राजधानी में हटने लगीं कोयले की भट्टियां

  • हजरतगंज और आस-पास के इलाके से हुई शुरूआत
  • 200 लोगों के यहां फ्री में बदली जाएंगी भट्टी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोयले से चलने वाली भट्टियां और तंदूर को बदलने का अभियान शुरू हो गया है। नगर निगम और ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) के सहयोग से यह अभियान शुरू किया गया है। जोन एक में शुरू हुए इस अभियान में पहले 200 लोगों के यहां फ्री में भट्टीं बदली जाएगी। मौजूदा समय एक तंदूर भट्टी की कीमत 9000 रुपए आ रही है। जोन एक के अधिकारियों के साथ लालबाग में सरदार जी छोले – भटोर और आस-पास के दुकानों पर इसको बदला गया।
नगर निगम जोन एक के इंस्पेक्टर राजा बाबू ने बताया कि शुक्रवार को भी अभियान चलाया जाएगा। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह की पहल पर शहर से प्रदूषण स्तर कम करने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। कोल भट्टी में गैस वाले की तुलना में काफी ज्यादा प्रदूषण निकलता है। ऐसे में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए नगर निगम ने यह फैसला लिया है। कोल भट्टी हटाने के नियम को धीरे – धीरे पूरे शहर में अनिवार्य कर दिया जाएगा।

दुकानदार और कारीगर कर रहे विरोध

नगर निगम के इस अभियान का हालांकि दुकानदार और कारीगर विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि इससे शहर का जायका खराब हो जाएगा। तंदूरी रोटी, कबाब, नॉन रोटी समेत तमाम मुगलई आइटम बनाने वाले लोगों का कहना है कि कोयले वाली बात कभी भी गैस चूल्हा भट्टी पर नहीं आ सकती है। भोजन भी बराबर नहीं पकेगा।

3000 से ज्यादा कोयला भट्टियां चल रही है

शहर में मौजूदा समय करीब 3000 से ज्यादा कोयला भट्टियां चल रही हैं। वायु प्रदूषण नियंत्रण व एनजीटी की सख्ती के बाद होटल, रेस्टोरेंट और ढाबों में चलने वाली तंदूर की भट्टियों पर रोक लगाया जाएगा। इसके लिए नगर निगम तंदूर का इस्तेमाल करने वाले होटल व रेस्टोरेंट का सर्वे कराया जा रहा है।

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