कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका ने जारी किया घोषणा पत्र
20 लाख सरकारी नौकरियों की गारंटी, रोजगार के लिए लोन
- कांग्रेस की सरकार बनने पर शिक्षा बजट बढ़ाने का भी ऐलान
- बनाया जाएगा जॉब कलेंडर, प्रदेश के युवाओं पर पार्टी का फोकस
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। यूपी विधान सभा चुनाव में महिलाओं को चालीस फीसदी टिकट देने समेत कई अन्य वादों के बाद कांग्रेस ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और यूपी प्रभारी व पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने युवा घोषणा पत्र भर्ती विधान जारी किया। प्रियंका गांधी ने कहा कि इसे भर्ती विधान इसलिए कहा गया है क्योंकि यूपी में सबसे बड़ी समस्या भर्ती की है। आज युवा दुखी हैं, त्रस्त हैं, क्वालीफाइड हैं लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिलता। हमारा ये प्रयास रहा है कि नौजवानों की हर समस्या भर्ती विधान में समाहित हो। युवाओं को इस भर्ती विधान में 20 लाख नौकरियां देने की बात कही गई है। शिक्षकों के 1.50 लाख पद भी भरे जाएंगे। भर्तियों में लेटलतीफी, पेपर लीक आदि समस्याओं पर फोकस किया गया है।
इस विधान में भविष्य निर्माण के लिए यानी युवाओं को रोजगार कैसे शुरू करना है इसके लिए भी एक सेक्शन है। कुछ सालों से यूपी के विश्वविद्यालयों में चुनाव नहीं हो रहे उसे लेकर भी एक सेक्शन है। इस विधान में प्रदेश के सात करोड़ युवाओं को टारगेट किया गया है। विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, डॉक्टरों, पुलिस, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पद बड़ी संख्या में खाली हैं जिन्हें भरा जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद पर भर्ती, उर्दू शिक्षकों की भर्ती भी की जाएगी। जॉब कैलेंडर बनाया जाएगा जिसमें परीक्षा की तारीख से नियुक्ति की तारीख तक होगी। कांग्रेस की सरकार बनने पर शिक्षा के बजट को बढ़ाया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- जहां 100 से ज्यादा एक ही इंडस्ट्री की फैक्ट्री है उसे क्लस्टर बनाया जाएगा।
- सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के शुल्क माफ करेंगे।
- सीड स्टार्टअप फंड के लिए 5 हजार करोड़।
- कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ईडब्ल्यूएस के लिए प्री और पोस्ट मेट्रिक स्कॉलशिप।
- नदी पर निर्भर समुदायों के लिए खास काम किया जाएगा।
- रोजगार के लिए 1 लाख का लोन 5 प्रतिशत ब्याज पर मिलेगा।
देश में बदलाव की जरूरत: राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा कि देश में एक बदलाव की जरूरत है जो उत्तर प्रदेश से ही शुरू हो सकता है। हिंदुस्तान को जो विजन नरेंद्र मोदी ने दिया था वह फेल हो गया है। हमारे युवा हमारी सबसे बड़ी शक्ति हैं उसे पीएम मोदी ने डेमोग्राफिक डिजास्टर में बदल दिया है। देश को जो विजन चाहिए वह कांग्रेस ही दे सकती है। अगर यूपी को एक नया विजन नहीं दिया गया तो देश को भी नहीं दिया जा सकता।
भाजपा में दूसरी मेनका गांधी बनकर तो नहीं रह जाएंगी अपर्णा!
- अपर्णा और योगी की जुगलबंदी से नाराज थे अखिलेश
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। चार साल पहले की बात है, लोक सभा का चुनाव चरम पर था। हरदोई की एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके पास दो सौ गाडिय़ां है। इसमें से कुछ चार पांच करोड़ की है। अब इन पांच करोड़ कीमत की गाडिय़ों की मालकिन अपर्णा यादव मोदी की ही पार्टी में शामिल हो गयी हैं। मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अपर्णा यादव के भाजपा में जाने से भाजपा और सपा दोनों ख़ुश है।
अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के पुत्र प्रतीक यादव की पत्नी हैं। यह बात सभी जानते हैं कि अखिलेश साधना गुप्ता को पसंद नहीं करते और इसी कारण प्रतीक यादव कभी अखिलेश के करीबी नहीं बन पाये। अखिलेश का सोचना है कि परिवार में झगड़े के एक बड़े कारणों में साधना गुप्ता की महत्वाकांक्षा भी रही है। साधना के करीबी रिश्तेदार भी अपर्णा के बाद भाजपा में चले गये हैं। अपर्णा ठाकुर परिवार से आती हैं। शादी से पहले वे अपने नाम के आगे विष्ट लगाती थीं। उनके पिता पत्रकार थे और माता नगर निगम में नौकरी करती हैं।
अखिलेश सरकार बनने के दो साल बाद ही अपर्णा को यह समझ आने लगा था कि अखिलेश यादव की सत्ता के चलते उनका भविष्य सपा में बहुत बेहतर नहीं रहने वाला है। इसी कारण उन्होंने 2014 में मोदी के स्वच्छता अभियान की जमकर प्रशंसा करअखिलेश सरकार को असहज कर दिया था। बताया जाता है कि अखिलेश सरकार में खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का ही संरक्षण था और बड़े जिलों के खनन के ठेके उनके आशीर्वाद से ही तय होते थे। मुलायम सिंह इसमें खामोश रहते थे और इससे यह संदेश जाता था कि गायत्री को उनका भी समर्थन है। यही कारण था कि परिवार में विवाद बढऩे के बाद अखिलेश ने गायत्री को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद साधना गुप्ता की नाराजगी के कारण ही गायत्री को दोबारा मंत्रिमंडल में लेना पड़ा। साधना गुप्ता और उनके बेटे प्रतीक यादव पर खनन में काफी पैसा कमाने के आरोप भी लगे। जिस समय यादव परिवार में झगड़े चरम पर थे उस समय अपर्णा का झुकाव शिवपाल कैंप की तरफ ज़्यादा था।
2017 में साधना गुप्ता ने मुलायम सिंह से अपने बेटे प्रतीक यादव को टिकट दिलवाने को कहा मगर अखिलेश ने साफ कह दिया कि प्रतीक और उनमें एक ही राजनीति में रह सकता है। बाद में इस बात पर समझौता हुआ कि अपर्णा को टिकट दिया जाये और कैंट विधानसभा से अपर्णा चुनाव लड़ीं और भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से हार गयी। अपर्णा को लगता था कि सपा नेताओं ने उनकी मदद नहीं की और यह बात हद तक सही भी है क्योंकि यादव बिरादरी के लोग प्रतीक को नेता जी का बेटा नहीं मानते। उनके लिये प्रतीक यादव नहीं अपितु प्रतीक गुप्ता है। 2017 के चुनाव के बाद जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो अपर्णा ने उनसे रिश्ते बेहतर करने शुरू किये। अपर्णा की उनकी साथ कई फोटो ने अखिलेश यादव को और नाराज कर दिया। इस बीच अपर्णा और योगी की इस जुगलबंदी ने अखिलेश का ग़ुस्सा और बढ़ा दिया और यह तय माना जाने लगा कि अब अखिलेश यादव के दरबार में अपर्णा की कभी नहीं चलेगी इसलिये इस बार जब अपर्णा ने टिकट मांगा तो अखिलेश ने साफ मना कर दिया। इसके बाद अपर्णा के पास इस बात के अलावा कोई चारा नहीं बचा था कि वे भाजपा ज्वाइन कर लें और उन्होंने यही किया। अब देखना यह है कि क्या भाजपा अपर्णा को महत्व देगी या अपर्णा भाजपा में दूसरी मेनका गांधी बनकर रह जायेगी।