2027 के विधानसभा चुनाव में अभी से जुटी कांग्रेस, योगी को हारने के लिए राहुल का मास्टरप्लान तैयार!

एक उपचुनाव जीतकर भाजपा को ऐसा लग रहा है कि उसने पूरा माहौल अपने पक्ष में कर लिया है। यहां तक की भाजपा नेताओं को ऐसा लगने लगा है कि आगामी 2027 का विधानसभा चुनाव हमने अपने पक्ष में कर लिया है लेकिन ऐसा नहीं है। भले ही मिल्कीपुर उपचुनाव सपा को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर सपा ने भी अपनी कमर कस ली है। लेकिन इन सबके बीच एक पार्टी और है जिसने अभी से ही पूरा दम खम लगाकर तैयारियां तेज कर दी है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं कांग्रेस पार्टी की। कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से अपना पूरा ध्यान यूपी की सियासत में लगा दिया है। न सिर्फ यूपी के नेता बल्कि खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अब यूपी की राजनीति में रुचि दिखा रहे हैं, जनता के बीच पहुंचकर उनके मुद्दों को सुन रहे और समस्याओं का समाधान निकला रहे हैं। साथ ही भाजपा को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश में आज जिस तरह का माहौल है नेताओं के इशारों पर बुलडोजर चल रही है। हिन्दू मुसलमान करके जनता को गुमराह किया जा रहा है इसे लेकर भी कांग्रेस पार्टी ने मौजूदा योगी सरकार को घेरने के लिए तरह तरह की रणनीति तैयार कर ली है। ऐसे में हालिया घटना की बात करें तो यूपी के कुशीनगर के हाटा स्थित मदनी मस्जिद में बुलडोजर चलाए जाने के बाद जिस तरह कांग्रेस अल्पसंख्यक वर्ग के समर्थन में खुलकर खड़ी हुई और सहयोगी दल सपा के नगर पंचायत अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल खड़े किए, उससे साफ है कि पार्टी आगे इस रणनीति को और धार देगी। वहीं कांग्रेस की दूसरी नजर वंचित समाज पर है। इस एजेंडे को पूरा करने के लिए पार्टी नई प्रदेश कार्यकारिणी दलित-मुस्लिम के साथ पिछड़ों की भागीदारी बढ़ाने की तैयारी में है। सभी वर्गों को हिस्सेदारी देने के लिए कार्यकारिणी का स्वरूप भी बड़ा होगा।

दरअसल राहुल गांधी के हालिया रायबरेली दौरे के बाद से प्रदेश का सियासी समीकरण बदल गया है और कांग्रेस पार्टी अब हर वर्ग को साथ लेकर चलने के लिए प्लान बना चुकी है। कांग्रेस पार्टी प्रदेश कार्यकारिणी से लेकर जिला-शहर व ब्लाक स्तर तक नई कमेटियों का गठन होना है। कांग्रेस ने रणनीति के तहत बसपा पर भी हमला तेज किया है। राहुल गांधी ने रायबरेली में बसपा सुप्रीमो मायावती के दलित समाज के लिए गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन का हिस्सा न बनने को लेकर आलोचना भी की। इससे एक बात तो साफ है कि कांग्रेस अपने पुराने वोटबैंक को लुभाने की जतन में तो है पर मायावती पर सीधा हमला बोलकर खास वर्ग को नाराज भी नहीं करना चाहती। राहुल ने संगठन को हर स्तर पर सक्रिय किए जाने का संदेश भी दिया। कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव में छोटे दलों को साथ मिलाकर अपनी राह तय करने का प्रयास करेगी।

वहीं बता दें कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश के सियासी समर में दलित वोट बैंक के सहारे अपने पांव जमाना चाहती है.ऐसे में न सिर्फ राहुल गांधी बल्कि कांग्रेस नेताओं ने भी कमर कस ली है। जनता के बीच पहुंचकर वोटरों को साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी संदर्भ में अभी हाल ही में बाराबंकी से कांग्रेस सांसद तनुज पूनिया ने कानपुर में दलित वर्ग सम्मेलन में शामिल होकर उन्हें अपने पाले में करने का काम शुरु कर दिया है. कांग्रेस का मानना है कि उपचुनाव हो या लोकसभा चुनाव, सभी में दलित वर्ग की भूमिका काफी अहम रही है. इसके साथ ही अपने संबोधन में सांसद तनुज पूनिया ने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान पर पलटवार करते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस पर विदेशों से फंडिंग कराकर पीएम मोदी को हटाने का षडयंत्र करने का आरोप लगाया.

खैर अभी हाल ही में हुए मिल्कीपुर उपचुनाव को अगर छोड़ दिया जाए तो बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने भाजपा को जोरदार पटखनी दी रही। यहां तक की कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही सपा ने अयोध्या में भी भाजपा को हराया था। लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो उस चुनाव के नतीजों के आने के बाद सपा और कांग्रेस दोनों का मनोबल बढ़ा। वहीं दूसरी तरफ 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. चुनाव परिणाम में सपा को मात्र 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था और बहुजन समाज पार्टी को सहयोगी पार्टी से दोगुनी यानी 10 लोकसभा सीटों पर सफलता प्राप्त हुई थी. तब यह बात सामने आई थी कि अखिलेश को बसपा से गठबंधन करना नुकसान उठाने जैसा रहा और सपा को इसका खामियाजा उठाना पड़ा था. इसके पीछे यह बात सामने आई कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक नहीं मिल पाया था. लेकिन जब 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे आये तो भाजपा की आँखें फटी की फटी रह गई और भारी नुक्सान उठाना पड़ गया।

दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन न करके बल्कि कांग्रेस के साथ किया था जिसकी बदौलत उसे अपार सफतला मिली। सपा को उत्तर प्रदेश के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा लोकसभा सीट जितने में सफलता मिली. सपा को 37 सीटें जबकि कांग्रेस पार्टी को 6 सीटें मिली हैं. यह जीत अब तक की सपा के लिए गठबंधन राजनीति की बड़ी जीत बन गई। वोट परसेंटेज की बात की जाए तो 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 33% से अधिक वोट प्राप्त हुए हैं. वहीं कांग्रेस को भी बड़ी जीत दर्ज की। ऐसे में अब लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने की राह पर है।

ऐसे में अब कांग्रेस ने 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है. अभी कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारिणी के अलावा जिला, शहर और ब्लाक स्तर के कमेटियों का गठन होने वाला है. कांग्रेस की नई रणनीति में बीएसपी भी टारगेट पर होगी. इसका संदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के रायबरेली में दिए गए बयान से दिख रहा है. यहां राहुल गांधी ने संगठन को हर स्तर पर सक्रिय करने का संदेश दे दिया है. वहीं सामने आई खबरों के मुताबिक इस बार प्रदेश कार्यकारिणी में 200 से अधिक पदाधिकारी होंगे। इनमें लगभग 20 उपाध्यक्ष, 40 महासचिव व 140 से अधिक सचिव होंगे। पार्टी महासचिव व सचिव को जिलों के बजाए विधानसभा वार जिम्मेदारी देने की तैयारी है। जिससे वह बूथ स्तर तक अपनी गतिविधियों को बढ़ा सके। अब इस बार के चुनाव में किस दल को कितना फायदा होगा ये तो खैर आने वाला समय ही तय करेगा लेकिन अभी की बात की जाए तो जिस तरह से कांग्रेस पार्टी चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है इससे यह बात तो तय है कि भाजपा के लिए चुनाव जीतने की राहें आसान नहीं होंगी।

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