अशोक गहलोत के इस दांव से भाजपा की टेंशन बढ़ी!
4PM न्यूज़ नेटवर्क:
लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर है ऐसे में चुनावी माहौल को साधने के लिए सभी नेता लगातार जुटे हुए हैं। अपने खेमे को मजबूत करने के लिए पार्टी के नेता जनता के बीच पहुंच रहे हैं। साथ ही तरह तरह के वादे भी किये जा रहे हैं, इस बार का चुनाव हर बार के चुनाव से अलग है जिसकी वजह है इंडिया गठबंधन की मजबूती। भाजपा ने कभी सोचा भी नहीं रहा होगा कि उसके खिलाफ विपक्ष इस तरह से मजबूत हो जाएगा, और मुकाबला इतना कड़ा हो जाएगा। लेकिन भाजपा का पूरा गेम ही पलट गया है। वहीं राजस्थान की अगर हम बात करें तो राजस्थान में इस बार माहौल बिलकुल अलग है भले ही इन दिनों प्रदेश में भाजपा की सरकार हो लेकिन जनता का रुख कांग्रेस की ओर ज्यादा झुकता दिखाई दे रहा है। जिसे लेकर सरकार की टेंशन और भी ज्यादा बढ़ गई है।
बात दें कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है तब से ही सरकार सवालों के घेरे में है। सरकार ठीक से न चल पाने की वजह से भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होती जा रही हैं। प्रदेश में कुल 25 लोकसभा सीटें हैं 25 सीटों में से अब कितनी सीटें किसके खाते में आती हैं ये तो खैर आने वाले चुनावी परिणामों के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन अभी की अगर हम बात करें तो अभी का सियासी माहौल काफी गर्म है और नेता एक दूसरे पर जमकर बरस रहे हैं। वहीं विपक्ष भी भाजपा पर लगातार हमलावर है। ऐसे में इस बार के चुनावी परिणाम को लेकर ‘4 जून को राजस्थान में तो परिणाम अच्छे आएंगे ही, स्पष्ट बहुमत अगर आ जाए तो आश्चर्य नहीं होगा.” गहलोत ने कहा कि पीएम मोदी को मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने ऐसा घेरा है कि वो उस घेरे से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. दुनिया इस चुनाव को देख रहा है. अमेरिका और जर्मनी ने बोला कि आपने दो सीएम को जेल मे डाल दिया है. यूएन ने कांग्रेस की अकाउंट फ्रीज की उस पर बोला.
अशोक गहलोत ने कहा, ”इस चुनाव में पीएम की भाषा को लोगों ने लाइक नहीं किया है. पीएम पद की एक गरिमा होती है और फिर कहते हैं कि मैं हिंदू-मुसलिम राजनीति नहीं करता.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस चुनाव में प्रमुख मुद्दा बेरोजगारी, मंहगाई और किसान हैं. इन मुद्दों को पीएम डायवर्ट कर रहे हैं. साथ ही पूर्व सीएम अशोक गहलोत इन दिनों प्रदेश की भजनलाल सरकार पर भी जुबानी हमला बोलते नजर आ रहे हैं। भजनलाल जब से सीएम बने हैं उन्हें विपक्ष पर्ची वाले सीएम के नाम से संबोधित करते हैं साथ ही यही कह कर तीखा हमला भी बोलते हैं। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर मौजूदा सीएम शर्मा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कहा, भजनलाल शर्मा निडर होकर काम करें. दिल्ली के दबाव और RSS हेड क्वार्टर के दबाव में काम नहीं करें. CM की कुर्सी सब कुछ सिखा देती है. मैं भी पहली बार CM बना तो कहा गया कि कैसे सरकार चलाएंगे. लेकिन, मैंने सरकार चलाया. लोकसभा चुनाव के रिजल्ट राजस्थान में कुछ भी हो, इसमें भजनलाल जी क्या गलती? उनको तो राज करने का समय कहां मिला? मैं चाहता हूं, भजनलाल जी 5 साल सरकार चलाएं.”
दरअसल राजस्थान के सियासी गलियारों में चर्चा है कि 4 जून के लोकसभा चुनाव परिणाम के राजस्थान के सीएम बदल सकते हैं. सीट कम होने पर उनकी कुर्सी जा सकती है. गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद सियासी चर्चाएं और तेज हो गई हैं. अमित शाह ने कहा है कि इस बार राजस्थान में बीजेपी की सीटें कम रहेंगी. सभी सीटों पर बीजेपी की जीत नहीं होगी. दूसरी तरफ भजनलाल सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से त्यागपत्र देने का ऐलान कर सीएम भजनलाल शर्मा की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं. किरोणी लाल मीणा ने कहा कि दौसा लोकसभा सीट हारने पर मंत्री पद से त्यागपत्र दे देंगे. इसके अलावा किरोड़ी लाल मीणा के समर्थक और दौसा से भाजपा कैंडिडेट कन्हैया लाल मीणा ने कहा है कि सीएम किरोड़ी लाल मीणा को बनना चाहिए. ऐसे में सियासी हलचलें तेज हो गई हैं. इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रह हैं. किरोणी लाल मीणा चार बार लेटर लिखकर अपने ही सरकार को घेर चुके हैं. तीन बार भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा और एक बार पीएम मोदी के नाम पत्र लिख चुके हैं. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि राजस्थान में कैबिनेट के गठन के समय भजनलाल शर्मा ने कई बार दिल्ली का दौरा किया था. उस दौरान कैबिनेट और राज्यमंत्रियों से कहा गया था कि पार्टी के लोकसभा कैंडिडेट की जीत बड़े पैमाने पर होनी चाहिए. बीजेपी की अगली रणनीति बहुत गोपनीय होती है, जो प्रदेश में सीएम के नाम के ऐलान के समय भी दिखी थी. अब हो भले कुछ भी लेकिन माना ये जा रहा है कि अगर राजस्थान में कांग्रेस की ज्यादा सीटें आई और भाजपा की कम सीटें आई तो प्रदेश में सियासी उलटफेर हो सकती है और कई बड़े बदलाव भी हो सकते हैं।
अगले महीने 4 जून को लोकसभा चुना के रिजल्ट घोषित हो जाएंगे. चुनाव परिणाम कांग्रेस की राजनीति पर असर डाल सकते हैं. जहां अशोक गहलोत बेटे की लोकसभा सीट पर प्रचार में व्यस्त थे. वहीं, पायलट ने भी समर्थित नेताओं के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोक दी.सचिन पायलट ने टोंक-सवाई माधोपुर सहित कई सीटों पर जमकर धुआंधार प्रचार किया है. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इन सीटों पर बीजेपी बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है. ऐसे में इस बार अगर इन सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई तो पायलट की ताकत बढ़ेगी. सचितन पायलट राजस्थान के बाद लोकसभा चुनाव में 14 राज्यों में 100 से अधिक सभाएं कर चुके हैं. यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बाद सबसे अधिक डिमांड सचिन पायलट की है. आने वाले दिनों में वह पंजाब, हिमाचल और सातवें चरण के बाकी राज्यों में प्रचार करने जाएंगे. जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आता नजर नहीं आ रहा है. इस सीट पर अशोक गहलोत के बेटे की हार होती है तो एक बड़ा सियासी तूफान आ सकता है. हलांकि, इस बात पर सबकुछ निर्भर करेगा की राजस्थान में कांग्रेस कितनी सीटें जीतती हैं. पायलट समर्थित प्रत्याशियों के संसदीय क्षेत्र में क्या परिणाम रहता है ?
पूर्व सीएम ने कहा, ”राजस्थान में हीटस्ट्रोक से अभी तक एक दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. आमजन से निवेदन है कि बेहद आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें. ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. घर के बाहर पक्षियों एवं पशुओं के पीने के लिए भी पानी रखने का प्रयास करें.” सरकार को सुझाव देते हुए गहलोत ने कहा,”सरकार भी गर्मी से होने वाली परेशानियों से निपटने का पूरा इंतजाम रखे. मजदूर एवं निम्न आय वर्ग के लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाले समृद्ध वर्ग से निवेदन है कि इस गर्मी में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर सुबह और शाम में ही काम करवाएं जिससे इनका जीवन और आजीविका दोनों चल सकें.” अब राजस्थान में इस सियासी पारे को 4 जून के चुनावी परिणाम ही शांत कर सकते हैं। इन परिणामों पर दोनों दलों के लोगों की निगाहें बनी हुई हैं और लगातार नजरें बनाए हुए हैं अब देखना ये होगा कि इस बार के चुनावी परिणाम क्या होंगे। परिणाम अगर भाजपा के खिलाफ आए तो प्रदेश में भाजपा बड़े बदलाव भी कर सकती है। अनुमान यह भी लगाया जो रहा है कि भाजपा की सीटें राजस्थान से इस बार कम आ रही हैं।