BJP ने फिर नहीं मानी एकनाथ शिंदे की बात, महायुति में मचा सियासी घमासान!

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में इन दिनों काफी कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां सीएम फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच आपसी अनबन चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ अजित पवार से भी खटास की खबरें आती ही रहती हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: महाराष्ट्र की महायुति सरकार में इन दिनों काफी कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां सीएम फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच आपसी अनबन चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ अजित पवार से भी खटास की खबरें आती ही रहती हैं।

लेकिन BMC चुनाव के चक्कर में जो कुछ देखने को मिला इससे एक बात तो तय है कि महायुति सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है। महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब देवेंद्र फडणवीस को राज्य की कमान मिली और एकनाथ शिंदे को डिप्टी पद से संतोष करना पड़ा, तभी से कयास लगाए जाने लगे थे कि आने वाले दिनों में राज्य की सियासत किसी भी करवट बैठ सकती है। इन कयासों पर विराम लगाने की तमाम कोशिश भाजपा और शिवसेना की तरफ से की गईं, लेकिन गाहे-बगाहे स्थिति उजागर हो ही जाती है। ताजा मामला एकनाथ शिंदे के उस बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने अपने सहयोगी दलों को महागठबंधन धर्म का पालन करने की नसीहत दे डाली। इस बयान के बाद से फिर से सवाल पूछे जाने लगे हैं कि क्या महायुति में सब कुछ ठीक नहीं है?

इस कहानी की शुरुआत तब हुई, जब एकनाथ शिंदे के नेतृ्त्व में कुछ विधायकों ने शिवसेना में बगावत कर दी और परिणामस्वरूप शिवसेना दो धड़ों में बंट गई। कहते हैं कि भाजपा ने ही इस बगावत की स्क्रिप्ट लिखी थी। लिहाजा शिंदे गुट ने भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बना ली और नेतृत्व एकनाथ शिंदे को सौंपा गया। तब देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी पद से संतोष करना पड़ा था। बाद में अजित पवार भी साथ आ गए और इस तरह महायुति बनी। कैलेंडर में तारीख बदली और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए। महायुति को बंपर जीत मिली। इस बार सत्ता की कमान देवेंद्र फडणवीस को मिली और शिंदे के पास डिप्टी पद आया। तारीख बदलती गई और महायुति में तकरार की चिटपुट खबरों के साथ सरकार चलती रही।

इन दिनों शिवसेना के कॉर्पोरेटर्स और ऑन-ग्राउंड वर्कर्स का भाजपा में शामिल होना जारी रहा। लेकिन शिवसेना इसे पचा नहीं पा रही थी। तकरार बढ़ती गई और फिर दोनों पार्टियों ने एक अनौपचारिक समझौता किया कि एक-दूसरे के वर्कर्स और ऑफिस-बेयरर्स को शामिल नहीं किया जाएगा। लेकिन जल्द ही ये समझौता टूट गया। कुछ ही दिनों बाद रूपसिंह धाल, आनंद ढोके, शिल्पारानी वाडकर और अनमोल म्हात्रे समेत शिवसेना के कई नेता BJP में शामिल हो गए। किसी ने खुलकर कुछ कहा नहीं, लेकिन ये स्पष्ट हो गया था कि अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। चर्चा तब ज्यादा होने लगी, जब मुंबई निकाय चुनाव की तैयारियों के लिए फडणवीस और शिंदे एक ही होटल में ठहरे थे, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे से मुलाकात नहीं की।

जब अटकलें जोर पकड़ने लगीं, तो फडणवीस ने दरार को ढकने की कोशिश की। उन्होंने जानबूझकर शिंदे से मिलने से परहेज करने की आशंका को खारिज करते हुए कहा, ‘मैं देर रात आया था और उनसे पहले निकलना पड़ा। मेरी मीटिंग्स उनसे पहले तय हैं। इसलिए हम नहीं मिले। लेकिन हम मिलेंगे। इसमें क्या बड़ी बात है? हम दोनों अभी कैंपेन में बिजी हैं लेकिन हम रोज फोन पर बात करते हैं।’ लीपापोती की कोशिश शिंदे की तरफ से भी हुई, लेकिन उनके एक बयान ने सब कुछ साफ कर दिया।

शिंदे ने पहले कहा, ‘मैं ऐसे कमेंट्स को सीरियसली नहीं लेता। जिस दिन से मैंने चीफ मिनिस्टर पद की शपथ ली है, मैंने ऐसे कई इल्जाम देखे और सुने हैं। उनमें फंसने के बजाय, मैं अपने काम पर फोकस करता हूं।’ हालांकि इसके बाद शिंदे बोले, ‘यह अलायंस कल या आज नहीं बना है। यह अलायंस एक जैसी आइडियोलॉजी और कॉमन प्रिंसिपल्स पर बना है। हम गठबंधन धर्म के सिद्धांतों को पूरी तरह फॉलो करते हैं और हमारे अलायंस पार्टनर्स को भी फॉलो करना चाहिए।’ इस बयान ने महायुति में अंदरखाने चल रहे मनमुटाव को खुले मंच पर लाकर रख दिया।

इस चर्चा की आग में घी डालने का काम अजित पवार की पार्टी एनसीपी के एक सदस्य ने किया। एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे ने एक बयान में कहा, ‘BJP पूरी तरह बंटी हुई लगती है। अब उसके पास अपना कुछ नहीं है। उनकी पूरी जिंदगी मैनिपुलेशन, इधर-उधर बंटने के इर्द-गिर्द घूमती है। उनके पुराने वर्कर्स सभी घर पर हैं।’ शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता और सरकार में मंत्री उदय सामंत ने भी माना है कि गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है। मुंबई में कल निकाय चुनाव के मतदान होने हैं। महायुति में चल रही तकरार का असर निश्चित रूप से इस चुनाव पर पड़ेगा।

एक ओर जहां इन तीनों दलों के नेता एक दूसरे खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं तो वहीं तीनों दलों के नेता इन्हीं पार्टियों में से किसी में शामिल हो रहे हैं. बीते दिनों राज्य के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महायुति के अन्य घटक दलों को चेताया था कि वह उनकी पार्टी के नेताओं को अपने साथ न लाएं. इसके बावजूद भी बीजेपी ने विकास देसले और अभिजीत थरवाल को पार्टी में शामिल कराया. यह दोनों नेता डोंबीवली से आते हैं.

शिवसेना नेताओं के बीजेपी में शमिल होने के बाद पार्टी नेता और विधायक राजेश मोरे ने एक प्रेस वार्ता की. उन्होंने इस प्रेस वार्ता में बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण पर निशाना साधा. उन्होंने चव्हाण पर महायुति गठबंधन की नीतियों और नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए. मोरे ने सख्त लहजे में बीजेपी द्वारा शिवसेना नेताओं को पार्टी में शामिल करने पर आपत्ति जताई. इसी प्रेस वार्ता में शिवसेना के जिला उपाध्यक्ष राजेश कदम ने आरोप लगाए कि बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष शिवेसना नेताओं के घर जाकर उन्हें दल छोड़ने के लिए प्रलोभन दे रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ इसी प्रेस वार्ता में शिवसेना के जिला उपाध्यक्ष राजेश कदम ने आरोप लगाए कि बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष शिवेसना नेताओं के घर जाकर उन्हें दल छोड़ने के लिए प्रलोभन दे रहे हैं.उधर, शिवसेना की प्रेस वार्ता के बाद बीजेपी की कल्याण इकाई के अध्यक्ष नंदू परब ने शिवेसना सांसद श्रीकांत शिंदे का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि सबसे पहले उन्होंने कल्याण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में महायुति के नियमों और नीति को ताक पर रखा.

परब ने दावा किया कि दोनों दलों के नेताओ द्वारा नियमों और नीतियों पर सहमत होने के बावजूद शिवसेना ने अंबरनाथ में रॉसलिन फर्नांडिज को को पार्टी में शामिल करा के नियमों को तोड़ा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि अब और किसी शिवसेना नेता को पार्टी में शामिल न कराया जाए. हालांकि उन्होंने इस बात की चेतावनी दी कि अगर शिवसेना ने दोबारा किसी पार्टी के नेता को अपने साथ शामिल किया तो बीजेपी भी पीछे नहीं हटेगी.

BMC चुनाव के बीच आलम ये है कि महाराष्‍ट्र के स्‍थानीय चुनावों में कई जिलों में सत्ताधारी महायुति गठबंधन के घटक दल ही एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर कर मुकाबला कर रहे हैं। कुछ स्थानों पर विपक्षी दलों ने सत्ताधारी पार्टियों के साथ हाथ मिला लिया है। सोलापुर जिले की कुर्डूवाडी नगर परिषद और नासिक के येओला नगर परिषद चुनाव के लिए एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना ने शरद पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ हाथ मिला लिया है। वहीं अब एकनाथ शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे ने ऐसा सवाल किया है जिसने महायुति गठबंधन टूटने की खबरों को और हवा दे दी है।

दरअसल, बीजेपी के वरिष्ठ नेता रवींद्र चव्हाण ने कहा था कि उन्हें महायुति को 2 दिसंबर तक बचाने की जिम्मेदारी दी गई है। इस पर श्रीकांत शिंदे ने पलटवार करते हुए पूछा, “रवींद्र चव्हाण को यह बताना चाहिए कि 2 दिसंबर के बाद भी बीजेपी गठबंधन जारी रखना चाहती है या नहीं।” उनके इस बयान से देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे गुटों के बीच की कलह खुलकर सामने आ गई है।

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