भोपाल नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने, सीएम को पत्र लिखकर नाम बदलने की मांग उठाई
किशन सूर्यवंशी ने भोपाल रियासत के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खां पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने आजादी के बाद दो साल तक भोपाल रियासत का भारत में विलय नहीं होने दिया।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: भोपाल नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने एक बार फिर नाम बदलने की राजनीति को हवा देते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखा है।
इसमें उन्होंने राजधानी भोपाल के प्रतिष्ठित संस्थानों, हमीदिया कॉलेज, हमीदिया अस्पताल और हमीदिया स्कूल का नाम बदलने की मांग की है। सूर्यवंशी का कहना है कि इन संस्थानों का नाम भारत के राष्ट्रभक्तों के नाम पर रखा जाना चाहिए, जैसा कि हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा सीएम राइज स्कूल का नाम ‘सांदीपनि विद्यालय’ किया गया था। उनका मानना है कि राष्ट्रभक्तों के नाम पर इन संस्थानों का नामकरण विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देगा।
किशन सूर्यवंशी ने भोपाल रियासत के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खां पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने आजादी के बाद दो साल तक भोपाल रियासत का भारत में विलय नहीं होने दिया। सूर्यवंशी ने दावा किया कि नवाब पाकिस्तान जाकर वहां का वजीर बनना चाहते थे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने वाले पोस्ट मास्टर को नवाब ने जेल भेज दिया था। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि विलय आंदोलन के दौरान 6 स्वतंत्रता सेनानियों को गोली मारी गई थी, लेकिन उन्होंने तिरंगा नहीं गिरने दिया।
कांग्रेस का तीखा पलटवार
इस मांग पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हाफिज ने भाजपा और नगर निगम अध्यक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा ऐसे लोगों को पद दे रही है, जो इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। हाफिज ने कहा कि नवाब हमीदुल्लाह खां ने शांतिपूर्वक भारत सरकार से समझौता कर भोपाल का मर्जर किया था। वे न कभी पाकिस्तान गए, न ही भारत सरकार ने उन्हें किसी भी स्तर पर शत्रु घोषित किया।
हाफिज ने भाजपा पर सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की एक कोशिश है। उन्होंने सवाल किया कि जब भारत सरकार को हमीदिया संस्थानों के नाम से कभी आपत्ति नहीं रही, तो अब यह विवाद क्यों?
बता दें किसी भी ऐतिहासिक या सार्वजनिक संस्थान का नाम बदलना केवल नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसके लिए राज्य सरकार या केंद्र सरकार की स्वीकृति आवश्यक होती है। संसद द्वारा पारित नियमों और अधिसूचनाओं के तहत ही ऐसे बदलाव संभव हैं।
हमीदिया संस्थानों के नाम बदलने की मांग को लेकर भोपाल में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। जहां भाजपा राष्ट्रवादी आधार पर नाम बदलने की पक्षधर दिख रही है, वहीं कांग्रेस इसे विभाजनकारी राजनीति करार दे रही है। फिलहाल राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.



