कांग्रेस ने बनाई ऐसी सूची कि बीजेपी चारों खाने चित्त हो गई!

चुनाव कोई भी हो, जाति को लेकर चर्चा जरूर होती है... हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस हो या बीजेपी.... दोनों ने जमकर सोशल इंजीनियरिंग की है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः चुनाव कोई भी हो, जाति को लेकर चर्चा जरूर होती है…. हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस हो या बीजेपी….. दोनों ने जमकर सोशल इंजीनियरिंग की है…. कैंडिडेट देने में जातिगत समीकरण साधे हैं…. जहां कांग्रेस ने जाटों पर फोकस किया है…. तो बीजेपी ने ओबीसी और सवर्ण पॉलिटिक्से का दांव खेला है…. कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में पैंतीस जाट को टिकट दिया है… जिससे बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ी है… किसान आंदोलन से जाट बीजेपी और मोदी के मुखर विरोधी रहें है… वहीं महिला पहलवानों के साथ हुए शोषण को लेकर बीजेपी ने पहलवानों के साथ कुछ नहीं किया और दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस फोर्स लगाकर घसीटा गया…. किसानो को दिल्ली से जाने से रोका गया… किसानों को रोकने के लिए रास्तों में कीले लगाई गई… कटीले तारों को लगाकर किसानों को दिल्ली जाने नहीं दिया… आपको बता दें कि किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में शांतिपूर्वक अपना धरना प्रदर्शन करने के लिए जा रहे थे…. लेकिन मोदी ने अपनी तानाशाही के चलते किसानों को आज तक दिल्ली नहीं जाने दिया… जिसका बड़ा असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिला… और मोदी की तानाशाही खत्म हो गई… और पार्टी दो सौ चालीस पर आकर सिमट गई….

वहीं हरियाणा में चुनाव को देखते हुए बीजेपी में हलचल मची हुई है… और चुनाव में जनका को साधने के लिए बीजेपी ने ओबीसी, सवर्ण, जाट और अनसूचित जाति के उम्मीदवारों पर दांव खेला है… और जनता के बीच मोदी ने संदेश देने का काम किया है… कि बीजेपी किसी भी जाति की विरोधी नहीं है…. लेकिन देश की जनता को सब पता है… कि मोदी ने देश की जनता के प्रति कैसा व्यवहार रहा है… वहीं अपनी हार को देखते हुए मोदी अब सभी जातियों के प्रति शुभचिंतक बन गए है… और जनता को संदेश देने की कोशिश में लगे हुए है… हरियाणा का चुनाव बीजेपी के लिए आसाना नहीं है… हरियाणा की जनता मोदी की कार्यशैली से परेशान है… राज्य में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी राज्य की जनता के लिए कोई काम नहीं किया गया है…. राज्य के युवा बड़े स्तर पर बेरोजगार है… संविदा कर्मचारी समान कार्य, समान वेतन के लिए आंदोलन कर रहे है… किसानों को उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही है…. सभी वर्ग के लोग परेशान है… जिसका बड़ा खामियाजा बीजेपी को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा….

आपको बता दें कि हरियाणा चुनाव के लिए टिकटों के बंटवारे में बीजेपी ने वैसे तो सभी जातियों को साधने का प्रयास किया है….. लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को ज्यांदा तवज्जो  दी है…. बता दें कि नब्बे सीटों पर उम्मीदवारो की लिस्टज फाइनल करते हुए…. बीजेपी ने बाइस सीटों पर ओबीसी उम्मीादवार मैदान में उतारे हैं….. इनमें गुर्जर, यादव, कश्यप, कुम्हा.र, कम्बोाज, राजपूत और सैनी का प्रतिनिधित्वत है…. हरियाणा में ओबीसी की आबादी बयालीस फीसदी से ज्या्दा है…. बीजेपी हर चुनाव में यही दांव खेलती आई है… और इसका उसे भरपूर फायदा भी मिला है…. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की गणित पूरी तरह से फेल होता दिखाई दे रहा है…. मोदी की ध्रुवीकरण की राजनीति का असर सभी वर्गों पर पड़ा है… और इस बार के विधानसभा चुनाम में मोदी मैजिक और शाह की चाणक्य नीति नहीं चलने वाली है… बीजेपी ने देश की जनता से वादा करने के बाद सिर्फ धोखा दिया है… और देश को गर्त में पहुंचाने का काम किया है… देश के युवा परेशान है… किसानों को उचित दामों पर उर्वरक नहीं मिल रहा है… मोदी अपना जेब भरने के लिए सभी महत्वपूर्ण वस्तुओं पर सब्सिडी देने का वादा करते हैं… लेकिन जनता को सब्सिडी मिलती भी नहीं है… वहीं अगर सब्सिडी मिलती है… तो वो वस्तुए इतनी महंगी है… कि जनता उनको खरीद भी नहीं सकता है… वहीं जनता को मूर्ख बनाने के लिए मोदी हमेशा रेवड़ी बांटने का काम करते है… और विरक्ष पर आरोप मढ़ते है…

बता दें कि बीजेपी ने जाटों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है…. और सोलह सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं….. हालांकि, कांग्रेस के मुकाबले यह संख्या आधी से कम है…. बीजेपी का फोकस गैर जाट समुदाय पर ज्यादा रहा है…. पार्टी ने सत्रह सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीकदवारों को दी हैं…. इनमें आठ जाटव समाज से आते हैं… और चार वाल्मीकि समाज से आने वाले कैंडिडेट हैं…. वहीं ओबीसी और अनुसूचित जाति के सहारे बीजेपी दो बार सत्ता में आ चुकी है…. इसके बाद जाटों का प्रतिनिधत्व उनके लिए हमेशा फायदेमंद रहता है…. बता दें कि दो हजार उन्नीस के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने चालीस सीटों पर जीत दर्ज की थी…. और जेजेपी दस सीटों पर जीती थी….. सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन किया…. वहीं गोपाल कांडा ने बिना किसी शर्त के बीजेपी और जेजेपी की गठबंधन सरकार को पूरे पांच साल तक समर्थन दिया…. इसके बदले गोपाल कांडा ने इस बार बीजेपी से सिरसा और रानिया दो सीटें मांगी थीं….. लेकिन, दोनों के बीच सीटों को लेकर बात नहीं बन पाई तो गोपाल कांडा ने रानिया सीट से धवल कांडा को उम्मीदवार घोषित कर दिया…. और खुद सिरसा सीट से मैदान में उतर गए…. बीजेपी से गठबंधन की बात सिरे नहीं चढ़ने की वजह से अब हलोपा प्रमुख गोपाल कांडा ने इनेलो-बसपा गठबंधन के साथ हाथ मिलाया है…. हालांकि इन दोनों दलों के मिल जाने से कहीं ऐसा न हो जाये कि बसपा नारज हो जाये…. जिसके लिए जद्दोजहद जारी है….

वहीं जजपा लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के बाद से ही हालात को संभालने की कोशिश कर रहे हैं…. वो लगातार इस बात का संकेत दे रहे हैं…. कि अब वो बीजेपी के साथ कभी नहीं जाएंगे…. अब ये चुनाव परिणाम ही बता पाएंगे कि जनता ने उनकी अपील पर ध्यान दिया है…. लेकिन एक बात तो तय है कि इन दोनों गठबंधनों का हरियाणा में कोई जनाधार नहीं बचा है…. उनका अपना वोट बैंक ही उनके साथ नहीं है…. ऐसे में जिसका कोई जनाधार ही नहीं बचा है….. जनता उसे वोट क्यों देगी…. दूसरी बात यह है कि इन दलों के जो मूल वोट बैंक थे…. वे भी इनका साथ छोड़ चुके हैं….. बाकी बचे दलित मतदाता इस गठबंधन को क्यों वोट देंगे…. जिनके जीतने की संभावना ही न के बराबर है….. हालांकि भाजपा भी पूरी तरह से जोर लगा रही है…. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब भाजपा को फिर से उभर के जनता के बीच अपनी पकड़ बनाना मुश्किल होगा…. वहीं हरियाणा चुनाव में मायवती की एंट्री इस बार इंडिया गठबंधन की टेंशन न बढ़ा कर भाजपा की टेंशन बढ़ाने वाली है…. क्योंकि किसानों का वोट भाजपा पहले ही खो बैठी है…. ऐसे में अगर भाजपा को दलितों ने भी वोट नहीं दिया…. तो भाजपा की सरकार जानी तय है….

आपको बता दें कि कांग्रेस नवासी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है…. जबकि एक सीट उसने CPIM को दिया है…. टिकट बंटवारे में पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग का खास ख्याल रखा है…. जिसने बीजेपी की टेंशन को बढ़ा दिया है…. बता दें कि कांग्रेस ने जाटों पर सबसे बड़ा दांव खेला है…. वहीं पार्टी ने गैरजाटों का भी खास ख्याल रखा है….. हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने सबसे ज्यादा जाट उम्मीदवारों को टिकट दिया है…. पार्टी ने चुनावी मैदान में पैंतीस जाट कैंडिडेट उतारे हैं….. वहीं, दूसरे नंबर पर उसने ओबीसी को टिकट दिया है…. बीस सीटों पर कांग्रेस ने OBC उम्मीदवार उतारे हैं…. इसके अलावा पार्टी ने अन्य जातियों पर भी पूरा भरोसा जताया है…. कांग्रेस ने सत्रह सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है…. इसके अलावा पार्टी ने पांच मुसलमानों को भी चुनावी मैदान में उतारा है…. वहीं, पार्टी ने पंजाबियों का भी खास ध्यान रखा है…. छह सीटों पर कांग्रेस ने पंजाबियों को टिकट दिया है…. इसके अलावा पार्टी ने चार सीटों पर ब्राह्मण, दो सीटों पर बनिया, एक सीट पर राजपूत उम्मीदवार उतारे हैं….

आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुल दस प्रमुख पार्टियां चुनावी मैदान में हैं…. बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है…. वहीं, जेजेपी-एएसपी का गठबंधन है…. इसमें JJP सत्तर तो आजाद समाज पार्टी (काशी राम) बीस सीटों पर चुनाव लड़ रही है…. INLD-BSP-HLP का गठबंधन है…. INLD बावन, बीएसपी सैंतीस और हरियाणा लोकहित पार्टी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है…. इसके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) तीन और सीपीआई पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है…. बता दें कि हरियाणा की नब्बे विधानसभा सीटों के लिए पांच अक्टूबर को एक चरण में मतदान होना है….आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकरन दाखिल करने की बारह सितंबर आखिरी तारीख थी…. वहीं सोलह सितंबर पर्चा वासप लेने की आखिरी तारीख है…. और आठ अक्टूबर को चुनावी नतीजे आएंगे… बता दें कि दो हजार उन्नीस में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी….. वहीं चुनाव के बाद जननायक जनता पार्टी और सात निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी ने यहां गठबंधन की सरकार बनाई थी…. बाद में बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूट गया था….

उधर, कांग्रेस नवासी सीटों पर चुनाव लड़ रही है…. एक सीट उसने सीपीएम कैंडिडेट को दी है…. वहीं इन नवासी सीटों में पैंतीस सीटें कांग्रेस ने जाट समुदाय से आने वाले कैंडिडेट को दी हैं…. बीस कैंडिडेट ओबीसी समुदाय से आते हैं….. ब्राम्हेण उम्मीटदवारों की संख्याड चार है…. जबकि बनिया दो और अल्पनसंख्यिक समुदाय से आने वाले पांच नेताओं को कांग्रेस ने कैंडिडेट बनाया है…. छह उम्मींदवार पंजाबी समुदाय से आते हैं…. एक राजपूत हैं…. वहीं सत्रह अनुसूचित सीटों पर कांग्रेस ने सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है…. सबसे खास बात, कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में तीस युवा चेहरे…. बारह महिलाएं और बीस नये चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है…. जिसने मोदी और बीजेपी की परेशानी को और बढ़ा दिया है…

 

 

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