लोहिया संस्थान: गरीबों की सहायता पर ताला
पिछले छह माह से किसी को भी नहीं मिली मदद
- कोष से जरूरतमंद मरीजों को 25 हजार रुपये तक की मिलती थी मदद
- जरूरतमंद मरीज हो रहे हैं परेशान
- 2016 में की गई थी सहायता कोष की स्थापना
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुविज्ञान संस्थान में आर्थिक रूप से मरीजों के सहायता कोष पर ताला लग गया है। कोष से जरूरतमंद मरीजों को इलाज के लिए 25 हजार रुपये तक की मदद मुहैया करवाई जाती थी। आलम यह है कि पिछले छह माह से किसी भी मरीज को मदद नहीं मिली है। ऐसे में किसी सरकारी योजना के दायरे में न आने वाले जरूरतमंद मरीज परेशान हो रहे हैं।
लोहिया संस्थान में साल 2016 में सहायता कोष की स्थापना की गई थी। संस्थान ने 2 करोड़ रुपये कॉर्पस फंड के तौर पर जमा करवाए थे। इससे मिलने वाले ब्याज से जरूरतमंदों की मदद की जाती थी। व्यवस्था के तहत विभागाध्यक्ष की तरफ से संस्थान प्रशासन को प्रस्ताव भेजा जाता है और अनुमति के बाद मरीज को मदद मुहैया करवाई जाती है, लेकिन पिछले छह माह से विभागों की तरफ से भेजे जा रहे प्रस्तावों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। संस्थान में किसी सरकारी योजना से लाभान्वित न होने की स्थिति में मरीजों को इलाज का खर्च खुद उठाना पड़ता है। कई बार वेंटिलेटर पर रखे गए गंभीर मरीजों की मौत होने पर बकाया भुगतान के बाद ही परिवारीजनों को शव दिया जाता है। खासतौर पर ऐसे मरीजों की मदद के लिए कोष बनाया गया था।
पहले के भुगतान ही पेंडिंग
लोहिया के सीएमएस डॉ. राजन भटनागर ने बताया कि राहत कोष में चार से पांच महीने पहले फाइल देखी थी। काफी पेंडेंसी मिलने पर अप्रूवल के लिए निदेशक को फाइल भेजी गई थी। इसी के चलते भुगतान रुका हुआ है। साथ ही चिट फंड सोसायइटी में फिर से रजिस्ट्रेशन की भी प्रक्रिया लंबित थी। अब प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ऐसे में निदेशक के स्तर से फाइलों को अप्रूवल मिलते ही मरीजों को सुविधा मिलने लगेगी।
बंद हो चुका है नि:शुल्क इलाज
लोहिया संस्थान के हॉस्पिटल ब्लॉक में पहले नि:शुल्क इलाज की सुविधा था। सुपरस्पेशलिटी के विभागों में ही मरीजों को शुल्क देना पड़ता था। वहीं, अब संस्थान ने हॉस्पिटल ब्लॉक में भी शुल्क लागू कर दिया है। ऐसे में नि:शुल्क इलाज की सुविधा पूरी तरह से बंद हो चुकी है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को भी जांच, दवा, सर्जरी से लेकर भर्ती होने पर बेड तक का चार्ज देना पड़ रहा है।