CJI पर जूता फेंकने वाले का सम्मान! निलंबित वकील की तारीफ कर BJP ने फिर दिखाया असली चेहरा!

CJI पर हमला करने वाले निलंबित वकील की भाजपा नेता ने खुलकर तारीफ की है... न्यायपालिका पर हमले की निंदा करने के बजाय उसकी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों देश के सबसे ऊंचे न्यायिक पद.. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर जूता फेंकने की शर्मनाक घटना के बाद जो होना चाहिए था.. उसके ठीक उलट हो रहा है.. आम तौर पर ऐसी हरकतों की निंदा की जाती है.. लेकिन यहां तो BJP के नेता ने ही उस आरोपी वकील की तारीफ कर दी.. इससे एक बार फिर सामने आ गया कि सत्ता में बैठे लोगों की सोच.. और संघ स्कूल की तालीम किस दिशा में जा रही है.. यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति पर हमले का नहीं.. बल्कि न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा हमला है.. अदालतें लोकतंत्र का अंतिम सहारा होती हैं.. जहां आम नागरिक को न्याय की उम्मीद रहती है.. अगर वहीं पर बैठे जजों को डराने या अपमानित करने वालों को सियासी समर्थन मिलने लगे.. तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है..

आपको बता दें कि BJP नेता ने जिस निलंबित वकील की तारीफ की.. वह वही व्यक्ति है जिसने CJI पर जूता फेंककर.. पूरे देश की न्याय व्यवस्था का अपमान किया.. लेकिन भाजपा से जुड़े नेता ने कहा कि उसने जो किया, वो सही किया.. सोचिए जब सत्ताधारी पार्टी के लोग इस तरह की हिंसक मानसिकता को सही ठहराने लगें.. तो फिर कानून और संविधान का क्या मतलब रह जाता है.. दरअसल, यही मोदी-आरएसएस की राजनीति का असली चेहरा है.. जो उनके खिलाफ बोले तो उसे देशद्रोही ठहराओ.. जो संस्थाओं को कमजोर करे, उसे नायक बना दो.. न्यायपालिका, मीडिया हर जगह असहमति को कुचलने की कोशिश हो रही है.. और जब कोई उनके खिलाफ आवाज उठाता है.. तो उसे दबाने के लिए भीड़ या प्रचार तंत्र को आगे कर दिया जाता है..

वहीं आज सवाल यह है कि क्या यही नया भारत है.. जहां संविधान की रक्षा करने वाले न्यायाधीशों पर हमला करने वालों को सम्मान मिलता है.. जहां कानून की बात करने वालों को एंटी-नेशनल कहा जाता है.. और हिंसा करने वालों को देशभक्त बताया जाता है.. संघ और भाजपा के नेताओं की यह दोहरी नीति अब किसी से छिपी नहीं रही.. जब कोई उनके एजेंडे के खिलाफ बोले.. तो उसे अर्बन नक्सल या देशद्रोही कह दो.. लेकिन जब कोई लोकतंत्र पर हमला करे.. तो उसे वीर बना दो.. बता दें कि CJI पर हमला करने वाले व्यक्ति की तारीफ सिर्फ एक बयान नहीं.. बल्कि संविधान की नींव को हिलाने वाला संदेश है.. यह बताता है कि भाजपा और संघ के लिए संस्थाएं सिर्फ तब तक पवित्र हैं.. जब तक वे उनके हित में काम करें..

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है.. इस घटना पर बीजेपी के कर्नाटक नेता और पूर्व बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर भास्कर राव का बयान सुर्खियों में है.. और उन्होंने वकील की ‘हिम्मत’ की तारीफ की है.. आरोपी निलंबित वकील किशोर ने अपने कृत्य पर पछतावा जताने से इनकार कर दिया है

उसके चेहरे पर तनिक भी शर्म नहीं है.. वहीं कर्नाटक बीजेपी नेता भास्कर राव ने आरोपी वकील राकेश किशोर की तारीफ करते हुए कहा कि भले ही यह कानूनी तौर पर बेहद गलत हो.. लेकिन मैं आपकी हिम्मत की सराहना करता हूं.. आपके इस उम्र में साहस दिखाकर खड़े होने और इसके नतीजों की परवाह न करने का रवैया, वाह.. राव के इस बयान ने विपक्ष को भड़का दिया.. कांग्रेस नेता मंसूर खान ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि भले ही यह कानूनी तौर पर बेहद गलत हो.. आप उनकी हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं.. एक पूर्व आईपीएस अधिकारी का ऐसा शर्मनाक बयान.. आपने कभी कानून का सम्मान किया था.. अब चीफ जस्टिस का अपमान करने वाले के साथ खड़े हैं.. क्या गिरावट है..

वहीं इस घटना की बड़े स्तर निंदा हो रही है.. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने वकील के रवैए की कड़ी निन्दा करते हुए एक संकल्प पारित किया.. सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथियों की तरफ से चीफ जस्टिस के बयान पर पहले ही विवाद हो चुका था.. जिसके जवाब में उन्होंने सभी धर्मों के प्रति सम्मान जताया.. लेकिन इसके बावजूद दक्षिणपंथी माने नहीं.. उन्होंने लगातार चीफ जस्टिस के बारे में उल्टी सीधी बातें लिखीं..

निलंबन के बाद वकील किशोर का मीडिया इंटरव्यू कर रहा है.. और सारे न्यूज चैनल उसका महिमामंडन कर रहे हैं.. उसका कहना है कि कोई पछतावा नहीं, कोई दुख नहीं, कोई पश्चाताप नहीं.. उसने अपने कृत्य को जायज ठहराते हुए कहा कि मैंने यह नहीं किया.. भगवान ने किया.. चीफ जस्टिस ने सनातन धर्म का मजाक उड़ाया.. यह ईश्वर का आदेश था.. एक क्रिया की प्रतिक्रिया थी…

आपको बता दें कि पिछले महीने चीफ जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण.. और फिर से स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था.. यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो परिसर का एक हिस्सा है.. चीफ जस्टिस ने कहा था कि यह पूरी तरह से प्रचार पाने के लिए याचिका डाली गई है.. जाकर भगवान से ही कुछ करने को कहिए.. अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के बड़े भक्त हैं.. तो आप प्रार्थना और ध्यान भी करें.. उनकी इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी.. उस पर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं..

वहीं यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से फैलता रहा.. इसी दौरान पिछले हफ्ते अदालती कार्यवाही के दौरान बुज़ुर्ग वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंका.. जूता बेंच तक नहीं पहुंचा.. और अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया.. और बाहर ले जाकर पुलिस को सौंप दिया.. अभी यह साफ नहीं है कि राकेश किशोर किस पार्टी या संगठन से जुड़ा है.. लेकिन उसके काम से पता चलता है कि वो एक कट्टरपंथी शख्स है..

सीजेआई गवई की मां कमलताई गवई ने सुप्रीम कोर्ट में हुई जूता फेंकने की घटना की कड़ी निंदा की.. 84 वर्षीय कमलताई ने इसे संविधान पर हमला करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अराजकता फैलाने का प्रयास हैं.. और उन्होंने लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से संवैधानिक माध्यमों का सहारा लेने की अपील की.. और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.. बता दें कि हाल ही में आरएसएस ने कमलताई गवई को अपने कार्यक्रम में आने का न्यौता दिया था लेकिन वो वहां नहीं गईं.. इसको लेकर भी मीडिया ने तमाम खबरें चलाईं थी.. कि वो आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होंगी.. लेकिन कमलताई ने कभी वहां जाने की पुष्टि नहीं की..

आपको बता दें कि कमलताई ने कहा कि ऐसे कृत्य अराजकता फैलाने के समान हैं.. हर नागरिक को असहमति व्यक्त करने का अधिकार है.. लेकिन कानून अपने हाथ में लेने का कोई हक नहीं.. हमें लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा की रक्षा करनी होगी.. उन्होंने इसे न केवल व्यक्तिगत हमला बल्कि विषैली विचारधारा का हिस्सा बताया.. जो देश को कलंकित करती है..

डॉ. बी.आर. आंबेडकर के संविधान पर विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि बाबासाहब ने हमें जियो और जीने दो के सिद्धांत पर आधारित मिलाजुला संविधान दिया.. कोई भी अशांति फैलाने का अधिकार नहीं रखता.. मैं लोगों से मुद्दों को शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से हल करने की अपील करती हूं.. कमलताई ने जोर देकर कहा कि संविधान के खिलाफ काम करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए.. ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.. यह उनका इस घटना पर पहला सार्वजनिक बयान था..

घटना के विरोध में चीफ जस्टिस के गृह क्षेत्र अमरावती में जिला वकील संघ ने मंगलवार को जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया.. भारी संख्या में वकीलों ने भाग लिया.. जिनमें संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सुनील देशमुख, सचिव एडवोकेट अमोल और वरिष्ठ वकील एडवोकेट प्रशांत देशपांडे शामिल थे.. और उन्होंने इसे न्यायपालिका और कानून के शासन पर अपमान बताया.. और आरोपी राकेश किशोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की..

 

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