लुभावने ऑफर जेब कर रहे खाली

4PM न्यूज नेटवर्क: दीपावली के समीप आते ही बाजार ने लोगों की दहलीज पर जोरदार दस्तक दे दी है। दीपावली के मौके पर बाजार पूरी तरह से गुलजार हो चुके हैं। यूपी की राजधानी लखनऊ की अगर बात की जाए तो लखनऊ के सदर और अमीनाबाद बाजार में भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं। दीपावली के मौके पर हर साल इस बाजार में जमकर भीड़ इकठ्ठा होती है। बाजार में लक्ष्मी गणेश की मूर्ति के अलावा लोग रंगोली, सामग्री एवं पूजा पाठ का सामान भी खरीदते हुए नजर आ रहें हैं।

आपको बता दें कि दीपावली से पहले लोग खरीदारी कर रहे हैं, ताकि त्योहार के एक दिन पहले भीड़ में लोगों को न आना पड़े, वहीं शहर में पटाखा की थोक दुकानों पर फुटकर दुकानदारों की भीड़ जुटना शुरू हो गई है। वहीं हालत ये है कि हालत यह है कि टीवी पर खबरें कम, विज्ञापन बेशुमार दिखाई देते हैं।

मोहल्ले की दुकानें हो रही हैं वीरान

अब तो दुकान पर जाकर लाइन में लगने के दिन भी लद गए हैं, सब कुछ ऑनलाइन खरीदी पर फ्री होम डिलीवरी की जद में आ चुका है, जिससे मोहल्ले की दुकानें वीरान और बहुराष्ट्रीय कंपनियां मालामाल हो रही हैं, तो वहीं कुछ लोग त्योहार के समय स्वदेशी का हांका जरूर लगाते हैं, मगर बाजार के मंजे हुए खिलाड़ी उनकी आवाज को सुनियोजित तरीके से दबा देते हैं या फिर प्रबल प्रचार के बल पर अपने मिशन में कामयाब हो जाते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक सामान पर धड़ल्ले से डिस्काउंट

इसे लेकर कुछ लोगों का मानना है कि जब से देश में नव-धनाढ्य वर्ग अस्तित्व में आ गया है, बाजार ने उनकी उमंगों को पंख देने का काम किया है। उधारी को क्रेडिट का नाम देकर नई पीढ़ी को कर्जदार बनाने के लिए नित नए जतन किए जा रहे हैं, जिससे गैर जरूरी वस्तुओं को खरीदने का एक फैशन बन गया है। ऊपरी चकाचौंध और दिखावे की ललक ने बाजार को पोषित करने का काम किया है।

ऐसे में लुभावने ऑफर और जेब खाली करने वाली स्कीम मध्यम वर्ग के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बिजली के भारी-भरकम बिल के बोझ तले दबे आदमी को इलेक्ट्रॉनिक सामान धड़ल्ले से डिस्काउंट पर दिया जा रहा है।

जहां एक ओर बाज़ारवादी मानसिकता अपने चरमोत्कर्ष पर है। वहीं दूसरी ओर, समाज का स्याह पक्ष भी देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरी तरफ देश का किसान मौसम की मार झेल रहा है, मगर बाजार के नुमाइंदे गांव-गांव जाकर मनोहारी सपने दिखा रहे हैं। छोटे-छोटे कारिंदे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। आज लोग पुराने जूते लेकर मोची के पास नहीं जाते हैं, माल और बड़े शो रूम ने दर्जी की रफ़ू और कारी की आमद रोक दी है। कुम्हार के मिट्टी के दीये लपजप करती चाइनीज़ सीरीज की भेंट चढ़ गए। या यूं कहें कि ‘यूज एंड थ्रो’ कल्चर के आगे सभी नतमस्तक हो चुके हैं।

 

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