EVM के खिलाफ कांग्रेस ने खोला मोर्चा, चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को देना पड़ेगा इस्तीफा !

महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी हार के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई... जिसमें कांग्रेस ने शुक्रवार को ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ की मांग करते हुए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी हार के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई… जिसमें कांग्रेस ने शुक्रवार को ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ की मांग करते हुए एक ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ शुरू करने का फैसला किया….. और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा…. आपको बता दें कि कांग्रेस ने केवल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के खिलाफ या बैलट की वापसी की मांग पर ध्यान केंद्रित नहीं करने का फैसला किया…. बल्कि इसके बजाय अपने आंदोलन में ‘संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया’ को संबोधित करने पर सहमति व्यक्त की…. बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र की चुनावी नतीजों ने सभी को चौंका दिया… चुनावी नतीजे विपक्ष के मनसूबों के विपरीत आए… और बीजेपी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी… जिसके बाद से विपक्ष ने ईवीएम को लेकर मोर्चा खोल दिया… और वीवीपैट से नतीजों का मिलान करने की बात कही… और चुनाव आयोग को चिट्ठी भी लिखी… लेकिन वीवीपैट और ईवीएम के वाटों को मिलाने का समय सीमा एक सप्ताह तक रहता है… जो नियम के अनुरूप है,… लेकिन चुनाव आयुक्त मोदी की मिलीभगत के चलते पांच दिन बाद ही… वीवीपैट मिलान को बंद कर दिया… और चुनाव आयोग की वेवसाइट पर नोटिफिकेशन जारी कर दिया….

जिसके बाद से विपक्ष ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया…. और बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग मोदी के कहे में चलता है…. और विपक्ष की कोई भी बात चुनाव आयुक्त नहीं सुनते है… और अपने हिसाब से विपक्ष के सवालों का जवाब देते हैं…. जिसको लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग के और पूरी चुनाव प्रकिया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है… और बड़ा आंदोलन करने जा रही है…. वहीं हाल ही में जारी हुए चुनाव परिणाम के बाद महाराष्ट्र में एक ऐसा गांव है…. जहां कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिले… यानी शून्य वोट मिले…. इसके बाद उस गांव के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं… कि जब हमने कांग्रेस को ही वोट दिया तो ऐसा कैसा हो गया…. लेकिन उन गांव वालों की बातों का भी कोई असर चुनाव आयोग पर नहीं पड़ा… तो इससे साफ पता चलता हैं कि चुनाव आयोग सिर्फ एक व्यक्ति के लिए काम करता है… और इस देश में लोकतंत्र ही नहीं बचा है…. और पूरे देश की बागडोर दो- तीन लोगों के ही हाथों में सिमट कर रह गई है…. जिसका नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हमेशा से चर्चा करते चले आ रहें है…., लेकिन चुनाव आय़ोग और चुनाव आयुक्त के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है….

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बैलट की वापसी का आह्वान करने के कुछ दिनों बाद CWC की साढ़े चार घंटे तक बैठक चली….. कांग्रेस नेतृत्व के एक वर्ग का मानना है कि हार के लिए ईवीएम को दोष देना समझदारी नहीं है…. क्योंकि पार्टी के पास अपने आरोपों को साबित करने के लिए अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं है… और इसलिए ध्यान व्यापक होना चाहिए…. वहीं बैठक के अंत में अपनाए गए प्रस्ताव में ईवीएम का जिक्र नहीं किया गया….. कांग्रेस के रिजॉल्यूशन में कहा गया, “सीडब्ल्यूसी का मानना है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है….. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक आदेश है….. जिस पर चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली द्वारा गंभीर प्रश्न उठाए जा रहे हैं….. समाज हताश और गहराई से आशंकित होता जा रहा है…. कांग्रेस इन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी…..

आपको बता दें कि सीडब्ल्यूसी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के लिए गलत चुनावी प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराया….. कांग्रेस के रिजॉल्यूशन में यह भी कहा गया, “हरियाणा में पार्टी का प्रदर्शन सभी उम्मीदों के विपरीत रहा है…. सीधे शब्दों में कहें तो कांग्रेस को राज्य में भारी मतों से सरकार बनानी चाहिए थी…. लेकिन ऐसा नहीं हुआ…. लेकिन कुछ चुनावी गड़बड़ियां रही हैं…. जिन्होंने राज्य में नतीजों को प्रभावित किया है…. और उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया है… सीडब्ल्यूसी यह भी स्वीकार करती है कि महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदर्शन चौंकाने वाला है…. चुनावी नतीजे समझ से परे हैं…. यह हेरफेर का स्पष्ट मामला प्रतीत होता है….

वहीं जिन नेताओं ने तर्क दिया कि पार्टी को मतपत्रों की वापसी की मांग करनी चाहिए….. उनमें एआईसीसी महासचिव और नवनिर्वाचित वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल थीं…. बता दें कि अपने दो हजार अट्ठारह में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने एक प्रस्ताव पारित किया था….. जिसमें कहा गया था कि चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को पेपर बैलेट की पुरानी प्रथा पर वापस लौटना चाहिए… जैसा कि प्रमुख लोकतंत्रों ने किया है…. वहीं सबसे पहले बोलते हुए राज्यसभा सांसद अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पार्टी को लगातार रुख अपनाना चाहिए… और पहली मांग बैलट की वापसी होनी चाहिए….

और उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि सरकार और चुनाव आयोग उस मांग से सहमत नहीं हो सकते हैं….. इसलिए पार्टी को यह सुनिश्चित करने के लिए वीवीपीएटी पर्चियों के सौ फीसदी सत्यापन के लिए कहना चाहिए कि वोट सही ढंग से दर्ज किए गए हैं…. पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सहमति व्यक्त की….. एआईसीसी कोषाध्यक्ष अजय माकन ने तर्क दिया कि शुरुआत के तौर पर, पार्टी को मांग करनी चाहिए कि दस से बीस फीसदी वीवीपैट पर्चियां मतदाताओं को वेरिफिकेशन के लिए दी जाएं….

वहीं लोकसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर गौरव गोगोई ने तर्क दिया कि पार्टी को ईवीएम पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए…. जो बड़ी चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा हैं…. और उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के पक्षपातपूर्ण व्यवहार से लेकर मतदाता सूची में छेड़छाड़ तक है….. जानकारी के मुताबिक लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी गोगोई के सुझाव से सहमत हुए… और तर्क दिया कि ईवीएम को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बड़ी मांग का हिस्सा होना चाहिए…. और उन्होंने सीडब्ल्यूसी से कहा कि पार्टी को स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए…. और कहा कि वह कभी भी कोई पद लेने से नहीं हिचकिचाते…. चाहे वह जातीय जनगणना हो, अडानी मुद्दा हो, या संविधान और भारत का विचार हो….

वहीं लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी ने सुझाव देने वाले पार्टी नेताओं से पहले उन पर अमल करने को कहा….. वह स्पष्ट थीं कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बैलट की वापसी ही एकमात्र विकल्प है…. ईवीएम के मुद्दे पर लोकसभा सांसद शशि थरूर का एकमात्र विरोधाभासी दृष्टिकोण था…. जानकारी के अनुसार राहुल गांधी ने उन्हें बताया कि ईवीएम का मुद्दा लोगों के बीच काफी गूंज रहा है…. हरियाणा की तरह ही पार्टी ने महाराष्ट्र में अपने चुनावी प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एक अंतरिम कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है….

कांग्रेस के रिजॉल्यूशन में ईवीएम का कोई जिक्र क्यों नहीं है…..  इस सवाल पर एआईसीसी के संगठन प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्रकारों से कहा कि हमने स्पष्ट रूप से इस बात पर जोर दिया कि इन चुनावों के दौरान चुनावी कदाचार हुए…. हम पहले ही हरियाणा में एक तकनीकी टीम भेज चुके हैं… और महाराष्ट्र में भी एक टीम भेजने जा रहे हैं…. हम बूथ स्तर पर विस्तृत विश्लेषण करेंगे….. मतदाता सूची और मतदान संख्या में विसंगति के बारे में बहुत सारी शिकायतें हैं…. हम गहन विश्लेषण करेंगे…. विश्लेषण के दो स्तर होंगे…. एक राजनीतिक और दूसरा तकनीकी…. जिससे सब साफ स्पष्ठ हो जाएगा की चुनाव आय़ोग कितना निष्पक्ष तरीके से मतदान करा रहा है…

बता दें कि एआईसीसी मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा कि मुद्दा सिर्फ ईवीएम का नहीं है…. यह पूरी चुनावी प्रक्रिया के बारे में है…. हम मतदाता सूची में अवैध नाम जोड़ने और हटाने की शिकायत करते रहे हैं…. लेकिन चुनाव आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई…. हमने हरियाणा चुनाव के बाद बैटरी का मुद्दा उठाया था…. फिर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली…. तो यह सिर्फ ईवीएम के बारे में नहीं है…. यह पूरी चुनावी प्रक्रिया के बारे में है…. इससे कैसे समझौता किया जा रहा है… यह चिंता का विषय है…. किसी भी मुद्दे का चुनाव आयोग जवाब नहीं दे रहा है… और किसी भी सवाल पर कुछ भी बोलने से बचता नजर आ रहा है….

वहीं चुनाव आयोग की निष्सक्रियता से साफ पता चलता हैं कि चुनाव आय़ोग किसी व्यक्ति के इशारे पर काम कर रहा है… और जितना उसके द्वारा कहा जाता है…. उतना ही जवाब चुनाव आय़ुक्त के द्वारा दिया जाता रहा है… जिसको देखते हुए विपक्ष ने मजबूत रणनीति बनाते हुए चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना लिया है…. और चुनाव आय़ोग को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है…. और कांग्रेस छब्बीस दिसंबर से कर्नाटक से आंदोलन शुरू करने जा रही है…. जिसके बाद चुनाव आयोग क्या कुछ करता है… यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा… या चुनाव आयोग किसी एक व्यक्ति विशेष के इशारे पर ऐसे ही काम करता रहेगा…

आपको बता दें कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में पार्टी के अपेक्षा से कम प्रदर्शन पर बात की…. और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान करते हुए आंतरिक कलह और ईवीएम को इसका दोष दिया…. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने अच्छी वापसी की…. साथ ही स्वीकार किया कि बाद के राज्य विधानसभा चुनावों में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले…. खड़गे ने कहा कि चुनावों में गति हमारे पक्ष में थी…. लेकिन सिर्फ गति हमारे पक्ष में होना जीत की गारंटी नहीं है…. वहीं हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा….

 

 

 

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