हिमाचल में राजभवन-सरकार में बढ़ा टकराव

राज्यपाल की शब्दावली दुर्भाग्यपूर्ण : नेगी

चुनावी वादे पूरा करना राजभवन का काम नहीं : गवर्नर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
शिमला। राजभवन और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। पिछले दिनों राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा था कि किसी दल के चुनावी वादे पूरा करना राजभवन का काम नहीं है। राज्यपाल के इस बयान पर राजस्व एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि राज्यपाल की ओर से ऐसी शब्दावली दुर्भाग्यपूर्ण है। चुनावी वादे पूरा करने के लिए ही सरकार है।
प्रदेश सचिवालय में बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ बहाली करना कांग्रेस सरकार का दायित्व है। सांविधानिक तरीके से मांग करना गलत नहीं है। नौतोड़ विधेयक को मंजूरी के लिए वह पांच बार राज्यपाल से मिल चुके हैं। छठी बार फिर मिलकर आग्रह करेंगे। नौतोड़ को लेकर राजभवन ने जो आपत्तियां लगाई हैं, उनमें पूरे नाम-पते का जिक्र किया गया है। इसका पूरा डाटा राजभवन को दिया जाएगा। राज्यपाल ने जो फेक शब्द का जिक्र किया है, उस पर उन्हें आपत्ति है। इसमें कोई गलती करने की गुंजाइश नहीं है, न ही पहले हुई है। राज्यपाल व राजभवन का अनादर कभी नहीं किया गया है। नेगी ने कहा कि राज्यपाल नौतोड़ के मसलों की छंटनी नहीं करेंगे, उसके लिए अधिकारी बैठे हैं। राज्यपाल को एफसीए 1980 को सस्पेंड करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी तक 12,742 मामले लंबित हैं। जनजातीय क्षेत्र के जिन लोगों के पास 20 बीघा से कम भूमि है, उन्हें सरकार ने 20 बीघा जमीन देने का नौतोड़ नियम में प्रावधान किया है। नौतोड़ के लिए कभी भी आवेदन कर सकते हैं।

जनजातीय विरोधी थी जयराम सरकार

मंत्री नेगी ने कहा कि पूर्व भाजपा के समय भी उन्होंने इसे लेकर आंदोलन किया था। तत्कालीन जयराम सरकार ने 2020 में एक साल के लिए एफसीए को जनजातीय क्षेत्र में नौतोड़ को निलंबित किया था, लेकिन इसमें केवल एक ही व्यक्ति को फायदा पहुंचाया गया। वह जनजातीय लोगों के विरोधी हैं। जब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे, तब भी इस कानून को सस्पेंड किया था। किन्नौर में 500 लोगों को पट्टे मिले व 6 हजार का संयुक्त निरीक्षण हुआ था। दिसंबर 2017 में भाजपा सरकार बनी। एफसीए 2018 तक सस्पेंड था।

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