मैदान पर बल्ले-गेंद का धमाल देश में सियासी बवाल

- भारत-पाकिस्तान मैच ने सजाई राजनीतिक पिच
- न्यू इंडिया में पसीना और खून साथ बहेगा
- विपक्ष के दबाव में नहीं आयी सरकार मैच तो हो कर रहेगा
- सभी तैयारियां पूरी टीम इंडिया ने की प्रेक्टिस हर हाल में जीतेंगे
- बैटिंग कोच बोले हमारा ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान का मुकाबला क्रिकेट के मैदान से कहीं आगे बढ़ चुका है। बैट-बॉल की टक्कर पर राजनीतिक रायता पीएम मोदी के उस बयान के आधार पर फैल चुका है जो उन्होंने कभी भारत-पाक मैच के संदर्भ में दिया था।
गौरतलब है कि 14 सितंबर को एशिया कप में खेले जाने वाले भारत बनाम पाकिस्तान मैच को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है। टिकट बिक चुके हैं, और दोनों ही टीम मैदान पर अभ्यास कर अपना पसीना बहा रही है। इनसब चीजों के बरअक्स मैदान के बाहर भी इस मुद्दे को लेकर राजनेताओं के बीच भयंकर गर्मी दिखाई दे रही है। मैच के समर्थन में बल्लेबाजी कोच का बयान आया है कि सरकार से इजाजत मिलने के बाद ही टीम मैच खेलने के लिए तैयार है। वहीं विपक्षी सांसद और नेता आग बबूला है और पाकिस्तान के साथ मैच खेलने को देश के साथ गद्दारी बता रहे हैं।
क्या साथ-साथ चलेगा खून-पसीना?
पीएम मोदी ने कहा था कि पसीना और खून साथ-साथ नहीं बह सकते। उनके इस बयान को सामने रखकर विपक्ष की गूंज संसद से लेकर मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुनाई दे रही है। विपक्ष का कहना है कि जब सरहद पर तनाव है। सैनिक शहीद हो रहे हैं तब मैच और पसीना साथ-साथ नहीं बह सकता। सरकार पलटवार कर रही है कि खेल को राजनीति से जोडऩा देशहित में नहीं है। नतीजा जितनी गर्मी ग्राउंड पर नहीं होगी उससे कहीं ज्यादा राजनीतिक पिच पर दिखाई दे रही है।
विपक्ष बता रहा है भारत की कू टनीतिक हार
विवाद सिर्फ टीवी स्टूडियो या अखबारों तक सीमित नहीं है। संसद में भी यह मुद्दा बार-बार उठाया गया। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि सरकार राष्ट्रीय भावना से समझौता कर रही है। सरकार के सांसद जवाब देते हैं कि विपक्ष देश की खेल भावना को चोट पहुंचा रहा है। कई बार सदन की कार्यवाही ठप हो गई और बहस का केंद्र यही रहा कि भारत-पाक मैच होना चाहिए या नहीं। विपक्ष का तर्क है कि जब सीमा पर खून बह रहा है तब मैदान पर ताली क्यों?, यह सिर्फ क्रिकेट नहीं यह शहीदों की आत्मा का सवाल है। उनका कहना है कि खेल के नाम पर पाकिस्तान को मंच देना भारत की कूटनीतिक हार है।
ऑपरेशन सिंदूर जारी, तो पाकिस्तान से मैच की इजाजत किसने दी : प्रियंका चतुर्वेदी
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि एशिया कप के तहत, 14 सितंबर को दुबई में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच होना है। मैंने संसद में यह मुद्दा इसलिए उठाया था क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब मैं संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में विभिन्न देशों के दौरे पर गया था, तो हमें बताया गया था कि आतंकवाद से कोई बातचीत या व्यापार नहीं होगा। पहलगाम में 26 युवाओं की जान चली गई और 26 महिलाएं विधवा हो गईं। इसीलिए ऑपरेशन सिंदूर हुआ और हमने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। चतुर्वेदी ने अपने लेख में कहा कि हमने यह भी संकल्प लिया था कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खात्मे की दिशा में काम नहीं करेगा, तब तक हम उसके साथ सभी तरह की बातचीत और व्यापार बंद कर देंगे। अब इस क्रिकेट मैच की घोषणा हो गई है। मेरे और देश के कई नागरिकों के बार-बार अनुरोध के बावजूद, यह हो रहा है। मैंने केंद्रीय गृह मंत्री से आग्रह किया था कि वे बीसीसीआई अध्यक्ष से मैच रद्द करने का अनुरोध करें। पाकिस्तानी क्रिकेटर अपने सोशल मीडिया पर हमें और ऑपरेशन सिंदूर को अपमानित करते पाए गए। वे हमेशा अपने देश के आतंकवादियों के साथ खड़े रहे।
सिर्फ दिमाग में क्रिकेट
भारत के बल्लेबाजी कोच सितांशु कोटक ने कहा है कि बीसीसीआई और सरकार की अनुमति के बाद ही हम इस मुकाबले के लिए तैयार हैं। यह एक टक्कर का मैच होगा। भारत-पाक का मुकाबला हमेशा टक्कर का होता है। तो हम उसी पर फोकस करना चाहेंगे। कोटक से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान के खिलाफ मैचों का बहिष्कार करने की बातों के बीच क्रिकेट पर ध्यान देना मुश्किल होता है? इस पर कोटक ने कहा कि सच कहूं तो मुझे ऐसा नहीं लगता। जब हम खेलने आते हैं तो खिलाड़ी सिर्फक्रिकेट खेलने पर फोकस करते हैं।
राजनीति का पुराना खेल
भारतीय राजनीति का यह पुराना खेल है कि पाकिस्तान से हर रिश्ता चाहे वह बातचीत का हो व्यापार का हो या खेल का। सीमा पर तनाव के आईने से देखा जाता है। विपक्ष इस मौके पर सरकार को घेरने के लिए बार-बार यही दोहरा रहा है कि मैच, गोली साथ साथ नहीं चल सकते।
शहीद शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या द्विवेदी ने किया विरोध
पहलगाम आतंकी हमले के शहीद शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या द्विवेदी ने आगामी भारत-पाकिस्तान मैच का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने बीसीसीआई पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए कहा कि मैच से मिलने वाला राजस्व पाकिस्तान आतंकवाद के लिए इस्तेमाल करेगा, इसलिए क्रिकेटरों को इसका बहिष्कार करना चाहिए और लोगों से भी मैच न देखने की अपील की। यह मुद्दा भारत-पाक संबंधों और राष्ट्रीयता पर गंभीर बहस छेड़ता है। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई को भारत और पाकिस्तान के बीच मैच की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। मुझे लगता है कि बीसीसीआई उन 26 परिवारों के प्रति भावुक नहीं है। हमारे क्रिकेटर क्या कर रहे हैं? कहा जाता है कि क्रिकेटर राष्ट्रवादी होते हैं। इसे हमारा राष्ट्रीय खेल माना जाता है। लेकिन 1-2 क्रिकेटरों को छोड़कर, किसी ने आगे आकर यह नहीं कहा कि हमें पाकिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार करना चाहिए।
खिलाड़ी भी विरोध में
पूर्व खिलाड़ी केदार जाधव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि मैंने पहले ही कहा था कि मेरे हिसाब से भारत-पाकिस्तान के बीच यह मुकाबला नहीं खेला जाना चाहिए लेकिन रविवार को मैच होने जा रहा है। पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज अशोक डिंडा ने भी भारत बनाम पाकिस्तान मैच का विरोध किया है और सवाल खड़े किये है कि आखिर मैच क्यो? उन्होंने कहा कि बतौर खिलाड़ी मैं जरूर चाहूंगा कि भारत-पाकिस्तान आपस में खेलें लेकिन सबसे पहले मैं एक भारतीय हूं। पाकिस्तान बार-बार हमारे देश पर हमले कर रहा है। ऐसे में उसके साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए।




