बीजेपी ने शिवसेना को दिया धोखा, अजित से भी तोड़ा किया वादा!
महाराष्ट्र में मंत्रालयों को लेकर घमासान मचा हुआ है.... काफी जद्दोजहद के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस.... और दोनों उप मुख्यमंत्रियों एकनाथ शिंदे...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र में मंत्रालयों को लेकर घमासान मचा हुआ है…. काफी जद्दोजहद के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस…. और दोनों उप मुख्यमंत्रियों एकनाथ शिंदे…. और अजीत पवार ने शपथ तो ले ली है…. लेकिन अभी तक मंत्रालयों के बंटवारे पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है…. महायुति के तीनों दलों भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के बीच अहम मंत्रालयों को लेकर आपसी रस्साकशी जारी है…. इसी बीच खबर आ रही है कि अजीत पवार के हाथ से वित्त मंत्रालय फिसल सकता है…. इसके तहत शिंदे को झटका देने के बाद भाजपा अजीत पवार से किया वादा भी तोड़ सकती है…. आपको बता दें कि बीजेपी ने जैसे वादा करके शिवसेना को धोखा दिया है…. ठीक उसी तरह से अजित पवार के साथ खेला करने जा रही है…. और अजित पवार से वित्त मंत्रालय का वादा करके अब उनको वित्त मंत्रालय देने से भी मना करने का मन बना लिया है…. और सभी महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास रखना चाहती है….
जानकारी के अनुसार भाजपा ने गृह, नगर विकास और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास रखने का फैसला किया है…. जबकि इन विभागों को लेकर एकनाथ शिंदे एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं…. वे नाराज भी हैं…. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है…. आपको बता दें कि भाजपा ने एकनाथ शिंदे को एक तरह से दरकिनार कर दिया है…. भाजपा ने उन्हें झटका देते हुए पहले सीएम पद से दूर किया… और फिर गृह और नगर विकास मंत्रालय भी नहीं देने के मूड में है….. जबकि अजीत पवार जब भी उप मुख्यमंत्री बने हमेशा उन्होंने वित्त मंत्रालय अपने पास रखा….. लेकिन इस बार उस विभाग को भाजपा अपने पास रखने पर अड़ी हुई है…. अजीत पवार गुट के विधायक अमोल मिटकरी ने आक्रामक रुख अपनाया है…. और उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय यदि किसी के पास जाएगा तो वह अजीत पवार के पास ही जाएगा….. अजीत पवार से ज्यादा बेहतर वित्त विभाग को और कोई नहीं संभाल सकता….. अमोल मिटकरी ने अजीत पवार को वित्त मंत्रालय न दिए जाने की खबर पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर अजीत पवार वित्तमंत्री नहीं बनते तो इस सरकार का कोई ‘अर्थ’ नहीं है….
बता दें कि राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चा है…. कि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का विस्तार 14 दिसंबर को होने वाला है…. जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में फडणवीस, शिंदे और अजीत दादा पवार के त्रिगुट के बीच मंत्रालय बंटवारे का पेच फंसा हुआ है….. यही वजह है जब मुंबई में बात नहीं बनी तो फडणवीस दिल्ली दरबार में पहुंच गए…. यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दरबार में मंत्रिमंडल विस्तार पर माथापच्ची होती रही….. स्थिति कितनी गंभीर है…. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमित शाह से चर्चा करने के बाद फडणवीस मध्य रात्रि के आसपास उनके घर से बाहर आए….. वहीं अब अमित शाह के घर में मिड नाइट को दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई यह फिलहाल सस्पेंस है….. गौरतलब है कि बुधवार की देर रात नई दिल्ली में महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय नेता…. और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बंद कमरे में लंबी बैठक चली….. दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के लिए फडणवीस के साथ अजीत पवार भी पहुंचे थे….. जबकि शिंदे ने बीमारी का बहाना बनाकर खुद को इससे दूर कर लिया….. हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का भी दावा किया गया है कि शिंदे को दिल्ली चलने के लिए कहा ही नहीं गया था….
आपको बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच घंटों बातचीत हुई….. लेकिन मंत्रिमंडल के विस्तार पर और इस बीच तमाम मुद्दों पर बातचीत के नतीजे पर सस्पेंस बना हुआ है…. जानकारी के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार में नाम को लेकर जो उलझन बनी हुई है…. उसे छुड़ाने के लिए दोनों ने काफी माथापच्ची की….. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ बड़ा खेल होने वाला है…. बता दें कि शिंदे और अजीत पवार को भाजपा कई महत्वपूर्ण विभागों से दूर रखना चाहती है…. साथ ही शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के विवादित विधायकों एवं पूर्व मंत्रियों को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं देना चाहती है….. वहीं जातीय समीकरण भी साधना है, ताकि राज्य की जनता में आक्रोश न बढ़े….. इसके अलावा शहरी क्षेत्र में भी भाजपा को ध्रुवीकरण के लिए रणनीति पर काम करना है….. ताकि आगामी मनपा और नगर पालिका चुनाव में इसका फायदा ले सके….. ऐसे में इस मंत्रिमंडल में मंत्री पद किसे देना है…. और किसे नहीं देना है….. यह भाजपा के लिए एक चुनौती बन गई है….. उधर डिप्टी सीएम अजीत पवार ने खुद इसकी पुष्टि की…..
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का दूसरा मंत्रिमंडल कैसा होगा….. इसकी भनक किसी को नहीं लग पा रही है….. यही वजह है कि मुंबई से लेकर दिल्ली तक सस्पेंस बना हुआ है…. महायुति की पिछली सरकार में कुल अट्ठाइस मंत्री थे…. इसमें एक सीएम और दो डिप्टी सीएम थे….. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि इस बार भाजपा के करीब पच्चीस विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है….. बता दें बीजेपी ने अपने सहयोगियों से झूठा वादा करके डिप्टी सीएम पद की शपथ तो दिला दिया….. वहीं शपथ ग्रहण के बाद बीजेपी अपने सहयोगियों से किए सभी वादों से मुकर रही है…. और सभी मलाईदार विभाग अपने पास रखना चाहती है…. जिसको लेकर सभी सहयोगी पार्टियों में हड़कंप मचा हुआ है…. सभी सहयोगी अपने मनचाहे विभाग को पाने की चाह मन में सजाए हुए बैठी थी… लेकिन बीजेपी ने सभी के मनसूबों पर पानी फेर दिया है…. और चुनाव जीतने के बाद सभी वादों को भूल गई…. और सभी सहयोगियों को किनारे लगा दिया है….
वहीं राज्य विधानसभा चुनाव के तेइस नवंबर को आए नतीजों में महायुति (भाजपा-शिंदे और अजीत पवार गुट) को स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ पांच दिसंबर को ली….. उसके बावजूद अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हुआ है….. इस देरी को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष नेता…. और युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने महायुति सरकार पर तीखा हमला किया है…. और उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि मंत्रिमंडल विस्तार के लिए सरकार इतना समय ले रही है…. आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि चुनाव आयोग की मेहरबानी से स्पष्ट बहुमत मिला…. फिर भी मुख्यमंत्री तय करने और सरकार बनाने में दो सप्ताह का समय लग गया…. वहीं अब, मंत्री पदों के बंटवारे में भी ये लोग वक्त लगा रहे हैं….. मंत्री पद को लेकर इन लोगों में झगड़ा होगा….. सत्ता के लालच में भाजपा के नेता किसी भी हद तक जा सकते हैं….. आपको बता दें कि महायुति सरकार में अभी तक मंत्रिमंडल का गठन न होने को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है….. आदित्य ठाकरे की यह टिप्पणी बताती है कि विपक्ष इसे सरकार की असफलता के तौर पर जनता के बीच पेश करने की तैयारी में है….. वहीं आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि लोगों के काम रुके हुए हैं…. जनता इंतजार कर सकती है….. लेकिन पहले इन नेताओं की सत्ता की भूख मिटनी चाहिए…. यह बेहद शर्मनाक है…. आदित्य ठाकरे ने महायुति सरकार पर सत्ता की लालसा को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया…. और उन्होंने कहा कि मंत्री पदों के बंटवारे को लेकर महायुति के घटक दलों में विवाद होगा…..
आपको बता दें कि महागठबंधन सरकार में मंत्री पद को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है…. भारतीय जनता पार्टी और अजीत पवार गुट के विधायक शिंदे गुट द्वारा अधिक मंत्री पद मांगने पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं….. इतना ही नहीं, खबर है कि शिंदे गुट के बीच ही विवाद खड़ा हो गया है…. शिंदे गुट समेत बीजेपी विधायक सवाल उठा रहे है कि जिन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार…. और अपने ही विधायकों के काम टालने का आरोप है…. और उन्हें दोबारा मंत्री पद नहीं देना चाहिए….. चूंकि शिंदे गुट में सत्तावन विधायक हैं, एकनाथ शिंदे हाई प्रोफाइल पोर्टफोलियो सहित अधिक मंत्री पद पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं….. लेकिन चूंकि शिंदे गुट के विधायकों ने कई मंत्रियों की शिकायत की है…. इसलिए बीजेपी भी उन मंत्रियों की दोबारा नियुक्ति का विरोध कर रही है…. इसमें केसरकर सहित अब्दुल सत्तार, संजय राठौड़, तानाजी सावंत, गुलाबराव पाटील और दादा भुसे शामिल हैं…. विधायकों का आरोप है कि मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने जानबूझकर उनका काम रोका…..
वहीं अब्दुल सत्तार पर सार्वजनिक रूप से महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बयान देना, जमीन हड़पने का आरोप है…. तानाजी सावंत पर स्वास्थ्य मंत्री पद का दुरुपयोग कर बिना टेंडर के सैकड़ों करोड़ के ठेके एंबुलेंस खरीद के लिए दिए जाने का आरोप है…. संजय राठौड़ पर पूजा चव्हाण की प्रताड़ना और आत्महत्या का मामला है…. वहीं गुलाबराव पाटील पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं….. दीपक केसरकर पर शिक्षा मंत्री रहते हुए शिंदे गुट और बीजेपी के विधायकों की फाइलें रोकने की शिकायत है….. दादा भुसे पर शिंदे गुट के विधायकों का काम रोकने का आरोप है….. इसी मुद्दे को लेकर विधायक महेंद्र थोरवे मानसून सत्र के दौरान विधान भवन की लॉबी में भुसे से भिड़ गए थे….. भाजपा से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा का अभिजात्य वर्ग भी भ्रष्टाचार…. और चरित्र पर आरोप वाले लोगों को मंत्रिमंडल में नहीं चाहता है…. इसलिए विवादित मंत्रियों को दोबारा कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना कम है…..