‘नोटिस के 24 घंटे के अंदर ही बुलडोजर चला दिया, ये बर्दाश्त नहीं कर सकते’, सुप्रीम कोर्ट ने किस केस में लगाई यूपी सरकार को फटकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मनमाने तरीके से मकान ढहाने के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस कार्रवाई से उनकी अंतरात्मा को धक्का लगा है. प्रयागराज में साल 2021 में कुछ लोगों के मकानों पर नोटिस जारी करने के 24 घंटे के बाद ही बुलडोजर एक्शन लिया गया था. इसी के बाद अब जब याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नोटिस के 24 घंटे के अंदर ही बुलडोजर चला दिया, ये बर्दाश्त नहीं कर सकते.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने नोटिस देने के 24 घंटे के अंदर ही मकानों को बुलडोजर से गिराने और पीडि़तों को अपील करने का समय नहीं देने पर भी नाराजगी जताई. बेंच ने कहा, यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है कि किस तरह से आवासीय परिसरों को मनमाने तरीके से ध्वस्त किया गया. जिस तरह से पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, वह चौंकाने वाला है. अदालतें ऐसी प्रक्रिया को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं, अगर हम एक मामले में इसे बर्दाश्त करते हैं तो यह जारी रहेगा.
शीर्ष अदालत ने पहले प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को ध्वस्त करने पर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि यह कार्रवाई चौंकाने वाली है और यह गलत संकेत देती है. शीर्ष अदालत, अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके घर साल 2021 में ध्वस्त कर दिए गए थे. इससे पहले इन सभी लोगों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने घरों को गिराए जाने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक बहुत बड़ी बात कही, जोकि याचिकाकर्ताओं के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत याचिकाकर्ताओं को ध्वस्त घरों के पुनर्निर्माण की इजाजत देगी, बशर्ते वे निर्धारित समय के अंदर अपीलीय प्राधिकरण के सामने अपील दायर करें. अदालत ने कहा कि अगर उनकी अपील खारिज हो जाती है तो याचिकाकर्ताओं को अपने खर्च पर घरों को ध्वस्त करना होगा. याचिकाकर्ताओं को हलफनामा दायर करने के लिए मामले को स्थगित कर दिया गया है.
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने राज्य की कार्रवाई का बचाव करते हुए नोटिस देने में पर्याप्त उचित प्रक्रिया का पालन करने का आश्वासन दिया. उन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के लिए अनधिकृत कब्जे को कंट्रोल करना मुश्किल है.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में साल 2021 में कुछ मकानों को धवस्त किया गया था. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक साल 2021 में पहले 1 मार्च को उन्हें नोटिस भेजा गया, जो उन्हें 6 मार्च को मिला और फिर 7 मार्च को मकानों पर बुलडोजर एक्शन लिया गया. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनको इस नोटिस के खिलाफ अपील करने का समय भी नहीं मिला और नोटिस जारी होने के 24 घंटे के बाद ही बुलडोजर एक्शन लिया गया.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि राज्य सरकार ने यह सोचकर गलत तरीके से घरों को ध्वस्त कर दिया कि यह जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, जो 2023 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था.

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