आशाराम को मिली एक महीने की राहत, हाई कोर्ट ने कहा ये आखिरी मौका
गुजरात हाई कोर्ट ने आसाराम की अस्थायी जमानत की अवधि एक महीने के लिए बढ़ा दी है.... बता दें कि 2013 के रेप के मामले में आसाराम आजीवन...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः आसाराम बापू जिन्हें स्वयंभू संत के रूप में जाना जाता है…… उनको गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में बड़ी राहत दी है……. कोर्ट ने उनकी अस्थायी जमानत की अवधि को एक महीने के लिए और बढ़ा दिया है…… बता दें कि यह फैसला मेडिकल आधार पर लिया गया है…….. क्योंकि आसाराम की उम्र 86 वर्ष है……. और वह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं……. हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह जमानत का अंतिम विस्तार होगा…….. इस खबर में हम इस मामले के सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे…… जिसमें आसाराम के खिलाफ दर्ज मामले……. उनकी जमानत की प्रक्रिया……. और इस फैसले के सामाजिक और कानूनी प्रभाव शामिल हैं……
आसाराम बापू भारत में एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं……. उनके लाखों अनुयायी देश-विदेश में फैले हुए हैं……. हालांकि, 2013 में उनके खिलाफ यौन शोषण और बलात्कार के गंभीर आरोप लगने के बाद उनकी छवि को बड़ा धक्का लगा…… इन आरोपों ने उनके आध्यात्मिक साम्राज्य को हिलाकर रख दिया…… और कानूनी लड़ाई की शुरुआत हुई…….
आपको बता दें कि 2013 में जोधपुर के एक आश्रम में एक नाबालिग लड़की ने आसाराम पर बलात्कार का आरोप लगाया……. इस मामले में 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की एक विशेष अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया…… और आजीवन कारावास की सजा सुनाई….. वहीं जनवरी 2023 में गांधीनगर की एक सत्र अदालत ने आसाराम को सूरत के आश्रम में 2001 से 2006 के बीच एक महिला शिष्या के साथ बार-बार बलात्कार करने के लिए दोषी ठहराया……. वहीं इस मामले में भी उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई……
आपको बता दें कि इन दोनों मामलों में आसाराम को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया……. जिनमें धारा 376(2)(C) (बलात्कार), धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध), धारा 342 (गैरकानूनी हिरासत), धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करना), धारा 357 (हमला), और धारा 506 (आपराधिक धमकी) शामिल हैं…….. आसाराम की जमानत की कहानी कई सालों से चल रही है…….. और इसमें कई अदालतों का हस्तक्षेप रहा है……. उनकी उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं विशेष रूप से हृदय रोग……. और प्रोस्टेट की समस्याओं को आधार बनाकर उनके वकीलों ने बार-बार जमानत की मांग की है………. नीचे इसकी समयरेखा दी गई है…….
बता दें कि 7 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को गुजरात के बलात्कार मामले में 31 मार्च तक मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी……. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगर जमानत की अवधि को और बढ़ाने की जरूरत हो……. तो उन्हें गुजरात हाई कोर्ट का रुख करना होगा….. इस दौरान आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल से भगत की कोठी में बने आरोग्य चिकित्सा केंद्र में भर्ती किया गया…… जहां उनका आयुर्वेदिक और नेचुरोपैथी उपचार चल रहा था……..
31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की जमानत अवधि समाप्त होने से पहले…….. आसाराम ने गुजरात हाई कोर्ट में छह महीने की अस्थायी जमानत के लिए याचिका दायर की…….. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान……. जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस संदीप एन भट्ट की खंडपीठ में मतभेद हो गया…….. जस्टिस भट्ट ने जमानत देने से इनकार किया…….. उनका कहना था कि आसाराम ने पहले दी गई जमानत का सही उपयोग नहीं किया……. और डॉक्टरों की सलाह का पालन नहीं किया……. वहीं जस्टिस वोरा ने जमानत देने के पक्ष में राय दी……
इस मतभेद के कारण मामला तीसरे जज……. जस्टिस ए.एस. सुपेहिया के पास भेजा गया…….. जस्टिस सुपेहिया ने 28 मार्च 2025 को आसाराम को तीन महीने की अस्थायी जमानत दे दी……… जो 30 जून 2025 तक वैध थी…….. कोर्ट ने माना कि 86 वर्षीय आसाराम को उनकी उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इलाज का अधिकार है…… आपको बता दें कि 30 जून को जमानत की अवधि समाप्त होने से पहले……. आसाराम के वकीलों ने फिर से गुजरात हाई कोर्ट में जमानत विस्तार की मांग की……. 27 जून 2025 को कोर्ट ने उनकी अस्थायी जमानत को 7 जुलाई तक बढ़ा दिया……. ताकि उनके वकील याचिका से संबंधित दस्तावेज जमा कर सकें……..
3 जुलाई 2025 को गुजरात हाई कोर्ट की खंडपीठ……. जिसमें जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस पी.एम. रावल शामिल थे……. उन्होंने आसाराम की अस्थायी जमानत को एक महीने के लिए और बढ़ाने का फैसला किया…….. आसाराम के वकील ने तीन महीने के विस्तार की मांग की थी……. लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अंतिम विस्तार होगा….. और इसे सिर्फ एक महीने के लिए बढ़ाया जाएगा……… कोर्ट ने यह फैसला आसाराम की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया…….
आसाराम के वकीलों ने बार-बार उनकी उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं को जमानत का आधार बनाया है……. मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार आसाराम को निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याएं हैं……. आसाराम को पहले हार्ट अटैक हो चुका है……. और वह हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से जूझ रहे हैं……. उनकी उम्र के कारण प्रोस्टेट से संबंधित गंभीर समस्याएं हैं…… जिसको लेकर डॉक्टरों ने उन्हें पंचकर्म थेरेपी…… और अन्य आयुर्वेदिक उपचार की सलाह दी है……. जो 90 दिनों का कोर्स है……
आसाराम के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि उनकी उम्र और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें जेल के बाहर बेहतर इलाज की जरूरत है……… हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि आसाराम ने पहले दी गई जमानत का सही उपयोग नहीं किया……. और कई बार डॉक्टरों की सलाह का पालन नहीं किया…..
हालांकि कुछ मौकों पर आसाराम पर इन शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है……. फरवरी 2025 में एक एक्स पोस्ट में दावा किया गया कि जमानत पर इंदौर पहुंचे आसाराम ने वहां अपने अनुयायियों से मुलाकात की……. और प्रवचन दिया जो जमानत की शर्तों का उल्लंघन था…….. यह जानकारी पुष्ट नहीं है……. लेकिन इसने उनके जमानत के उपयोग पर सवाल उठाए हैं…….
आसाराम के मामले ने समाज और कानून दोनों स्तरों पर गहरे प्रभाव डाले हैं……. उनके अनुयायी उन्हें एक आध्यात्मिक गुरु मानते हैं…… और दावा करते हैं कि उनके खिलाफ साजिश रची गई है……. दूसरी ओर पीड़ितों और उनके समर्थकों का कहना है कि आसाराम ने अपनी शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग किया…….
आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करने वाली पीड़िताओं……. और उनके परिवारों ने भारी दबाव का सामना किया है…… एक पोस्ट के अनुसार जोधपुर मामले में पीड़िता के परिवार को 400 करोड़ रुपये तक की रिश्वत की पेशकश की गई थी…….. ताकि वे मामले को वापस ले लें…… लेकिन परिवार ने इस पेशकश को ठुकरा दिया….. और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखी……. यह दर्शाता है कि पीड़ितों के लिए यह मामला केवल कानूनी नहीं…….. बल्कि सामाजिक और भावनात्मक भी है…….
कानूनी दृष्टिकोण से आसाराम का मामला यह सवाल उठाता है कि….. क्या गंभीर अपराधों में दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को मेडिकल आधार पर बार-बार जमानत दी जानी चाहिए……… गुजरात हाई कोर्ट ने अपने नवीनतम फैसले में यह स्पष्ट किया कि यह जमानत का अंतिम विस्तार होगा…….. जिससे संकेत मिलता है कि कोर्ट इस प्रक्रिया को अनिश्चितकाल तक नहीं चलने देना चाहता……. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में टिप्पणी की थी कि…… नियमित जमानत याचिका लंबित रहने पर बार-बार अस्थायी जमानत देना उचित नहीं है…….
आसाराम के मामले ने भारत में स्वयंभू संतों……. और उनके आश्रमों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं……. कई लोग मानते हैं कि ऐसे व्यक्तियों को अपने प्रभाव का उपयोग करके कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश होती है…… दूसरी ओर उनके अनुयायी इसे साजिश के रूप में देखते हैं……… जिसका उद्देश्य उनकी आध्यात्मिक छवि को नुकसान पहुंचाना है…….
वहीं आसाराम के बेटे नारायण साईं भी एक समान मामले में शामिल हैं……. पीड़िता की बहन ने उनके खिलाफ भी यौन शोषण का आरोप लगाया था……. अप्रैल 2019 में सूरत की एक अदालत ने नारायण साईं को दोषी ठहराया……. और आजीवन कारावास की सजा सुनाई……. इस मामले ने आसाराम और उनके परिवार की छवि को और अधिक नुकसान पहुंचाया…….
आपको बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह जमानत का अंतिम विस्तार है……. इसका मतलब है कि एक महीने की अवधि समाप्त होने के बाद……. आसाराम को जेल लौटना होगा…….. जब तक कि कोई असाधारण परिस्थिति न हो…… उनकी अपील अभी भी गुजरात और राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित है…….. और इनका निपटारा होने तक उनकी कानूनी स्थिति अनिश्चित बनी रहेगी……
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 22 नवंबर 2024 को आसाराम की सजा को निलंबित करने की याचिका पर सुनवाई की थी……. और गुजरात सरकार से जवाब मांगा था……. इस मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर 2025 को होनी है…….. लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह केवल मेडिकल आधार पर विचार करेगा…..