चंडीगढ़ मेयर विवाद: सुप्रीम कोर्ट आज पहुंचेंगे मतपत्र, नए सियासी समीकरण पर भारी पड़ सकता है अदालत का फैसला
नई दिल्ली। मेयर चुनाव विवाद मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी को फिर फटकार लगाई। कहा कि उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि हम जानते हैं कि क्या हो रहा है और हम खरीद-फरोख्त (हॉर्स ट्रेडिंग) को लेकर बेहद चिंतित हैं। देश की शीर्ष अदालत के इस रुख से माना जा रहा है कि मेयर चुनाव दोबारा नहीं होंगे। आठ बैलेट पेपरों के निशानों को नजरअंदाज कर वोटों की गिनती हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो आप-कांग्रेस गठबंधन का मेयर बन सकता है। रविवार को नगर निगम की सियासत में जो उलटफेर हुआ, उसके बाद यही चर्चा थी कि भाजपा एक बार फिर अपना मेयर बनाने में कामयाब हो जाएगी। मनोज सोनकर के अचानक मेयर पद से इस्तीफा देने और आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों पूनम देवी, नेहा मुसावत और वार्ड गुरचरणजीत सिंह काला के दिल्ली पहुंचकर भाजपा ज्वाइन करने के बाद सारे समीकरण भाजपा के पक्ष में नजर आ रहे थे। यह भी माना जा रहा था कि मेयर के इस्तीफे के बाद अब नए सिरे से चुनाव होंगे। पार्टी के तीन पार्षदों के टूटने के बाद आम आदमी पार्टी में भी निराशा फैल गई थी लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद सबकुछ बदल गया।
शीर्ष अदालत ने 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव के सभी मतपत्र और वीडियो मंगवा लिए हैं। अदालत ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह से भी पूछताछ की, जिसमें मसीह ने माना कि उन्होंने मतपत्रों पर निशान लगाए थे। अदालत मंगलवार को दो बजे चुनाव का पूरा वीडियो देखने के साथ मतपत्रों की जांच करेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि दोबारा चुनाव की संभावनाएं कम हैं। अब आठों मतपत्रों के निशान को नजरअंदाज कर वोटों की गिनती हो सकती है। ऐसा हुआ तो आप-कांग्रेस गठबंधन के कुलदीप कुमार मेयर बन सकते हैं।
तीन पार्षदों के टूटने के बाद आम आदमी पार्टी में खलबली मची है। पार्टी के प्रदेश सह-प्रभारी डॉ. एसएस आहलूवालिया ने सोमवार को सेक्टर-27 में आपात बैठक बुलाई और सभी पार्षदों के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा की। भाजपा की तरफ से दावा किया जा रहा था कि आप के कुछ अन्य पार्षद भी उनके संपर्क में हैं। ऐसे में आप ने अपने पार्षदों को टूटने से बचाने के लिए दोबारा बाहर भेजने की तैयारी कर ली थी। पार्षदों को बता दिया गया था कि उन्हें कुछ दिन के लिए फिर बाहर भेजा जाएगा लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी हो गई। अदालत का रुख पक्ष में देख पार्टी नेताओं ने राहत की सांस ली और पार्षदों को बाहर ले जाने की योजना टाल दी। हालांकि पार्टी की तरफ से सभी पार्षदों पर नजर रखी जा रही है।
वर्तमान में सिर्फ मनोज सोनकर ने मेयर पद से इस्तीफा दिया है। सीनियर डिप्टी मेयर कुलजीत संधू और डिप्टी मेयर राजिंदर शर्मा पद पर बने हुए हैं। उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। सारा विवाद मेयर चुनाव में मतपत्रों से छेड़छाड़ को लेकर है। 30 जनवरी को मेयर घोषित होने के बाद आप और कांग्रेस के पार्षद सदन से बाहर आ गए थे, जिसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर निर्विरोध चुने गए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर अदालत के निर्देश पर गठबंधन का मेयर बन जाता है तो भी सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर भाजपा के ही बने रह सकते हैं लेकिन सवाल यह है कि इन दोनों पदों के चुनाव मनोज सोनकर ने ही कराए थे, ऐसे में क्या इन दोनों चुनाव को मान्य माना जाएगा या नहीं।
मनोज सोनकर के इस्तीफा देने के बाद शहर में अब कोई मेयर नहीं है। द पंजाब म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन लॉ (एक्सटेंशन टू चंडीगढ़) एक्ट 1994 के सेक्शन 41 के अनुसार अगर एक महीने तक मेयर के लिए चुनाव नहीं होते हैं तो सीनियर डिप्टी मेयर को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
मेयर चुनाव में अब तक क्या-क्या हुआ
10 जनवरी: प्रशासन ने 18 जनवरी को मेयर चुनाव की अधिसूचना जारी की
15 जनवरी: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए किया गठबंधन
16 जनवरी: आप और कांग्रेस के नामांकनपत्र वापस लेने पर नगर निगम कार्यालय में हाथापाई। आधी रात को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एक पार्षद को अवैध रूप से हिरासत में लेने का आरोप लगाया गया। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी।
17 जनवरी : हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी क्योंकि यूटी ने दावा किया कि पार्षद अवैध हिरासत में नहीं है और सुरक्षा उनकी मांग पर प्रदान की गई थी। हालांकि अदालत ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के निर्देश दिए।
18 जनवरी: मेयर चुनाव के लिए पहुंचने पर आप और कांग्रेस पार्षदों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन हुआ। पीठासीन अधिकारी के खराब स्वास्थ्य के कारण डीसी ने 6 फरवरी तक मतदान स्थगित किया। आप ने 24 घंटे के भीतर चुनाव की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।
23 जनवरी: हाईकोर्ट ने यूटी से 24 घंटे के भीतर अदालत में संभावित चुनाव की तारीख पेश करने को कहा नहीं तो याचिका पर योग्यता के आधार पर फैसला करने की बात कही।
24 जनवरी: हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए 30 जनवरी को सुबह 10 बजे मेयर चुनाव कराने का आदेश दिया।
30 जनवरी: मेयर चुनाव में भाजपा ने गठबंधन को हराया। मनोज सोनकर मेयर बने। आप ने पीठासीन अधिकारी पर आठ वोट को अमान्य करार किए जाने के आरोप लगाए और हाईकोर्ट का रुख किया।
31 जनवरी: चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया। तुरंत राहत नहीं मिली। अदालत ने चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा।
5 फरवरी: आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अदालत ने पीठासीन अधिकारी की आलोचना की और कहा कि यह स्पष्ट है कि उन्होंने मतपत्रों को विकृत किया। यह लोकतंत्र की हत्या है। उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। 19 फरवरी को सुनवाई तय की गई।
18 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले मनोज सोनकर ने मेयर पद इस्तीफा दिया। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में चले गए।
19 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने अनिल मसीह को फटकार लगाई। मतपत्र व वीडियो मंगवाए। 20 फरवरी को फिर सुनवाई तय की।
लोगों को सुप्रीम कोर्ट से मिलेगा न्याय
जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अनिल मसीह पर मुकदमा चलाने को कहा है और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सुप्रीम कोर्ट में मतपत्र और वीडियो पेश करने को कहा है। उससे यह साफ हो गया है कि चंडीगढ़ के लोगों को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा और पहली बार शहर में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का मेयर बनेगा। – डॉ. एसएस आहलूवालिया, सह-प्रभारी, आप
अंतिम फैसला आना बाकी
मामला कोर्ट के विचाराधीन है और अभी तक कोर्ट का कोई अंतिम फैसला नहीं आया है। इस बारे में कोई भी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगा। कोर्ट का जो फैसला आएगा वह सभी को मानना होगा। हमें भी मान्य होगा। हम भी उस फैसले का सम्मान करेंगे। – जितेंद्र पाल मल्होत्रा, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
चंडीगढ़ में जल्द बनेगा इंडिया गठबंधन का मेयर
कांग्रेस पार्टी पूरी प्रक्रिया में चट्टान की तरह खड़ी रही और उनका कोई भी पार्षद किसी भी दबाव या प्रलोभन के आगे नहीं झुका। हमने इस अन्याय से लडऩे के लिए शहर में कई आंदोलन किए और अब प्रयास सफल होते दिख रहे हैं। जल्द ही चंडीगढ़ में इंडिया गठबंधन का मेयर होगा। भाजपा के मनोनीत पार्षद अनिल मसीह द्वारा किया गया शर्मनाक कृत्य पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। – एचएस लक्की, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस