आत्मकथा के बहाने आजाद ने साधा कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में राहुल गांधी-सोनिया गांधी के साथ कांग्रेस के अन्य दिग्गजों पर भी निशाना साधा है। आजाद ने अपनी आत्मकथा में कई ऐसे अहम खुलासे किए हैं जो चौंकाने वाले हैं। उन्होंने देश की सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस के साथ अपने सफर, शीर्ष नेताओं के साथ संबंध याद करते हुए अपनी आत्मकथा में कई खट्टे-मीठे अनुभव शेयर किए हैं।
ऐसा ही एक अनुभव उन्होंने सन् 2020 का लिखा है, जब त्र23 नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान को एक चि_ी लिखी थी। आत्मकथा में आजाद लिखते हैं कि वह चि_ी कांग्रेस के लिए एक वेकअप कॉल थी, ताकि पार्टी सुधारात्मक रवैया अपनाए, लेकिन राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने उसे चुनौती समझा और वो किया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।
आत्मकथा में गुलाम नबी आजाद ने लिखा है कि आलाकमान को त्र-23 नेताओं ने जो पत्र लिखा था, उसमें कांग्रेस संचालन के तौर तरीकों में बदलाव की बात कही गई थी। पार्टी को बताया गया था कि ये पतन की शुरुआत है, इसलिए बचाव के प्रयास करने होंगे। पत्र में पार्टी चुनाव कराने का नया तरीका बताया गया था।
गुलाम नबी आजाद ने लिखा है कि जी23 नेताओं की ओर से लिखा गए उस पत्र को कांग्रेस को वेकअप कॉल की तरह लेना चाहिए था, लेकिन राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने इसे अपने अधिकार के लिए एक चुनौती माना। सलाह मानना तो दूर हमें भारत समर्थक तक बता दिया गया। गुलाम नबी लिखते हैं कि – ‘यदि सच में हम भाजपा समर्थक होते तो पत्र लिखने की जरूरत ही क्यों होती, हम चीजों को वैसे ही चलने देते जैसी चल रही थीं’
गुलाम नबी आजाद अपना दर्द भी जाहिर करते हैं, वह कहते हैं कि सबको पता है कि मैंने हमेशा सरकार से ज्यादा संगठन को तरजीह दी है। इसके बावजूद उस पत्र के तुरंत बाद मुझे महासचिव पद से हटा दिया गया। 40 साल तक लगातार मैं राष्ट्रीय स्टार प्रचारकों की सूची में रहा, लेकिन मुझे उस लिस्ट से भी बाहर कर दिया गया।
गुलाम नबी आजाद ने आत्मकथा में पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश समेत अन्य नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने त्र-23 में मेरी भूमिका पर सवाल उठाया था। उन्होंने ‘द ग्रैंड ओल्ड पार्टी : ब्लोपर्स एंड बॉम्बैस्ट’ शीर्षक से इस बारे में लिखा है।
उन्होंने लिखा है कि ‘सलमान खुर्शीद ने एक लेख में त्र-23 नेताओं को ‘रिबेल्स विद ए कॉज’ कहा था। मैं दोहराना चाहूंगा कि हमने उस सीढ़ी को पैर नहीं मारा जिससे हम शीर्ष तक पहुंचे थे।’ उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कैसे संसद में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने की घोषणा के बाद उन्होंने विपक्ष से विरोध करने के लिए कहा था, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इससे इन्कार कर दिया था और वह अपनी जगह पर जमे रहे थे।

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