंद सावंत की ओर से दिए गए इस तरह के बयान को अपमानजनक बताया। लोकसभा में बहस के दौरान डीएमके सांसद ने कहा कि सरकार को अधूरे रेलवे प्रोजेक्ट के लिए राज्यों को दोष नहीं देना चाहिए डीएमके सांसद टीआर बालू ने कहा कि केंद्र को अधूरे रेलवे प्रोजेक्ट के लिए राज्यों को दोष नहीं देना चाहिए, उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मामले में केंद्र को राज्यों से संपर्क करना चाहिए।

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