पायलट की बागी उड़ान से कांग्रेस हलकान
- नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते हुए अपना चुके हैं बगावती तेवर
- जनप्रतिनिधियों से लिया जा रहा फीडबैक
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। कांग्रेस नेता सचिन पायलट अब अपनी ही पार्टी के लिए सिरदर्द बन गए हैं। वे पिछले करीब तीन साल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विरोध कर रहे हैं। नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते हुए बगावती तेवर अपना चुके हैं। कांग्रेस आलाकमान ने जब सचिन पायलट की बातें नहीं मानी तो पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ सडक़ों पर उतर गए। पहले 11 अप्रैल को जयपुर में अनशन किया। बाद में अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा निकाली।
यात्रा के दौरान आयोजित आमसभा में पायलट ने सरकार के समक्ष तीन ऐसी मांगे रख दीं, जो वर्तमान हालातों में पूरी नहीं हो सकती हैं। मांगे पूरी नहीं होने पर 15 दिन बाद पायलट प्रदेशभर में आंदोलन करने का ऐलान कर चुके हैं। पायलट के इस ऐलान के बाद अभी तक पार्टी ने उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है लेकिन, पायलट की इस हरकत का तोड़ ढूंढने में लगे हैं।
सचिन पायलट के बगावती तेवर के बाद प्रदेश कांग्रेस नई रणनीति पर काम कर रही है। संगठन के पदाधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों के जनप्रतिनिधियों से फीडबैक लिया जा रहा है। इसके लिए बुधवार 17 मई को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठक की गई। इस बैठक में सह प्रभारी अमृता धवन, कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, डॉ. महेश जोशी, विधायक रफीक खान और गंगादेवी सहित कई नेताओं ने सरकार के कामकाज पर चर्चा की। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता और संगठन के कई पदाधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक के दौरान सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से फीडबैक लिया गया। साथ ही आह्वान किया गया कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अभी से कमर कस लें। राज्य सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को गांव-गांव तक पहुंचाएं।
नुकसान का आकलन निकाल पर समाधान की कोशिश
सचिन पायलट की ओर से अशोक गहलोत के खिलाफ किए जा रहे आंदोलन का प्रभाव कितना है? यह जानने के लिए प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों की टीम प्रदेशभर से फीडबेक जुटाएगी। तीन सह प्रभारी अमृता धवन, वीरेन्द्र सिंह और काजी मोहम्मद निजामुद्दीन को प्रदेश के दौरे पर निकले हैं। पायलट के आनंदोलन से पार्टी को कितना नुकसान होगा, ये तीनों नेता अपने स्तर पर प्रदेश के हर संभाग, जिला और ब्लॉक स्तर से फीडबेक जुटा रहे हैं। फीडबैक की रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को भेजी जाएगी। इसके बाद ही कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट मामले में कोई कदम उठाएगा।
पायलट को जवाब देने की तैयारी
पायलट की ओर से लगातार बगावती तेवर अपनाए जाने के बाद भले ही कांग्रेस हाईकमान ने कोई कदम नहीं उठाया हो लेकिन गहलोत समर्थक नेताओं ने पायलट को जवाब देना शुरू कर दिया है। गहलोत समर्थक विधायकों ने पायलट के सवालों के जवाब उन्हीं की भाषा में देना शुरू कर दिया है। कैबिनेट मंत्री महेश जोशी, रामलाल जाट, विधायक चेतन डूडी के बाद अब मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी पायलट के अनशन और यात्रा पर सवाल उठाए हैं। लोढ़ा ने तो यहां तक कह दिया कि पिछले साढ़े चार साल में सचिन पायलट ने राजस्थान विधानसभा में एक बार भी बेरोजगार नौजवानों के मुद्दे को नहीं उठाया। बीजेपी के भ्रष्टाचार पर भी सदन में कभी आवाज नहीं उठाई। अब चुनाव नजदीक आए तो पायलट को अचानक बेरोजगारों और बीजेपी के भ्रष्टाचार की याद आ गई।
सचिन के बीजेपी के साथ रिश्ते होने के आरोप
सचिन पायलट पर बीजेपी से साठगांठ के आरोप लगने लगे हैं। जोधपुर में गजेन्द्र सिंह शेखावत और सचिन पायलट के मिलीभगत के पोस्टर तक लगा दिए गए। जोधपुर जिला कांग्रेस कमेटी के तीन सदस्यों ने अपने नाम और फोटो के साथ जोधपुर की सडक़ों पर पोस्टर लगाए। इन पोस्टर्स में शेखावत और पायलट की फोटो है। पोस्टर के जरिए पायलट से सवाल पूछे गए हैं कि वे संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव घोटाले पर क्यों नहीं बोलते हैं। आखिर उनका घोटाले के आरोपी शेखावत के साथ क्या रिश्ता है। ये पोस्टर जिला संगठन महामंत्री कुश गहलोत, सचिव ललित कुमार गहलोत और जिला प्रवक्ता भाकर राम विश्रोई ने लगवाए थे। हालांकि जिला अध्यक्ष ने इन पोस्टर्स को हटवा दिया है।