भाजपा-कांग्रेस पूंजीपतियों की पार्टी: मायावती
- मप्र विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो ने भरी हुंकार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
अशोक नगर, मध्य प्रदेश। चुनावी मौसम में मध्य प्रदेश का सियासी पारा काफी हाई है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपना दमखम लगाने में जुटी हैं। इसके अलावा सपा और बसपा भी एमपी के चुनाव में अपनी ताल ठोंक रहे हैं। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने लोगों से कहा कि वे जाति आधारित गणना की कांग्रेस की मांग के झांसे में नहीं आएं। बसपा प्रमुख ने मध्य प्रदेश के अशोक नगर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर को भारत रत्न देने में भी देरी की थी।
मायावती ने आगे कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस शासन में काका कालेलकर आयोग और मंडल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सिफारिश की थी, लेकिन कांग्रेस ने कुछ नहीं किया। चुनाव करीब आने पर कांग्रेस जाति आधारित जनगणना की बात कर रही है। मायावती ने कहा कि बीजेपी ने दलितों और आदिवासियों का शोषण किया है।
एमपी के बहाने 2024 को साध रही बसपा
मायावती ने भाजपा व कांग्रेस पर लगातार हमला किया। उन्होंने मंच से यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बसपा की सरकार बनाने की अपील की। मायावती के सुर को देखकर कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं मायावती विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2024 लोकसभा चुनावी की तैयारी में भी लग चुकी हैं और अब उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधना चालू कर दिया हैं। कांग्रेस और भाजपा लेकर जिस तरह से मंच से यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने इन बड़े दलों पर निशाना साधा है, वह 2023 के साथ-साथ 2024 कि तैयारी को लेकर देखा जा रहा हैं। क्योंकि जाहिर है कि बसपा पिछले लंबे वक्त से अपने सबसे बुरे सियासी दौर से गुजर रही है। ऐसे में अब बसपा मध्य प्रदेश के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करके 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले खुद को खड़ा करना चाह रही है।
बीजेपी-कांग्रेस ने आरक्षण खत्म करने का किया काम
वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों को पूंजीपतियों और धन्ना सेठों की पार्टी बताते हुए मायावती ने कहा कि मध्य प्रदेश की अब तक की सरकारों ने लोगों के लिए कोई काम नहीं किया और न ही दलितों पर कोई ध्यान दिया। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने आरक्षण को खत्म करने का काम ही किया है। भाजपा पर तंज कसते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक लाया गया, लेकिन उसमें ऐसी कोई व्यवस्था लागू नहीं की गई, जिससे महिलाओं का हित हो पाए।