सीएम की घोषणा न कर पाने को लेकर सियासी निशाने पर आई बीजेपी

  • भाजपा पर जमकर बरसे गहलोत
  • अनुशासन को नहीं मानती भगवा पार्टी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। सात दिन चुनावों के परिणाम के हो गए हैं पर भाजपा तीन राज्यों में बहुमत के बाद भी सीएम चेहरे पर फैसला नहीं ले पाई है। अब इसी मामले को लेकर वह विपक्ष के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस ने इस मामले में बीजेपी पर तंज कसते हुए का कि अनुशासन न होने की वजह से वह कोई फैसला नहीं ले पार ही है। कांग्रेस नेता व राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अब लगभग सात दिनों से, वे (भाजपा) तीन राज्यों में सीएम चेहरों की घोषणा नहीं कर पाए हैं। अगर हमने भी ऐसा किया होता, तो न जाने वे हमारे खिलाफ क्या आरोप लगाते और लोगों को गुमराह करते। राजस्थान के निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक हफ्ते बाद भी राज्य के अगले मुख्यमंत्री का नाम बताने में विफल रहने पर शनिवार को भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष किया।

कांग्रेस ऐसा करती तो सिर पर उठा लेते आसमान : गहलोत

गहलोत ने कहा कि अगर कांग्रेस ने इतने समय तक मुख्यमंत्री नहीं चुना होता तो वे (बीजेपी) खूब चिल्लाते। गोगामेडी मामले में, मुझे एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करना पड़ा जिसमें कहा गया था कि इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच पर कोई आपत्ति नहीं है। नये मुख्यमंत्री को यह करना चाहिए था। गहलोत ने साफ तौर पर कहा कि अब सात दिन हो गए हैं, वे (बीजेपी) एक सीएम का चयन नहीं कर पाए हैं, मैं चाहता हूं कि वे जल्दी निर्णय लें। उन्होंने कहा चुनावों का ध्रुवीकरण किया… हम नई सरकार के साथ सहयोग करेंगे।

कई नामों पर चल रही है माथापच्ची

जैसे-जैसे भाजपा राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर आंतरिक विचार-विमर्श कर रही है, कई प्रमुख नाम इस पद के संभावित दावेदारों के रूप में उभर रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में सीएम को लेकर सिर फुटव्वल जारी । हालांकि पार्टी ने तीनों राज्यों में प्रर्यवेक्षक बना दिए है। ऐस माना जा रहा है कि सोमवार तो तीनों राज्य में सीएम के नामों की घोषणा कर दी जाएगी। मरु प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे, दीया कुमारी, जो विद्याधर नगर से विधायक चुनी गई है, महंत बालक नाथ, जो तिजारा निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुए,और झोटवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से विजयी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को शीर्ष दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। इस बीच, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के चयन को लेकर अटकलें जारी रहने के बीच, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने गुरुवार को राष्टï्रीय राजधानी में उनके आवास पर नड्डा से मुलाकात की। वहीं मप्र में शिवराज सिंह चौहान की चर्चा के बीच नरेन्द्र तोमर, प्रहलाद पटेल समेत कई नामों पर कयास चल रहे हैं। उधर तीसरे राज्य छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की जह किसी आदिवासी व महिला को कमान दी जा सकती है। छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि भाजपा के विधायक दल की बैठक कल निर्धारित हुई है। 3 पर्यवेक्षक इस बैठक के लिए निर्धारित किए गए हैं जो विधायकों की बैठक लेंगे। अरुण साव छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और राज्य में पार्टी को जीत दिलाने में उनकी अहम भूमिका मानी जा रही है। पहली बार 2003 में जब भाजपा ने राज्य में चुनाव जीता था तो रमन सिंह प्रदेश अध्यक्ष थे और उन्हें ही सीएम बनाया गया था, इसलिए अब अरुण साव को लेकर भी यही अनुमान लगाया जा रहा है कि वह छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय भी ष्टरू पद की इस रेस में शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में महिला वोटरों ने इस बार भाजपा को बम्पर वोट दिए हैं और सरोज को भाजपा की महिला नेता का बड़ा चेहरा भी माना जाता है। यही कारण है कि सरोज पांडेय भी सीएम बनने की दावेदार हैं। लता को भाजपा का सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा माना जाता है। लता 2003 में पहली बार विधायक बनीं थीं। लता भाजयुमो की भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। इन्हें लेकर भी ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री पद इन्हें दे सकती है।

हस्ताक्षर पर लेखी व चतुर्वेंदी में तकरार

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने संसद में स्पष्ट किया कि उन्होंने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने के सवाल वाले किसी भी कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। केंद्रीय मंत्री की यह प्रतिक्रिया हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने की एक कथित फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आई है, इसके लेकर उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और पीएमओ इंडिया को भी टैग करते हुए एक ट्वीट किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए मीनाक्षी लेखी ने कहा, आपको गलत जानकारी दी गई है। मैंने इस सवाल और जवाब वाले किसी भी कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस बीच, शिव सेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने मीनाक्षी लेखी के स्पष्टीकरण का जवाब दिया। प्रियंका चतुवेर्दी ने मीनाक्षी लेखी की प्रतिक्रिया पर चिंता जताई और कहा, मीनाक्षी लेखी जी उनके द्वारा दी गई प्रतिक्रिया से इनकार कर रही हैं और इसे अलग कर रही हैं, उनका कहना है कि उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं है कि इसे प्रतिक्रिया के रूप में किसने तैयार किया है, क्योंकि उन्होंने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया।

महुआ के लोकसभा निष्कासन पर बवाल

नई दिल्ली। महुआ मोइत्रा की लोक सभा से निष्कासन पर सियासत गरमा गई है। जहां बीजेपी ने सही ठहराया हे वहीं कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने इसे गलत करार दिया है। कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने महुआ मोइत्रा पर हुई कार्रवाई की विश्वकप के टाइम आउट से की तुलना करते हुए केंद्र पर तंज कसा है। राजद नेता मनोज झा व बसपा नेता दानिश अली भी बीजेपी को घेरा है। वहीं संसद की एथिक्स कमेटी की सदस्य अपराजिता सारंगी ने तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा के संसद से निष्कासन को लेकर कहा कि महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक था। उनका संसद लॉगिन क्रेडेंशियल किसी ने 47 बार (कभी-कभी दुबई और अमेरिका से) उपयोग किया। 49 साल की मोइत्रा को आज निचले सदन में एथिक्स कमेटी द्वारा पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में पेश रिपोर्ट पर चर्चा के बाद लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। सदस्य अपराजिता ने कहा, उनका आचरण अनैतिक था और उन्हें संसद द्वारा इसी के लिए दंडित किया गया। ऐसा नहीं है कि उन्हें एक या दो व्यक्तियों द्वारा दंडित किया गया है। यह मामला संसद की स्थायी समिति के पास गया, शिकायतकर्ता और प्रतिवादी को सुना गया। उन्हें समय दिया गया था कि अपनी बात रखें जब वह समिति के सामने पेश हुईं तो बहुत गुस्से में थीं और उन्होंने कई असंसदीय बातें कहीं, यहां तक कि समिति के अध्यक्ष के खिलाफ भी सांसद के क्रेडेंशियल का इस्तेमाल किसी और ने किया था।

मोइत्रा का सांसद बने रहना उचित नहीं : बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि एक सांसद के रूप में सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है।

एथिक्स कमेटी ने हर नियम तोड़ा : मोइत्रा

वहीं महुआ मोइत्रा का कहना है कि एथिक्स कमेटी ने हर नियम तोड़ा और कहा कि कंगारू कोर्ट (सजा देने वाली गैर कानूनी अदालत) ने बिना सबूत के मुझे दंडित किया। उन्होंने कहा, मेरे खिलाफ पूरा मामला लॉगिन विवरण साझा करने पर आधारित है, लेकिन कोई नियम इसे नियंत्रित नहीं करता है। उन्होंने कहा कि नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है, एथिक्स पैनल ने मुद्दे की जड़ को जाने बिना मुझे फांसी पर लटकाने का फैसला किया। तृणमूल ने अपने सांसद के खिलाफ कार्रवाई को अति सक्रियता और लोकसभा में भाजपा द्वारा अपने प्रचंड बहुमत के इस्तेमाल का प्रदर्शन बताया है।

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