मदरसों को लेकर पुलिस सम्मेलन में उत्तराखंड के सीएम धामी ने दिया बड़ा बयान
नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मदरसों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मदरसों में स्कूली शिक्षा की जगह कुछ और ही हो रहा है. यह स्थिति चिंता का विषय है. मुख्यमंत्री धामी तीन दिवसीय पुलिस सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य के सभी मदरसों का सर्वे किया जाएगा. यह सर्वे उत्तराखंड पुलिस कराएगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई ऐसी जगह हैं, जहां कुछ लोगों की बसावट चिंता का विषय है. राज्य में अवांछनीय तत्वों को रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है.
पुलिस सम्मेलन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देव भूमि उत्तराखंड का स्वरुप खराब नहीं होना चाहिए. इस राज्य का दैवी का स्वरुप बना रहना चाहिए. इसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड पुलिस की है. इसके लिए राज्य में अवांछनीय तत्वों को रोकना होगा. उनके ऊपर सख्ती करनी होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कई मदरसों में स्कूली गतिविधियों के बजाय कुछ संदिग्ध होने की सूचना है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही इन मदरसों का सर्वे कराने की बात की थी. अब इस सर्वे को आगे बढ़ाने और जल्द से जल्द सर्वे कराने की जिम्मेदारी उत्तराखंड पुलिस को दी गई है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई ऐसी जगहें हैं जहां संदिग्ध बसावट हुई है. इसके पुख्ता इनपुट भी हैं. ऐसे में यह चिंता का विषय है कि इस प्रकार की आबादी को कैसे रोका जाए.
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन के दौरान विभिन्न मुद्दों पर खुलकर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड में अवांछनीय तत्वों की आबादी बढऩे पर चिंता जताई. उन्होंने पुलिस को खुली छूट देते हुए कहा कि ऐसे लोगों की पहचान और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई में बिल्कुल देर नहीं होनी चाहिए. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि देव भूमि में ना तो अवांछनीय गतिविधियां मंजूर हैं और ना ही अवांछनीय लोग. अब यह पुलिस की जिम्मेदारी और जवाबदेही है कि वह कैसे इस तरह के लोगों पर नकेल कसती है.
उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव पर राज्यपाल ने धर्मांतरण कानून को मंजूरी दे दी है. इस कानून के लागू होने के साथ ही राज्य में किसी का भी बलपूर्वक या जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर तीन से दस साल तक की सजा हो सकती है. राजभवन ने सरकार के धर्मांतरण विरोधी संशोधन विधेयक को मंजूरी देते हुए राजपत्र जारी कर दिया है. इसमें प्रावधान किया गया है कि दोष साबित होने पर दोषी को तीन से 10 वर्ष की सजा के साथ ही 50 हजार रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है. इसी में प्रावधान है कि एक व्यक्ति के धर्मांतरण पर दो से सात वर्ष की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना किया जा सकता है.