मिडिल-ईस्ट में फिर जंग के बादल! ईरान-इजराइल में तकरार बढ़ी, खतरे में सीजफायर!

ईरान और इजराइल के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है..... डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद पश्चिम एशिया में हालात बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं.....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः मिडिल ईस्ट पहले से ही तनाव और संघर्ष का केंद्र रहा है……. एक बार फिर युद्ध की आशंका से घिर गया है……. हाल ही में ईरान और इजराइल के बीच हुए सीजफायर के टूटने की खबरें सामने आ रही हैं……. जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है…… 12 दिनों तक चली भीषण जंग के बाद……. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्तक्षेप से दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई थी….. लेकिन अब इस नाजुक शांति के टूटने की आशंका बढ़ रही है…… आज हम इस खबर में इसकी पृष्ठभूमि, कारण, प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे……

आपको बता दें कि ईरान और इजराइल के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है……. दोनों देशों के बीच लंबे समय से वैचारिक, धार्मिक और क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर मतभेद रहे हैं……. यह तनाव 2025 में और बढ़ गया……. जब इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला किया……. इस हमले में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे गए……. जिसने दोनों देशों के बीच सीधे संघर्ष की शुरुआत की…… इस हमले में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे गए……. जिसके बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई की…….  बता दें कि ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस” के तहत इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन……. और मिसाइलों से हमला किया……. इजराइल ने अपने आयरन डोम रक्षा तंत्र के जरिए इनमें से कई हमलों को नाकाम कर दिया…… लेकिन इस घटना ने मिडिल ईस्ट में तनाव को और बढ़ा दिया……

इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बार हमले और जवाबी हमले हुए……. इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हमले किए…… जिसमें कई ईरानी सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए…….. दूसरी ओर ईरान ने तेल अवीव, यरुशलम और बेयर शेवा जैसे इजराइली शहरों पर बैलिस्टिक……. और हाइपरसोनिक मिसाइलें दागीं…… जिससे नागरिक हताहत हुए…… बता दें कि 12 दिन तक चली इस भीषण जंग के बाद……. 24 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर घोषणा की कि ईरान…… और इजराइल के बीच “पूर्ण और संपूर्ण युद्धविराम” पर सहमति बन गई है……. ट्रम्प ने कहा कि अगले छह घंटों में दोनों देश अपने अंतिम सैन्य मिशन पूरा करेंगे……. जिसके बाद 12 घंटे का युद्धविराम शुरू होगा……. 24 घंटों के बाद, युद्ध को आधिकारिक रूप से समाप्त माना जाएगा…….

वहीं इस समझौते में कतर की मध्यस्थता महत्वपूर्ण थी……. कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने ईरानी अधिकारियों के साथ बातचीत कर उन्हें सीजफायर के लिए राजी किया……. ट्रम्प ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई की “सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता” की तारीफ की……. और इसे मिडिल ईस्ट में शांति की दिशा में एक बड़ा कदम बताया……

आपको बता दें कि ट्रम्प ने एक इंटरव्यू में इसे “दुनिया के लिए शानदार दिन” बताया……. और कहा कि इस युद्धविराम से मिडिल ईस्ट में शांति की शुरुआत होगी…….. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी ट्रम्प की तारीफ करते हुए कहा कि यह “ऐतिहासिक युद्धविराम” केवल ट्रम्प ही हासिल कर सकते थे……. वहीं सीजफायर की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, स्थिति ने नाटकीय मोड़ ले लिया……… ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ट्रम्प के दावे का खंडन करते हुए कहा कि कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है……. अराघची ने स्पष्ट किया कि ईरान युद्धविराम तभी स्वीकार करेगा…….. जब इजराइल अपनी “गैर-कानूनी आक्रामकता” को पूरी तरह रोक दे……. और उन्होंने यह भी कहा कि ईरान इजराइल और अमेरिका के हमलों का जवाब देने के लिए तैयार है…….

इसके साथ ही ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे अल उदेद पर मिसाइल हमला किया……. जिसे ईरान ने अमेरिका द्वारा अपने परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों का जवाब बताया…….. ईरान ने उतनी ही मिसाइलें दागीं…….. जितने बम अमेरिका ने ईरान पर गिराए थे……. जिससे यह संकेत मिलता है कि ईरान युद्ध को बढ़ाने से बचना चाहता है…… लेकिन पीछे हटने को भी तैयार नहीं है……. बता दें कि इजराइल ने भी जवाबी कार्रवाई की……. इजराइली सेना ने तेहरान में ईरानी सरकार के ठिकानों और फोर्डो परमाणु संवर्धन केंद्र के आसपास की सड़कों पर हमले किए……. इजराइल ने दावा किया कि ये हमले ईरान की परमाणु क्षमता को सीमित करने के लिए जरूरी थे…….

आपको बता दें कि ट्रम्प ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि दोनों देशों ने सीजफायर का उल्लंघन किया है……. और उन्होंने खासतौर पर इजराइल की आलोचना की……. यह कहते हुए कि उसे युद्धविराम के तुरंत बाद इतना बड़ा हमला नहीं करना चाहिए था……. ट्रम्प ने कहा कि मैं इजराइल से खुश नहीं हूं……. और उन्होंने यह भी कहा कि ईरान और इजराइल “इतने लंबे समय से लड़ रहे हैं कि उन्हें नहीं पता कि वे क्या कर रहे हैं……

ईरान और इजराइल के बीच गहरा अविश्वास है……. ईरान का मानना है कि इजराइल और अमेरिका उसके परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट करना चाहते हैं……… जबकि इजराइल को डर है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है…… वहीं अमेरिका ने इजराइल का खुलकर समर्थन किया……. और ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी की……. जिसमें बंकर बस्टर बम और टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ…… इससे ईरान और गुस्से में आ गया और उसने अमेरिकी सैन्य अड्डों को निशाना बनाया….. मिडिल ईस्ट के अन्य देशों, जैसे सऊदी अरब और यूएई ने तटस्थ रुख अपनाया…… लेकिन ईरान को रूस और चीन से नैतिक समर्थन मिला……… हालांकि, ये देश खुलकर युद्ध में शामिल नहीं हुए…….

वहीं ईरान में सुप्रीम लीडर अली खामेनेई और इजराइल में बेंजामिन नेतन्याहू दोनों अपनी घरेलू राजनीति में मजबूत दिखना चाहते हैं…….. युद्धविराम को स्वीकार करना उनके लिए कमजोरी का संकेत माना जा सकता है……. आपको बता दें कि ट्रम्प के बयानों ने इस स्थिति को और जटिल बना दिया है……. उनकी शुरुआती घोषणा कि सीजफायर लागू हो गया है……. ने दुनिया भर में राहत की सांस लाने की कोशिश की……. लेकिन ईरान के खंडन और दोनों देशों द्वारा हमलों के जारी रहने से उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे…….. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प की जल्दबाजी में की गई घोषणा ने स्थिति को और बिगाड़ दिया…….

बता दें कि ट्रम्प ने बाद में दोनों देशों पर सीजफायर तोड़ने का आरोप लगाया……. और आपत्तिजनक भाषा का भी इस्तेमाल किया…… जिससे मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ गया……. उनकी टिप्पणी थी कि “ईरान मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा आतंकी समर्थक है…… और इजराइल को चेतावनी कि वह अपने पायलटों को वापस बुलाए…… जिसने दोनों पक्षों को और उकसाया….. वहीं सीजफायर के टूटने की आशंका ने मिडिल ईस्ट में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है…… इस क्षेत्र में पहले से ही सीरिया, यमन…… और लेबनान जैसे देशों में संघर्ष चल रहे हैं…….

आपको बता दें कि अगर युद्ध फिर से शुरू होता है……. तो हिजबुल्लाह जैसे ईरान समर्थित समूह इजराइल के खिलाफ सक्रिय हो सकते हैं……. ईरान ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने की धमकी दी है……. जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है…….. यह जलमार्ग दुनिया के 24 फीसदी तेल व्यापार का रास्ता है…… वहीं इजराइल के हमलों में ईरान में 639 लोग मारे गए हैं…….. जबकि ईरानी हमलों में इजराइल में 24 नागरिकों की मौत हुई है…… युद्ध बढ़ने से यह संख्या और बढ़ सकती है…….

ईरान-इजराइल युद्ध का भारत पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है…… भारत अपने 90 फीसदी कच्चे तेल का आयात मिडिल ईस्ट से करता है……. जिसमें से 40 फीसदी स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते आता है……. वहीं अगर यह जलमार्ग बंद होता है…….. तो भारत में तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं……. जिससे महंगाई में इजाफा होगा……. इसके अलावा, भारत का मिडिल ईस्ट के देशों के साथ 41.7 अरब डॉलर का व्यापार है…….. युद्ध बढ़ने से यह व्यापार प्रभावित हो सकता है…….. भारत ने अपने नागरिकों को ईरान से निकालने के लिए “ऑपरेशन सिंधु” शुरू किया है…….. क्योंकि युद्ध के कारण एयर इंडिया और इंडिगो जैसी एयरलाइंस ने मिडिल ईस्ट में उड़ानें बंद कर दी हैं…..

आपको बता दें कि ट्रम्प ने ईरान को चेतावनी दी कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू नहीं करेगा…… और उन्होंने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की बात भी कही……. G7 नेताओं ने मिडिल ईस्ट में शांति की अपील की……. और कहा कि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी……. पाकिस्तान ने ईरान के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपातकालीन बैठक बुलाई……. वहीं अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि ईरान के परमाणु ठिकानों को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है……. और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की……

सीजफायर के टूटने की स्थिति में मिडिल ईस्ट में युद्ध का दायरा बढ़ सकता है…….. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान और इजराइल के बीच तनाव कम नहीं हुआ…….. तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है……. हालांकि, कतर और अन्य तटस्थ देशों की मध्यस्थता से शांति वार्ता फिर से शुरू हो सकती है……. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने कहा है कि वह युद्ध का विस्तार नहीं करना चाहते……. लेकिन इजराइल और अमेरिका के हमलों का जवाब देंगे…….. दूसरी ओर, नेतन्याहू ने दावा किया है कि इजराइल ने अपने सभी युद्ध लक्ष्य हासिल कर लिए हैं…..

 

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