अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें

  •  बीजेपी में मची भगदड़ के बीच दोनों सहयोगी ढूढ़ रहे आपदा में अवसर

लखनऊ। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में मचीभगदड़ पार्टी के सहयोगियों को बड़ा अवसर मुहैया करा दिया है। राज्य में भाजपा के दोनों सहयोगी दो-दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर अड़ गए हैं। फिलहाल तीन दौर की बैठक के बाद सहयोगियों से हर कीमत पर साधने में जुटी भाजपा अपना दल को 18 तो निषाद पार्टी को 14 सीटें देने के लिए तैयार है। अपना दल के नेताओं के साथ भाजपा की तीन दौर की बातचीत हुई है। भाजपा की ओर से बातचीत की अगुवाई प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और संगठन मंत्री सुनील बंसल कर रहे हैं। एक बैठक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और स्वतंत्र देव की उपस्थिति में हुई है।

सूत्रों का कहना है कि गैर यादव ओबीसी नेताओं के एक-एक कर पार्टी छोड़ने से भाजपा के पास दोनों सहयोगियों के मनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। पार्टी के दोनों सहयोगी गैर यादव ओबीसी जातियों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में इन सहयोगियों को साधे रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अगर इन सहयोगियों में से एक ने भी साथ छोड़ा तो विपक्ष के भाजपा के गैरयादव ओबीसी विरोधी होने के आरोपों को बल मिलेगा। पहले दौर में अपना दल ने तीन दर्जन सीटें मांगी थी। बीते चुनाव में उसे एक दर्जन सीटें मिलीं थी। तीसरे दौर की बातचीत में अपना दल दो दर्जन सीटों पर अड़ गया।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि निषाद पार्टी बड़ी समस्या नहीं है। पार्टी के पास अपना चुनाव चिन्ह नहीं है। ऐसे में ज्यादा संभावना है कि निषाद पार्टी के उम्मीदवार भाजपा के निशान पर चुनाव लड़ें। वैसे भी पार्टी की योजना निषाद पार्टी की ज्यादातर सीटों पर अपना उम्मीदवार देने की है। इस विधानसभा चुनाव में अपना दल की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की भूमिका बढ़ेगी। पार्टी का मानना है कि उनका कुर्मी बिरादरी के इतर दूसरे गैरयादव ओबीसी जातियों मेंं भी अच्छा प्रभाव है। विपक्ष के गैरयादव पिछड़ा विरोधी आरोपों का जवाब देने के लिए भाजपा की योजना अनुप्रिया को आगे करने की है। इसके तहत अनुप्रिया की पूरे उत्तर प्रदेश में जनसभा कराई जाएगी।

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