बिहार की राजनीति में बड़ा खेल: कुशवाहा की पार्टी में टूट, तीन विधायक गायब
बिहार में आखिरकार एनडीए में भयंकर तकरार सामने आना शुरु हो चुकी है। एक ओर जहां नीतीश कुमार को जोर का झटका लगने वाला है तो वहीं दूसरी ओर उनके बहुत करीबी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में न सिर्फ टूट पड़ी है

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार में आखिरकार एनडीए में भयंकर तकरार सामने आना शुरु हो चुकी है। एक ओर जहां नीतीश कुमार को जोर का झटका लगने वाला है तो वहीं दूसरी ओर उनके बहुत करीबी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में न सिर्फ टूट पड़ी है बल्कि उनके चार में से तीन विधायक बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन से मुलाकात के बाद दिल्ली रवाना हो चुके हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार में खरमास से पहले ही बड़ा खेल हो जाएगा कैसे नीतीश कुमार को उपेंद्र की विधायकों के इधर उधर होने से जोर का झटका लगा है और कैैसे खरमास से पहले बड़े खेल की बातें सामने आ रही है,
बिहार एनडीए के घटक दल आरएलएम में शायद विद्रोह हो गया है क्योंकि पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपने विधायकों को लिट्टी की दावत दी थी लेकिन उनके चार में से तीन विधायक कुशवाहा के खिलाफ खड़े हो गए , ये विधायक उपेंद्र कुशवाहा की दावत में न पहुंचकर सीधे बीजेपी के नए कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन के पास पहुंच गए। एक तरफ उपेंद्र कुशवाहा अपने विधायकों का इंतजार कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर ये विधायक बीजेपी अध्यक्ष नितिन नबीन के साथ फोटो सेशन में बिजी थे और बाद में यह फोटो रिलीज भी कर दी गई।
फोटो में साफ साफ दिख रहा है कि आरएलएम के तीन विधायक विधायक माधव आनंद, आलोक सिंह और रामेश्वर महतो हैं। मुलाकात की तस्वीर को रामेश्वर महतो ने बुधवार को ही अपने एक्स हैंडल से भी शेयर किया है, जो तस्वीर सामने आई है उसमें नितिन नबीन के दाहिने में रामेश्वर महतो हैं तो वहीं बाएं में माधव आनंद और पीछे में आलोक सिंह दिख रहे हैं। लिट्टी-चोखा भोज में तीनों विधायकों का शामिल न होना पार्टी के अंदर असहज स्थिति को इशारा कर रहा है। रामेश्वर महतो ने मुलाकात वाली तस्वीरों को शेयर करते हुए एक्स पर लिखा है कि –
आज भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष माननीय श्री नितिन नबीन जी से उनके पदभार ग्रहण के उपरांत औपचारिक एवं शिष्टाचार भेंट कर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं. इस अवसर पर मधुबनी विधानसभा के माननीय विधायक श्री माधव आनंद जी, दिनारा विधानसभा से माननीय विधायक श्री आलोक सिंह जी भी उपस्थित रहे. हम सभी ने उनके नए दायित्व के सफल एवं प्रभावी निर्वहन हेतु शुभेच्छाएं व्यक्त कीं।
ऐसे में साफ है कि आरएसएम के अंदरखाने में कुछ न कुछ तो चल रहा है। कहा जा रहा है कि ये तीन विधायक आरएलएम छोड़कर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। खबर तो यहां तक आई है कि नितिन नवीन से मुलाकात के बाद ये तीनों विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं। जिसके बाद से बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और ये न सिर्फ उपेंद्र कुशवाहा को जोर का झटका माना जा रहा है बल्कि नीतीश कुमार भी इससे कहीं न कहीं विचलित जरुर होंगे। पहले से ही आरएलएम में इस्तीफों की लहर चल रही है। 28 नवंबर 2025 को सात सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया, आरोप लगाते हुए कि पार्टी में परिवारवाद चल रहा है।
मतलब, उपेंद्र कुशवाहा अपने परिवार को आगे बढ़ा रहे हैं, जैसे उनके बेटे को मंत्री बनाना शमिल है। उपेंद्र कुशावाह ने अपने लड़के को मंत्री बना दिया जबकि न तो वो विधायक है और न ही पार्टी के पूरी तरह से एक्टिव मेंबर। ऐसे में भयंकर विद्रोह चल रहा है। जहां एक ओर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में उनके चार में से तीन विधायक नहीं पहुंचे हैं तो वहीं दूसरी ओर आरएलएम के 8 नेताओं को सामूहिक इस्तीफा भी सामने आया है। 25 दिसंबर को ही और इस्तीफे हुए हैं जिस अनंत गुप्ता और अन्य नेता आरएलएम छोड़कर जेडीयू में जा सकते हैं। पार्टी के बिजनेस विंग के नेता भी इस्तीफा दे चुके हैं। कुल मिलाकर आरएमएम के ज्यादातर लोग जेडीयू की ओर जा रहे हैं।
खबर है कि पिछले हफ्ते आरएलएम चीफ उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और इसके बाद ये चर्चा सामने आई थी कि उपेंद्र कुशावाहा एक बार फिर से अपनी पार्टी को जदयू में मर्ज करने जा रहे है। साल 2021 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी को जदयू में विलय कर दिया था लेकिन बाद में फिर बाद में वो फिर से अलग हो गए थे और अब एक बार फिर से पार्टी में खड़े हो रहे बडे विवाद से अपनी पार्टी को जदयू में विलय करने वाले थे लेकिन इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में विद्रोह हो गया है और फिलहाल इसकी वजह ये बताई जा रही है कि बीजेपी को इस बात की भनक लग गई है और बीजेपी के नए कार्यकारी अध्यक्ष जी उपर से आए आदेश के बाद आरएलएम के विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कराना चाहते हैं और यही वजह है कि जब उपेंद्र कुशवाहा की दावत को छोड़कर उनके विधायकों ने बीजेपी के वर्किंग प्रेसीडेंट से मुलाकात की है, और अब शायद दिल्ली के रवाना हो चुके हैं।
ऐसे में यह सिर्फ उपेंद्र कुशवाहा के लिए ही नहीं नीतीश कुमार के लिए भी जोर का झटका है। क्योंकि नीतीश कुमार चुनाव के बाद से ही अपने विधायकों की संख्या बढ़ा कर एनडीए की नंबर वन पार्टी बनना चाहते थे और उपेंद्र कुशावाहा के चार विधायकों के आने से नीतीश कुमार का ये सपना पूरा भी होने वाला था लेकिन अचानक बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष के एक्टिव हो जाने के कहीं न कहीं मामला गड़बड़ा गया है।
वैसे भी नितिन नबीन और नीतीश कुमार के बीच बहुत अच्छे संबंध न होने की बात कही जाती है। नितिन नवीन पीएम साहब के बहुत ही करीबी माने जाते हैं और नितिन नबीन का अध्यक्ष बनना ही इस बात का सबूत है कि बीजेपी बिहार में खुद को न सिर्फ मजबूत करना चाहती है बल्कि सत्ता पर सीधी पकड़ को बनाए रखना चाहती है, ऐसे में यह नीतीश कुमार के लिए यह एक बड़ा चैलेंज तैयार हो गया है। क्योंकि जिस तरीके में जदयू में विलय होने जा रही आरएलएम को बीजेपी अपने ओर जोड़ने की कोशिश में लग गई है, इससे साफ है कि अंदरखाने में सियासत पूरे चरम पर है।
अभी चार दिन पहले ही नीतीश कुमार अचानक पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात करके वापस आए हैं और उसके बाद जिस तरीके से बिहार की राजनीति सरगर्मियां बढ़ रही है, वो एनडीए के अंदरखाने में चल रही भारी उथल पुलथ के संकेत हैं। एक ओर जहां उपेंद्र कुशवाह की पार्टी में टूट की संभावनाएं बढ़ गई हैं तो वहीं दूसरी ओर जीतन राम मांझी के तेवर भी सख्त हैं। वो अमितशाह को उनके पुराने वादे याद दिला रहे हैं कि कैसे बीच चुनाव में उन्होंने उनके बेटे के लिए एक राज्य सभा सीट देने का वादा किया था लेकिन इस पर भी फिलहाल गोट फंसी हुई है लेकिन पूरे मामले में एक बात साफ है कि चुनाव से पहले बिहार में उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के साथ थे और सरकार बनने से लेकर सरकार बनने के बाद तक भी नीतीश कुमार के साथ ही खड़े हैं और अब बीजेपी इस गोल में सेंधमारी की कोश्शि में है।
क्योंकि बीजेपी चाहती है कि उपेंद्र कुशवाहा हो या फिर जीतन राम मांझी, दोनों दल नीतीश कुमार के हिसाब से नहीं बल्कि बीजेपी के हिसाब से चले क्योंकि भले से ही नीतीश कुमार सीएम हैं लेकिन उनको सीएम बनाने वाली पार्टी बीजेपी है और शायद इसलिए ही पूरी व्यूहरचना तैयार की गई है। जिसमें न सिर्फ उपेंद्र कुशावाहा के विधायक बीजेपी में जा सकते हैं बल्कि उपेंद्र कुशवाहा के लड़के का मंत्री पद भी फंस गया है। क्योंकि अगर उनकी पार्टी टूटती है तो उनके लड़के कहीं से विधयाक नहीं है और ऐसे में उनकी सदस्यता पर सवाल खड़ा हो गया है। वैसे दावा किया जा रहा था कि बिहार एनडीए में टिकट बंटवारे को लेकर खेल चल रहा था तो उपेंद्र कुशवाहा अचानक नाराज हो गए थे
और भागे भागे दिल्ली अमित शाह के घर पहुंचे थे और यहां पर अमितशाह ने उनको छह सीटों के अलावा एक राज्य सभा की सीट देने का वादा किया था और उसी वादे के आधार पर उन्होंने अपने बेटे को मंत्री बना दिया था लेकिन अब जिस तरह से पेंच फंसता दिख रहा है तो ऐसे में उनके बेटे के मंत्री पद भी खतरा बढ़ रहा है। क्योंकि जो एक राज्य सभा की सीट का जो वादा हुआ था उस पर अब जीतन राम मांझी की भी दावेदारी है। उन्होने सरेआम ऐलान कर दिया है कि चुनाव में अमितशाह ने उनको भी एक राज्य सभा सीट देने का वादा किया था। ऐसे में सिर्फ उपेंद्र कुशवाहा न सिर्फ बुरा फंसे है बल्कि उनकी पार्टी टूटने की भी नौबत है बल्कि बेटे का मंत्री पद भी छिनने जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार में खरमास से पहले बड़ा खेल होना तय है।



