राहुल गांधी की पूछताछ के खिलाफ प्रदर्शन, प्रमोद तिवारी समेत कांग्रेस के बड़े नेता हाउस अरेस्ट

  •  राहुल गांधी को ईडी से समन मिलने का विरोध

लखनऊ। कांग्रेस के पूर्व राष्टï्रीय अध्यक्ष केरल के वायनाड़ से लोकसभा के सदस्य राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से समन भेजे जाने और उनसे पूछताछ का विरोध उत्तर प्रदेश तक पहुंच गया है। लखनऊ में गुरुवार को कांग्रेस के बड़े नेताओं ने राजभवन घेराव की योजना तैयार की थी। उनके घेराव करने से पहले ही इन सभी को हाउस अरेस्ट किया गया है। लखनऊ में उत्तर प्रदेश राजभवन का घेराव करने से पहले ही प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं को नजरबंद किया गया है। लखनऊ पुलिस ने कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी और मीडिया विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत कई नेताओं को नजरबंद किया है। पूर्व राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया को भी उनके घर में ही पुलिस के घेरे में रखा गया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से समन भेजे जाने के विरोध में आज राजभवन के घेराव का ऐलान किया था। कांग्रेस विधायक दल की नेता अपनी पुत्री अराधना मिश्रा उर्फ मोना के सरकारी आवास में प्रमोद तिवारी को नजरबंद किया गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से बीते दो दिन से नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने करीब 23 घंटों तक पूछताछ की है। राहुल ने ईडी से इस मामले में जल्दी पूछताछ पूरी करने की मांग की थी, लेकिन उन्हें बुधवार को दोबारा समन किया गया था। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष से पहले दिन करीब नौ घंटों की पूछताछ के दौरान बैंक खातों, विदेशों में संपत्ति से जुड़े सवाल किए गए थे। दूसरे दिन अधिकारियों ने लगभग 10 घंटों तक सवाल पूछे। बताया जा रहा है कि उस दौरान भी राहुल निजी बैंक खातों को लेकर ठीक तरह से जवाब नहीं दे सके थे।

बुलडोजर एक्शन पर योगी सरकार को सुप्रीम नोटिस, मांगा जवाब

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में हिंसा के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से तीन दिनों में जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब अगले हफ्ते मंगलवार को मामले में सुनवाई होगी। सुप्रीमकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि कोई भी तोड़फोड़ की कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया से हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि ये बदले की कार्रवाई है। अब ये कितनी सही है, हमें नहीं मालूम। ये रिपोर्ट्स सही भी हो सकती हैं और गलत भी। अगर इस तरह के विध्वंस किए जाते हैं तो कम से कम जो कुछ किया जा रहा है, वह कानून की प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए। कोर्ट की ओर से की गई इस टिप्पणी पर योगी सरकार की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि क्या अदालत प्रक्रिया का पालन करने वाले निर्देश जारी कर सकती है? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। आप तीन दिनों में जवाब दाखिल करें। आप सुनिश्चित करें कि इस दौरान कुछ भी अनहोनी न हो। बता दें कि जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि कोर्ट यूपी सरकार को निर्देश दे कि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना आगे कोई विध्वंस नहीं किया जाए। इससे पहले योगी सरकार की ओर से सीनियर वकील हरीश साल्वे ने पक्ष रखा. योगी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि किसी भी धर्म को टार्गेट करके कार्रवाई नहीं की जा रही है। हरीश साल्वे ने कहा कि 2020 से योगी सरकार की ओर से ये कार्रवाई चल रही है और अभी तक कोई भी प्रभावित व्यक्ति कोर्ट में नहीं आया है।

यूपी में जो हो रहा है, वो असंवैधानिक : जमीयत के वकील
जमीयत की ओर से वकील सीयू सिंह ने जवाबदेही तय करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोर्ट तुरंत कार्रवाई पर रोक लगाए। वकील ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपेरशन एक्ट के मुताबिक बिना बिल्डिंग मालिक को अपनी बात रखने का मौका दिए कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है। इस पर जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि नोटिस जरूरी होता है, हमें इसकी जानकारी है। उन्होंने कहा यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डिवेलपमेंट एक्ट, 1973 के मुताबिक भी बिल्डिंग मालिक को 15 दिन का नोटिस और अपील दायर करने के लिए 30 दिन का वक्त देना जरूरी है। सिंह ने कहा कि 15 दिनों से 40 दिनों तक का समय देने की बात नियम में कही गई है, जिसमें कम से कम 15 दिनों तक किसी भी कार्रवाई करने से पहले इंतजार करना होता है। सिंह ने कहा कि यूपी में जो हो रहा है, वो असंवैधानिक है, एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

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