राहुल के इस दांव से इतना घबराई भाजपा, कांग्रेस के बैंक अकाउंट कर दिए सीज
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव अब कुछ ही दिन बचे हुए हैं भले ही चुनावी तारीखों की अधकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है लेकिन चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल एक्टिव नजर आ रहे हैं ऐसे में भाजपा समेत अन्य दलों के नेता लगातार जनसभाएं करके वोटरों को साधने में लगे हुए हैं। चुनाव को नजदीक आता देख जनता से तरह-तरह के वादे किये जा रहे हैं। पीएम मोदी समेत अन्य नेता लगातार बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं। लेकिन जनता का इन वादों पर कितना असर होगा ये तो आने वाला समय ही तय करेगा लेकिन सभी दल चुनाव साधने में अपना जोर लगा रहे हैं। पीएम मोदी की अगर हम बात करें तो लगभग हर राज्य को कागजों पर सौगात बांटते फिर रहे हैं। असल में जमीनी हक़ीक़त कुछ और ही है। खैर पीएम मोदी एक तरफ जहां हर राज्य में दौरे कर रहे हैं वहीं मणिपुर जैसे राज्यों की तरफ झांक कर देख भी नहीं रहे।
इतना ही नहीं पीएम मोदी देश के किसानों के मुद्दों पर भी चुप्पी साधे हुए हैं। अब भले ही चुनावी माहौल को बनाने के लिए लोगों से कागजी वादे करते फिर रहे हों लेकिन जनता का रुख इस बार कुछ और ही नजर आ रहा है। क्योंकि एक तरफ पीएम मोदी और भाजपा जहां अमीरों की जेबें भरने में लगे हुए हैं वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार देश की जनता के बीच पहुँच रहे हैं उनकी बातें सुन रहे हैं। राहुल गांधी देश में फैली बेरोजगारी, महंगाई, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं। इतना ही नहीं देश में इन दिनों जातीय गणना का मुद्दा भी चर्चा में बना हुआ है। इसे लेकर भी लगातार आवाजें उठ रही हैं। कांग्रेस समेत विपक्ष की दूसरी पार्टियां जातियों के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग कर रही हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हर रैली में यह मुद्दा उठा रहे हैं। सत्ता में आने पर जाति-जनगणना कराने का वादा भी कर रहे हैं। वहीं पीएम मोदी ने गरीब, महिला, युवा और किसान को नई जातियां बताकर जाति की परंपरागत सियासत को बदलने की रणनीति तैयार की है। भाजपा हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, कल्याणकारी और चार नई जातियों को लेकर केंद्रित योजनाओं से जुड़ी उपलब्धियों के सहारे सामाजिक न्याय की राजनीति का नया विकल्प खड़ा करने की कोशिश कर रही है। इस मामले में सबकी निगाहें जाति आधारित राजनीति का केंद्र माने जाने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के नतीजे पर है। हालांकि बीते साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में विपक्ष के इस मुद्दे का असर पड़ता नहीं दिखा।
भले ही भाजपा को हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कामयाबी हाथ लगी। लेकिन इस बार जनता का रुख अलग नजर आ रहा है। एक तरफ जहां पीएम मोदी की जनसभाओं में खाली कुर्सियां दिख रही हैं तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जनसभा और यात्रा में जनता का अपार जन समर्थन मिल रहा है। बता दें कि हिंदी पट्टी से जुड़े दल सामाजिक न्याय की राजनीति के बहाने आरक्षण से जुड़े सवालों को उठाते रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सामाजिक न्याय की राजनीति पर खुलकर सामने आई है। उसे लगता है कि वह इसी मुद्दे के सहारे हिंदी पट्टी में अपना पुराना आधार खड़ा कर सकती है।
शायद यही वजह है कि राहुल समेत कांग्रेस के अन्य नेता लगातार जातियों की संख्या के हिसाब से आरक्षण की व्यवस्था की बात कह रहे हैं। वहीं राहुल गांधी इस मुद्दों को लेकर लगातार बोल रहे हैं। इस मामले पर उन्होंने कहा है कि बिहार के आंकड़े देश की असली तस्वीर की छोटी सी झलक है। हमें अंदाजा भी नहीं है कि देश की गरीब आबादी किस हालत में रह रही है। हम सत्ता में आए, तो जाति जनगणना और आर्थिक स्थिति की समीक्षा कराएंगे। 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को उखाड़ फेकेंगे। यह कदम देश का एक्स-रे करेगा और सभी को सही आरक्षण, अधिकार और हिस्सेदारी देगा।
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार किसानों को गारंटियां दे रहे हैं, साथ की कर्ज माफ़ी जैसे मुद्दों को लेकर भी केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। राहुल गांधी को मिल रहा जनता का समर्थन और उनकी इन नीतियों से घबरा कर भाजपा, कांग्रेस को रोकने की हर तरह से कोशिश कर रही है। यहां तक की कांग्रेस के कई सारे अकाउंट को भी सीज कर दिया गया है। इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। खरगे का कहना है की कांग्रेस ने जिन बैंक खातों में डोनेशन से मिला पैसा रखा था, उन अकाउंट को भाजपा सरकार ने फ्रीज कर दिया है। दरअसल कांग्रेस पार्टी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 13 फरवरी को 105 करोड़ के बकाया टैक्स की वसूली के लिए नोटिस भेजा था। डिपार्टमेंट ने कांग्रेस पर 210 करोड़ का जुर्माना लगाया और बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे।
इसके खिलाफ कांग्रेस नेता और वकील विवेक तन्खा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जिसे कोर्ट ने कांग्रेस के बैंक खातों पर IT एक्शन को रोकने की याचिका खारिज कर दी है। फिर इस विषय पर कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन ने भी भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाया था और कहा था कि ‘यह सब भाजपा सरकार ने जानबूझकर करवाया है। खैर आज जिस तरह का माहौल बना दिया गया है, ऐसे में एक बात तो साफ है कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
अब मौजूदा समय में सभी दल वोटरों को साधने में लगे हुए हैं। लेकिन अब इन सारे वादों का असर जनता पर कितना पड़ता है ये तो आने वाला समय ही तय करेगा लेकिन एक बात तो साफ़ है कि जनता इस बार भाजपा को नापसंद कर रही है। तो ये देखना होगा कि भाजपा द्वारा विपक्षी दलों को रोकने की जो कोशिश की जा रही है ये कितना काम आएगी और इसका कितना फायदा भाजपा को मिलेगा। लेकिन इस सियासी होहल्ले से एक बात तो तय है कि इस बार का चुनाव काफी खास होने वाला है।