यूपी में भगौड़े अपराधियों की खैर नहीं : अवनीश अवस्थी
- शीघ्र गिरफ्तारी के निर्देश, 669 विवेचनाओं का हुआ निस्तारण
लखनऊ। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने अपराधियों के विरूद्ध की जा रही कड़ी कार्यवाही के तहत आर्थिक अपराध करने वाले भगौड़े अपराधियों के विरूद्ध अभियान चलाकर उनकी गिरफ्तारी किए जाने के निर्देश दिए हैं। अवनीश कुमार अवस्थी की अध्यक्षता में आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हुई कार्यवाही की गहन समीक्षा की गई। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन का कार्य देख रहे पुलिस महानिदेशक राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि इस संगठन की कार्यणाली को और अधिक चुस्त दुरूस्त व प्रभावी बनाने के प्रयासो के सार्थक परिणाम सामने आए है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017 से 31 अगस्त, 2021 तक आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 669 विवेचनाओं का निस्तारण किया गया। उल्लेखनीय है कि ईओडब्लू के इतिहास में पहली बार वर्ष 2018 में जांच व विवेचनाओं के निस्तारण की संख्या सौ से ऊपर पहुंची है। वर्ष 2019 में 239 जांच व विवेचनाओं का निस्तारण किया गया, जो कि ईओडब्लू के इतिहास में एक वर्ष में सर्वाधिक निस्तारित प्रकरणों की संख्या है। अवनीश अवस्थी ने बताया कि आर्थिक अपराध से जुड़े भ्रष्टाचार के संगीन मामलों एवं गंभीर प्रशासकीय व वित्तीय अनियमितताओं संबंधी 34 जांच व विवेचना पूर्ण करके दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्व वैधानिक कार्यवाही शुरू की गई है। विभिन्न शासकीय विभागों, सरकारी संस्थाओं, निजी संस्था के कुल-434 अभियुक्तों (लोकसेवक- 175 गैर सरकारी-259) के विरुद्व कठोर वैधानिक कार्यवाही करते हुए 75 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गयी। 175 अधिकारियों, कर्मचारियों को विभिन्न जांच व विवेचना में भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया। ईओडब्लू में सेक्टरवार थानों के सृजन की कार्यवाही चल रही है। इस कड़ी में 4 सेक्टरों क्रमश: लखनऊ, कानपुर, मेरठ एवं वाराणसी को थाने के रूप में अधिसूचित किया गया है।
16 अभियुक्तों के विरूद्ध लुकऑउट नोटिस
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में रिकार्ड 244 अभियुक्तों के विरूद्ध विशेष प्रयास कर अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की गयी। साथ ही 16 अभियुक्तों के विरूद्ध लुकऑउट नोटिस जारी किए गए, जिसके आधार पर तीन अभियुक्तों को विभिन्न एयर पोर्ट पर रोक कर उनके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की गई। बहुचर्चित बाइक बोट घोटाला में एक अभियुक्त के विरुद्व ईओडब्लू द्वारा सीबीआई से समन्वय स्थापित कर रेड कार्नर नोटिस जारी कराया गया, जो इस संगठन के इतिहास में पहली बार हुआ है।
एलडीए की कालोनी में मिल सकती हैं दुकान खोलने की अनुमति
लखनऊ। आपका मकान अगर 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़क पर है तो लविप्रा द्वारा निर्धारित गाइडलाइन के तहत वाणिज्यिक गतिविधियां कर सकेंगे। यह एक बड़ा फैसला लखनऊ विकास प्राधिकरण आगामी बोर्ड मीटिंग में लाने जा रहा है। अगर इस प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है तो हजारों अवैध निर्माण वैध हो जाएंगे और व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी। बोर्ड में प्रस्ताव पास होने के बाद इसे शासन स्तर से भी मंजूरी ली जा जाएगी। उधर आवासीय कालोनी में वाणिज्यिक गतिविधियां बढ़ने से उन लोगों को परेशानी उठानी पड़ सकती है, जिन्होंने नियोजित कालोनी में नियोजित तरीके से जीवन यापन करने के उद्देश्य से प्राधिकरण की योजना में आवंटन कराया था। लविप्रा की नियोजित कालोनियों में यह प्रयोग करने की तैयारी है। 15 और 17 सितंबर को गठित कमेटी इस पर चर्चा भी कर चुकी है। कमेटी में नगर निगम, लविप्रा, पीडब्ल्यूडी, परिवहन विभाग, पुलिस जैसे विभाग शामिल हैं। लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि लविप्रा अपनी नियोजित कालोनियों की चौड़ी सड़कों पर स्थित आवासीय मकानों के कुछ हिस्से में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए अनुमन्य करने का प्रस्ताव बना रहा है। इसके लिए कमेटी गठित हैं, जिसमें कई सरकारी संस्थाएं हैं। दो चरण की बैठक हो चुकी है। बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पास होने के बाद ही कुछ कहना संभव होगा।
शासन का शैक्षिक कैलेंडर लागू कराने में आ रही मुश्किलें
लखनऊ। सत्र 2021-22 के लिए शासन स्तर से जारी शैक्षिक कैलेंडर प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिए मुसीबत बन गया है। विश्वविद्यालयों की अलग-अलग परिस्थितियों के कारण इसे लागू कराने में मुश्किलें आ रही हैं। इन्हीं मुश्किलों को देखते हुए फिर से पहले की तरह विश्वविद्यालय स्तर से शैक्षिक कैलेंडर जारी किए जाने की मांग उठने लगी है। कारोना महामारी की परिस्थितियों के कारण पटरी से उतरे शैक्षिक सत्र को फिर से नियमित करने की कवायद के क्रम में खुद शासन स्तर से शैक्षिक कैलेंडर को संशोधित किया जा चुका है। बावजूद इसके हर विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम की रूपरेखा अलग-अलग होने से यह कैलेंडर सुविधाजनक नहीं हो पा रहा है। कुछ विश्वविद्यालयों में ज्यादातर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई वार्षिक परीक्षा प्रणाली के तहत चल रही है तो कुछ ने सेमेस्टर प्रणाली अपना रखी है। सत्र 2021-22 से सभी विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के तहत च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के अनुसार सेमेस्टर प्रणाली अपनाने को कहा गया है। इसके तहत कई तरह के बदलाव होने हैं। साथ ही स्नातक स्तर पर एक समान पाठ्यक्रम भी लागू करने को कहा गया है।