संजय निषाद ने बढ़ाई भाजपा की टेंशन, NDA में पड़ गई फूट?
लखनऊ। लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सभी राजनीतिक दल एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं। चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर है और नेता अपनी बात जनता तक पहुंचा रहे हैं। जनता का वोट साधने के लिए तरह- तरह के पैंतरे अपना रहे हैं। हर किसी को अपनी पार्टी अपना सिम्बॉल अपना नेता चाहिए। ऐसे में उत्तर प्रदेश की अगर हम बात करें तो यहां NDA गठबंधन के बीच पेंच फसता नजर आ रहा है। ऐसा हमेशा से देखा गया है कि प्रदेश की 80 लोकसभा सीटें केंद्र की सरकार बनाने में अहम् भूमिका निभाती हैं।
इसलिए हर दल चाहता है कि यूपी में अधिक से अधिक सीटें जीते ताकि उसके लिए दिल्ली की राहें आसान हो सकें। ऐसा होता भी है कि प्रदेश में जिस दल की जितनी ज्यादा सीटें होती हैं केंद्र में सरकार भी उसी की बनती है। अब इसी होड़ में दो गठबंधन एक्टिव हैं इंडिया और NDA गठबंधन। अब इंडिया गठबंधन में तो सभी दलों के बीच सीटों को लेकर बात बन चुकी है लेकिन वहीं बात करें NDA की तो इसमें पेंच फंसता नजर आ रहा है। दरअसल निषाद पार्टी के संयोजक संजय निषाद इन दिनों सीटों को लेकर भाजपा से खफा बताए जा रहे हैं। वो पिछले कई दिनों से भाजपा आलकमान से सीटों की मांग कर रहे हैं।
यूपी के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि हमें निषाद पार्टी के सिंबल पर सीट चाहिए, नहीं तो हमारे कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे।कैबिनेट मंत्री ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कार्यकर्ताओं को संभालना मुश्किल हो जाएगा। जब अपना दल को दे रहे हैं, आरएलडी को दे रहे हैं, राजभर की पार्टी को तो हमे क्यों नहीं? योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद संतकबीर नगर से सांसद हैं। बीजेपी ने प्रवीण निषाद को दूसरी बार संतकबीर नगर से लोकसभा का टिकट दिया है। संजय निषाद ने पार्टी सिंबल पर सीट की मांग की है। उन्होंने निषाद मतदाताओं की संख्या को देखते हुए एक सीट मिलना चाहिए।
संजय निषाद ने कहा कि प्रवीण निषाद को बीजेपी ने दोबारा लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में निषाद मतदाता खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे पर बीजेपी आलाकमान से बातचीत चल रही है। निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को शांत रहने के लिए कहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एनडीए गठबंधन में शामिल अन्य दलों को भी खुद के सिंबल पर सीटें आवंटित की गई हैं। ऐसे में निषाद पार्टी के सिंबल पर एक सीट नहीं मिलने से कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे।
हालांकि संजय निषाद की इस नाराजगी पर खुल मोहर तब लगी जब हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश विधान परिषद् चुनाव नामांकन के दौरान वो भाजपा समेत अन्य NDA गठबंधन के नेताओं के साथ वो नहीं दिखे। बता दें कि बीजेपी के सात, राष्ट्रीय लोकदल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल सोनेलाल से 1-1 प्रत्याशियों ने अपना पर्चा भरा। भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कुल 10 प्रत्याशियों के नामांकन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य सहयोगी दलों के नेता नामांकन के दौरान मौजूद रहे। इस मौके की जो तस्वीर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शेयर की उसमें सुभासपा नेता और कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर, अपना दल के नेता और एमएलसी प्रत्याशी आशीष पटेल, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेता दिखे लेकिन योगी सरकार में मत्स्य विभाग के मुखिया संजय निषाद कहीं नजर नहीं आए।
इस अहम मौके पर उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी और उनकी इस गैरहाजिरी को लेकर तरह-तरह की बातें उठने लगी। बता दें कि संजय निषाद के बेटे प्रवीण भाजपा के सिंबल से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं संजय निषाद खुद के पार्टी सिंबल से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में खुद संजय निषाद ने भाजपा से सीट पाने के लिए यह भी कह दिया था कि उन्हें वह सीट दी जाए जो भारतीय जनता पार्टी कभी नहीं जीत पाई है और वह उस लोकसभा क्षेत्र में चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपना समर्थन और मजबूत करेंगे। लेकिन जब इससे भी बात नहीं बनी तो उन्होंने दिल्ली का रुख कर लिया और दिल्ली पहुंच कर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।
ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब संजय निषाद सीट बंटवारे को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं। आगामी चुनाव के बीच जेपी नड्डा से संजय निषाद की मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है। संजय निषाद ने उनके सामने अपनी बात रखी है। बता दें कि संजय निषाद ने खुद के लिए एक सीट की मांग की है क्योंकि उनका खुद कहना है कि प्रवीण निषाद को बीजेपी ने दोबारा लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में निषाद मतदाता खुश नहीं हैं। ऐसा कई बार देखने को मिला दरअसल आलापुर में मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद जनसंपर्क के लिए पहुंचे लेकिन इस दौरान जनता ने उन्हें जमकर खरी खोटी सुना दी। बता दें कि प्रवीण निषाद सन 2018 के दौरान चर्चा में आए थे। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सांसद का पद छोड़ दिया था। लिहाजा गोरखपुर सीट पर 2018 में उपचुनाव कराया गया। गोरखपुर सीट पर हुए उपचुनाव में प्रवीण निषाद बीजेपी के कद्दावर नेता उपेंद्र शुक्ला को हराकर सांसद पहुंचे। बाद में सपा का साथ छोड़कर उन्होंने बीजेपी का दामन लिया।
खैर अब इस बार के चुनाव में किसकी राहें कितनी आसान होंगी ये तो आने वाला समय ही तय करेगा लेकिन संजय निषाद की इस डिमांड ने कहीं न कहीं भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। अब देखना ये होगा कि इस डिमांड को भाजपा पूरी करने में सफल होती है या चुनाव से पहले ही NDA गठबंधन में फूट पड़ जाएगी।