BJP मंत्री असीम अरूण ने मानी ‘वोट चोरी’, Akhilesh Yadav ने EC से पूछा हलफनामा मिल गया?
यूपी में अभी तक सपा वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और नाम काटे जाने का आरोप लगाती रही है... अब योगी सरकार में मंत्री असीम अरुण...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश में सपा लगातार चुनाव आयोग पर वोटर लिस्ट से उसके वोटरों का नाम काटने का आरोप लगाती रही है.. अब भाजपा नेता और योगी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने भी सपा जैसा आरोप चुनाव आयोग पर लगा दिया है.. असीम अरुण ने अखिलेश यादव की तरह लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जाने का आरोप तो लगाया ही.. साथ ही चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की बात भी कह दी.. यूपी में पहली बार किसी सत्तापक्ष के नेता वह भी योगी सरकार में मंत्री के वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मामला उठाने का वीडियो कुछ देर में ही वायरल हो गया.. अखिलेश यादव ने भी इस वीडियो को एक्स पर पोस्ट करते हुए चुनाव आयोग से पूछ लिया कि भाजपा के इन विधायक.. और उप्र के मंत्री जी का एफ़िडेविट चुनाव आयोग पहुंच गया क्या.. यह भी पूछा कि चुनाव आयोग इनके ख़िलाफ क्या करेगा.. इसका शपथपत्र न सही तो श्वेतपत्र दे..
आपको बता दें 17 अगस्त को बरेली में असीम अरुण की प्रेस कॉन्फ्रेंस से शुरू हुई. मंत्री असीम अरुण ने चुनाव प्रक्रिया की कमजोर कड़ी बताते हुए वोटर लिस्ट को आधार कार्ड से जोड़ने की मांग की. इस बयान ने न केवल विपक्ष को नया हथियार दिया बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर फिर से सवाल उठा दिए.. विपक्ष पहले से ही बिहार और यूपी में वोटर लिस्ट की स्पेशल रिविजन पर सवाल उठा रहा है.. जहां लाखों नाम काटे जाने के आरोप हैं.. लेकिन चुनाव आयोग बीजेपी की भाषा बोल रहा है.. या यूं कहें की चुनाव आयोग बीजेपी पार्ट 2 हो गया है.. विपक्ष की बात को दरकिनार कर बीजेपी की भाषा बोलता है.. और वोट चोरी पर विपक्षी नेताओं से हलफनामा मांग रहा है.. लेकिन बीजेपी के लिए वोट चोरी की गई. उसको मामने के लिए चुनाव आयोग तैयार नहीं है.. लेकिन अब बीजेपी सरकार में मंत्री ने वोट चोरी पर बयान देकर इस मामले को और पुख्ता कर दिया है.. कि भारी मात्रा में वोट चोरी हुई है.. और हजारों नाम काट वोटर लिस्ट से काट दिए गए..
बता दें 17 अगस्त को बरेली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान असीम अरुण ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया.. और उन्होंने कहा कि मैं पहले भी वोट चोरी का मुद्दा उठा चुका हूं.. कन्नौज में हमने इसे खुद महसूस किया है और हमारी पार्टी ने यह मुद्दा कई बार उठाया है.. मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि वोटर लिस्ट हमारी चुनाव प्रक्रिया की कमजोर कड़ी बन गई है.. इसे दूर करने के लिए बिहार में एसआईआर सिस्टम से काम शुरू हुआ है.. चुनाव आयोग ने आधार कार्ड से लिंक करने पर मीटिंग की, जिसका मैं स्वागत करता हूं..
उन्होंने आगे कहा कि कन्नौज लोकसभा सीट पर हर पोलिंग बूथ पर 10 से 15 वोटर्स के नाम काटे गए.. इससे अखिलेश यादव को फायदा मिला और वे चुनाव जीते.. असीम अरुण ने दावा किया कि चुनाव प्रक्रिया में ‘निश्चित रूप से गड़बड़ी’ है.. और वोटर लिस्ट का गहन रिविजन जरूरी है. नगर निगम और पंचायत की अलग-अलग वोटर लिस्ट को एक करके आधार से जोड़ना चाहिए ताकि फर्जी वोटिंग रुके..
वहीं यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि असीम अरुण सत्तापक्ष के नेता हैं.. और योगी सरकार में मंत्री हैं.. आमतौर पर विपक्ष ही ऐसे आरोप लगाता है.. लेकिन यहां सत्ताधारी दल के नेता ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा.. वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया. जिसमें असीम अरुण को साफ तौर पर वोट चोरी पर बोलते और कहते हुए देखा जा सकता है.. बता दें असीम अरुण का बैकग्राउंड भी दिलचस्प है.. वे पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे. कन्नौज से विधायक बनने के बाद वे मंत्री बने. उनका यह बयान भाजपा के अंकर्कलह को भी उजागर कर रहा है. क्योंकि कन्नौज में भाजपा की हार का ठीकरा वे वोटर लिस्ट पर फोड़ रहे हैं.
असीम अरुण का वीडियो वायरल होते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे अपने एक्स हैंडल से शेयर किया. और उन्होंने लिखा कि भाजपा के इन विधायक और उप्र के मंत्री जी का एफिडेविट चुनाव आयोग पहुंच गया क्या? चुनाव आयोग इनके खिलाफ क्या करेगा. इसका शपथपत्र न सही तो श्वेतपत्र दे.. वहीं अखिलेश ने यह सवाल इसलिए पूछा क्योंकि हाल ही में चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से वोटर लिस्ट गड़बड़ी के आरोपों पर हलफनामा मांगा था.. अखिलेश ने कहा कि अगर विपक्ष के आरोपों पर एफिडेविट चाहिए, तो भाजपा मंत्री के आरोप पर भी वही नियम लागू होना चाहिए. उन्होंने इसे चुनाव आयोग की दोहरी नीति बताया.
अखिलेश पहले से ही यूपी में वोटर लिस्ट से नाम काटने का मुद्दा उठाते रहे हैं. और उन्होंने दावा किया है कि 2022 विधानसभा चुनाव में 18 हजार नाम गैरकानूनी रूप से काटे गए. और इसके लिए उन्होंने एफिडेविट भी दिया था. लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की. अखिलेश ने कहा कि यह वोट चोरी नहीं, बल्कि दिनदहाड़े वोट की लूट है.. और उन्होंने विपक्षी दलों के साथ मिलकर दिल्ली में चुनाव आयोग तक मार्च भी निकाला. जहां पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दी. अखिलेश बैरिकेड कूदकर धरने पर बैठे और कई नेता हिरासत में लिए गए.
बता दें वोट चोरी का यह विवाद नया नहीं है. सपा और इंडिया गठबंधन के नेता लंबे समय से चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं कि वोटर लिस्ट से मुस्लिम, यादव, दलित और गरीब वोटर्स के नाम जानबूझकर काटे जा रहे हैं. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में लाखों नाम काटने के आरोप लगे. अखिलेश ने कहा कि फर्रुखाबाद सीट पर अगर ईसीआई ने फ्रॉड नहीं किया होता, तो भाजपा हार जाती. बिहार में एसआईआर पर भी विवाद है. विपक्ष का दावा है कि 65 लाख नाम काटे गए. जिनमें ज्यादातर विपक्षी वोटर हैं. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नाम काटने के कारण बताने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है.
राहुल गांधी ने भी कर्नाटक की वोटर लिस्ट दिखाकर आरोप लगाया कि फर्जी नाम जोड़े गए. उन्होंने कहा कि लोग जाग चुके हैं, अब वोट चोरी नहीं चलेगी.. विपक्ष ने संसद में हंगामा किया और मार्च निकाला, लेकिन चुनाव आयोग ने आरोपों को गलत और भ्रम फैलाने वाला बताया. यूपी बायपोल चुनाव में भी अखिलेश ने बोगस वोटिंग का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कुंडरकी, मीरापुर और फैजाबाद में अधिकारी भाजपा की मदद से वोटर्स को डराते थे. एक वीडियो में महिलाओं पर रिवॉल्वर तानने का आरोप भी लगा. लेकिन चुनाव आयोग ने आज तक सभी सुबूत होने के बाद भी बीजेपी पर कोई एक्शन नहीं लिया.
चुनाव आयोग ने इन सभी आरोपों को गलत बताते हुए बीजेपी के इशारे पर खारिज कर दिया.. और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी से कहा कि या तो एफिडेविट दें या माफी मांगें. वहीं अब बीजेपी मंत्री के वोट चोरी के दावे पर ज्ञानेश कुमार क्या करेंगे.. ज्ञानेश कुमार अब बीदेपी मंत्री से हलफनामा मांगेंगे या फिर देश की जनता से माफी मांगने के लिए कहेगे.. चुनाव आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट रिविजन पारदर्शी है और डुप्लिकेट नाम हटाने के लिए है.. बिहार एसआईआर पर वीडियो और दस्तावेज शेयर किए..
बता दें यूपी में 2022 चुनाव के बाद सपा ने एफिडेविट दिया. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आयोग ने कहा कि प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं, सब नियम से है. हालांकि, विपक्ष कहता है कि आयोग भाजपा से मिला हुआ है.. यह विवाद लोकतंत्र की नींव पर सवाल उठाता है. अगर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है. तो चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होती है. जिसको लेकर राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कहा कि बिहार एसआईआर फ्रॉड है. भाजपा महाराष्ट्र जैसा स्कैम दोहराना चाहती है. लेकिन विपक्ष सतर्क है. कपिल सिब्बल ने ईसीआई और भाजपा मिले होने का आरोप लगाया.
वहीं यूपी में यह मुद्दा 2027 विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है. सपा इसे बड़ा मुद्दा बनाकर वोटर्स को जागरूक कर रही है. वोटर लिस्ट गड़बड़ी का इतिहास पुराना है. 2019 लोकसभा चुनाव में तेलंगाना और आंध्र में लाखों नाम काटे गए. जिस पर कांग्रेस ने आरोप लगाया. 2022 यूपी चुनाव में सपा ने 18 हजार नाम काटने का एफिडेविट दिया. महाराष्ट्र 2024 चुनाव में राहुल गांधी ने कहा कि ईसीआई ने चुनाव चुराया. बिहार में 2020 चुनाव से पहले भी विवाद हुआ. भारत में ईवीएम के साथ वोटर लिस्ट मुद्दा जुड़कर बड़ा हो गया है.



