Bihar में मतदाता सूची में हेराफेरी से जीता NDA, हुआ बड़ा खुलासा!
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं...और एक बार फिर 10वी बार बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शपथ ग्रहण करते हुए बिहार के CM बन गए हैं......NDA गठबंधन ने सरकार बना ली है...लेकिन इस जीत के इर्द-गिर्द गहरे सवाल और गंभीर आरोप लगातार मंडरा रहे हैं..

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं…और एक बार फिर 10वी बार बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शपथ ग्रहण करते हुए बिहार के CM बन गए हैं……NDA गठबंधन ने सरकार बना ली है…लेकिन इस जीत के इर्द-गिर्द गहरे सवाल और गंभीर आरोप लगातार मंडरा रहे हैं..
खासतौर पर मतदाता सूची से लाखों नामों को हटाने की प्रक्रिया पर……पहले तो विपक्ष की ओर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ही तमाम प्रेस-कॉन्फ्रेंस करते हुए वोट चोरी के तमाम सबूत पेश करते नजर आए हैं…जहां राहुल गांधी ने बताया कि कैसे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता की मिलीभगत के चलते हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार में SIR के जरिए वोट चोरी की जा रही है….
लेकिन अब विपक्ष के इन तमाम आरोपों के बाद अब द इंडियन एक्सप्रेस की एक सनसनीखेज रिपोर्ट ने इन नतीजों की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है…और देश की राजनीति में भारी भूचाल ला दिया है……तो, बिहार में सरकार बनाते ही BJP और ज्ञानेश कुमार के खिलाफ द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ऐसा क्या हुए खुलासा…जिससे बिहार विधानसभा चुनाव में फिक्सिंग का हुआ भांड़ाफोड़…
दोस्तों, विपक्ष पहले दिन से कह रहा है कि NDA…चुनाव आयोग के साथ मिलकर वोट चोरी कर रहा है…लेकिन NDA और चुनाव आयोग की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि विपक्ष के ये सारे आरोप झूठे हैं…विपक्ष हार की खीज में ये बातें कर रहा है…यहां तक कि कांग्रेस की ओर से बार-बार कई नंबर गेम का खुलासा भी किया जा रहा है….लेकिन फिर भी जैसा कि विपक्ष बार-बार कह रहा है कि ज्ञानेश कुमार BJP की B टीम की तरह काम कर रहे हैं और इसी वजह से विपक्ष साशित राज्यों में तो चुनाव आयोग सख्त होता है…..लेकिन जहां बीजेपी की बात आती है…तो वहां चुनाव आयोग आंख मूंद लेता है……..
लेकिन अब मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग की तैयारी कर रहे इंडिया गठबंधन को अब कुछ ऐसा मिल गया है….जिससे उसकी महाभियोग की तैयारी और पुख्ता हो सकती है….बिहार चुनाव के नतीजों से जुड़े एक सनसनीखेज खुलासे ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है…द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक…NDA गठबंधन ने उन सीटों पर एकतरफ़ा जीत दर्ज की…जहाँ लाखों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गुपचुप तरीके से हटाए गए थे…ये खुलासा विपक्ष के उन आरोपों को पुख्ता करता है कि वोटर लिस्ट के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ हुई है…SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया के नाम पर हुए इस कथित वोट सफाए ने चुनाव नतीजों के पीछे की कहानी को संदिग्ध बना दिया है……
आंकड़े चौंकाने वाले हैं…जिन पाँच सीटों पर सबसे ज्यादा वोट्स काटे गए…उनमें से चार सीटों पर सीधे NDA ने कब्जा जमाया…..द इंडियन एक्सप्रेस ये खबर देखिए जिसमें लिखा है कि…SIR के दौरान जिन पाँच विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा मतदाता सूची से नाम हटाए गए…..उनमें से चार में एनडीए दल को जीत मिली…उदाहरण के लिए, गोपालगंज……जहाँ राज्य में सबसे ज़्यादा यानी 56,793 मतदाता सूची से नाम हटाए गए……वहाँ भारतीय जनता पार्टी ने लगातार पाँचवीं बार जीत हासिल की और बाकी तीन सीटें भी NDA के खाते में गईं….जैसे कि पूर्णिया और मोतिहारी में बीजेपी की जीत हुई और कुचायकोट सीट जेडीयू के पास गई……….
यानी सबसे ज़्यादा नाम कटने वाली पाँच सीटों में…..भाजपा ने पूर्णिया में जहां 50,767 नाम कटे और मोतिहारी में जहां 49,747 नाम करटे के बाद भी इस सीट पर भी बीजेपी ने जीत हासिल की….जबकि JDU ने कुचायकोट में 43,226 नाम कटने के बाद जीत हासिल की….हालाँकि, विपक्षी महागठबंधन की कांग्रेस ने किशनगंज में 42,940 नाम कटने के बाद जीत हासिल की…..लेकिन वो सीट भी कहीं न कहीं इसलिए दी गई……जिससे किसी को इस कथित वोट चोरी पर शक न हो और जनता के मन में चुनाव को लेकर विश्वास कायम बना रहे……….बता दें कि किशनगंज और पूर्णिया ही ऐसी दो सीटें थीं जहाँ 50,000 से ज़्यादा नाम कटने की घटनाएँ हुईं….
विपक्ष लगातार ये सवाल उठा रहा था कि ये लाखों गायब हुए वोटर्स कौन थे…क्या ये वो लोग थे जो पारंपरिक तौर पर NDA को वोट नहीं देते थे…ये डाटा साफ तौर पर दिखाता है कि वोटर लिस्ट से नामों का हटाया जाना…सीधे तौर पर NDA के चुनावी लाभ में फायदेमंद साबित हुआ……………… दोस्तों, ये एक ऐसी स्थिति है…जो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है…
हालांकि, विपक्षी इंडिया गठबंधन पहले से ही मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग की तैयारी कर रहा था…ऐसे में ये नया खुलासा उन्हें एक ठोस सबूत देने का काम करता है……………राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा गर्म है कि वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ का ये डेटा…अब महाभियोग प्रस्ताव की सबसे बड़ी सबूतों की फेहरिस्त में शामिल होने जा रहा है……कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान… कई बार लोकतंत्र खतरे में है और चुनावी धांधली जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था…
ये आंकड़े विपक्ष के आरोपों को बल देते हैं… और ये साबित करने की कोशिश करते हैं कि ये चुनावी परिणाम जनादेश नहीं…बल्कि व्यवस्थागत धांधली का परिणाम है……ये वोट चोरी का एक संगठित प्रयास हो सकता है…..जिसका मकसद चुनावी समीकरणों को NDA के पक्ष में झुकाना था……वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने के साथ-साथ…जिन सीटों पर सबसे ज्यादा नए वोटर्स जोड़े गए…वहाँ भी NDA की ही जीत हुई…ये बात भी चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है…
जिन पाँच सीटों पर सबसे ज्यादा नए वोटर्स जोड़े गए…उनमें भी NDA सहयोगियों ने चार सीटों पर कब्जा जमाया…NDA सहयोगियों ने नौतन और तरारी जोकी बीजेपी ने जीती, ठाकुरगंज जोकि JDU के पास गई और चेनार…चिराग पासवान की LJP-R के पास गई..यानी जिन पर नए नाम जोड़ें भी गए वो सीटें भी NDA ने ही जीतीं…
कांग्रेस को इन पाँच सीटों में से सिर्फ एक सीट अरिया पर जीत हासिल हुई…..जोकि दोहरा पैटर्न है…यानी जहाँ वोट काटे गए वहाँ भी NDA को फायदा…और जहाँ वोट जोड़े गए वहाँ भी NDA को ही फायदा…ये साफ संकेत देता है कि ये केवल बड़ी वोट चोरी ही नहीं…बल्कि वोटर लिस्ट के प्रबंधन में एक सुनियोजित एजेंडा हो सकता है…जो सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में काम कर रहा था…जोकि लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय बन गया है…बिहार चुनाव के ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि…वोटर लिस्ट के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ हुई है…चाहे वो लाखों मतदाताओं के नाम हटाना हो…या फिर नए वोटर्स को जोड़ने की प्रक्रिया हो……दोनों ही सूरतों में सत्ताधारी NDA-BJP गठबंधन को भारी फायदा पहुँचा है…
कुल मिलाकर ये मामला अब केवल एक चुनाव परिणाम का नहीं रह गया है…बल्कि भारतीय लोकतंत्र की नींव और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है…वोट चोरी के ये गंभीर आरोप…देश की राजनीति को एक नए मोड़ पर ले आए हैं… इंडिया गठबंधन अब इन आंकड़ों को लेकर संसद से लेकर सड़क तक…एक बड़ी लड़ाई छेड़ने की तैयारी में है…
अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं कि क्या आयोग इन गंभीर आरोपों पर कोई सफाई देगा…या फिर ये मामला महाभियोग प्रस्ताव के रूप में…देश के न्यायिक और संवैधानिक इतिहास में दर्ज हो जाएगा…कुल मिलाकर बिहार का ये परिणाम…भारतीय राजनीति के लिए एक हाइड्रोजन बम जैसा साबित हो सकता है…जिसके विस्फोट से देश की चुनावी प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा हिल सकता है।



