मोदी राज में रिश्वतखोरी चरम पर, CID क्राइम इंस्पेक्टर 30 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार

मोदी सरकार के शासन में भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं... आरोप है कि बीजेपी राज में रिश्वतखोरी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों हाल ही में गुजरात में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है… जहां सीआईडी क्राइम ब्रांच के एक इंस्पेक्टर.. और एक कांस्टेबल को 30 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया.. यह घटना गांधीनगर के सरगासन इलाके में हुई.. जहां एंटी-करप्शन ब्यूरो की टीम ने दोनों को रंगे हाथों पकड़ा.. वहीं इस मामले ने न सिर्फ पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया है.. बल्कि मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है..

आपको बता दें कि यह मामला गांधीनगर से शुरू होती है.. जहां सीआईडी क्राइम पुलिस स्टेशन में एक कॉल सेंटर से जुड़ा केस दर्ज था.. इस केस में आरोपी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई न करने के बदले… इंस्पेक्टर पीथा पटेल और कांस्टेबल विपुल देसाई ने 30 लाख रुपये की रिश्वत मांगी.. आरोपी ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया.. और सीधे गुजरात एसीबी से शिकायत कर दी.. एसीबी के डिप्टी एसपी जीवी पढ़ेरिया ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद उन्होंने एक ट्रैप प्लान बनाया.. इंस्पेक्टर डीएन पटेल को ट्रैपिंग ऑफिसर बनाया गया..

जानकारी के मुताबिक रिश्वत की डील गांधीनगर के स्वागत सिटी मॉल के पास ही ऑफिसिस हरि ग्रुप साइट के नजदीक सड़क पर तय हुई.. योजना के मुताबिक, कांस्टेबल विपुल देसाई आरोपी से पैसे लेने पहुंचा.. इंस्पेक्टर पटेल ने फोन पर आरोपी से बात की.. और कांस्टेबल को पैसे लेने का आदेश दिया.. जैसे ही आरोपी ने 30 लाख रुपये दिए.. एसीबी की टीम ने कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया.. उसके बाद इंस्पेक्टर को भी हिरासत में लिया गया.. एसीबी अधिकारियों का कहना है कि दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा.. रिमांड पर लेकर पूछताछ होगी और उनकी संपत्तियों की जांच भी की जाएगी.. वहीं यह घटना गुजरात पुलिस को शर्मसार करने वाली है.. लेकिन साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संदेश भी देती है..

बता दें कि यह मामला अकेला नहीं है.. गुजरात एसीबी ने 2024-2025 में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कार्रवाइयां की हैं.. अप्रैल 2025 में एसीबी ने सरकारी विभागों में रिश्वतखोरी के आंकड़े जारी किए.. जिसमें पुलिस विभाग सबसे ऊपर था.. पुलिस के 135 अधिकारियों ने कुल 98 लाख रुपये की रिश्वत ली थी.. जुलाई 2025 में एक ग्राम सेवक को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया.. और एक सरकारी कर्मचारी को जीपे के जरिए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया.. दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एंटी-करप्शन डे पर कहा कि गुजरात में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है.. और उन्होंने एसीबी अधिकारियों को सम्मानित भी किया.. डिप्टी सीएम हर्ष संघवी ने कहा कि जबरन रिटायरमेंट के मामलों में बढ़ोतरी से भ्रष्टाचार कम हो रहा है..

लेकिन ये कार्रवाइयां सवाल भी उठाती हैं.. क्या ये सिर्फ छोटे स्तर के अधिकारी पकड़े जा रहे हैं.. जबकि बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार जारी है.. गुजरात में होम डिपार्टमेंट से जुड़े 538 शिकायतों में से 44% पुलिस से संबंधित थे.. और 653 कर्मचारी इसमें शामिल थे.. जून 2024 में एसीबी ने खुलासा किया कि कुछ अधिकारी रिश्वत किस्तों में ले रहे हैं.. वहीं ये घटनाएं दिखाती हैं कि भाजपा शासित गुजरात में भ्रष्टाचार अभी भी एक बड़ी समस्या है…

आपको बता दें कि मोदी सरकार 2014 से सत्ता में है.. और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई उनके मुख्य वादों में से एक था.. लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं.. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की करप्शन परसेप्शन इंडेक्स के अनुसार.. 2014 में भारत का स्कोर 38 था.. और रैंक 85 था.. 2024 में स्कोर 38 ही रहा.. लेकिन रैंक गिरकर 96 हो गया.. 2023 में स्कोर 39 था.. लेकिन 2024 में यह 38 पर आ गया.. जो भ्रष्टाचार में थोड़ी बढ़ोतरी दर्शाता है.. सीपीआई 180 देशों को 0 से 100 के स्केल पर रैंक करता है.. जहां 0 का मतलब ज्यादा भ्रष्टाचार.. और 100 का मतलब कम भ्रष्टाचार है.. भारत का स्कोर मध्य स्तर पर अटका हुआ है.. जो मंगोलिया और कोलंबिया जैसे देशों के बराबर है..

कांग्रेस पार्टी की रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि मोदी सरकार के 8 सालों में बैंक फ्रॉड्स 5.35 लाख करोड़ रुपये के हुए.. 2018 की एक सर्वे में 75% लोगों ने कहा कि मोदी सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ा है.. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की 2023 रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में सरकारी भ्रष्टाचार की कई रिपोर्ट्स हैं.. और एनसीआरबी के आंकड़ों से 1062 केस रजिस्टर्ड हुए.. बीटीआई ट्रांसफॉर्मेशन इंडेक्स 2024 में कहा गया कि 2019 के बाद से संसद सदस्यों में 43% पर क्रिमिनल केस हैं.. जो 2009 से 44% बढ़ा है..

भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार चरम पर है.. कर्नाटक में दिसंबर 2025 में उप लोकायुक्त ने कहा कि भ्रष्टाचार बढ़ रहा है… और भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया.. राजस्थान में मोदी ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए.. लेकिन खुद भाजपा पर भी सवाल उठे.. अप्रैल 2024 में रिपोर्ट आई कि 2014 से 25 विपक्षी नेताओं में से 23 को भाजपा जॉइन करने के बाद भ्रष्टाचार के केस से राहत मिली.. जून 2024 में एनईईटी परीक्षा में पेपर लीक का स्कैम हुआ.. जिसमें लाखों छात्र प्रभावित हुए.. अगस्त 2025 में चुनावी विवाद हुआ.. जिसमें ईवीएम फ्रॉड के आरोप लगे..

आपको बता दें कि मोदी सरकार दावा करती है कि उन्होंने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई है.. 2016 में डेमोनेटाइजेशन से काला धन पर हमला किया गया.. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से 2.75 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई.. क्योंकि बीच के दलाल हट गए.. सरकार ने 3 लाख शेल कंपनियों पर कार्रवाई की.. और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट लाया.. ईडी और सीबीआई ने कई बड़े नेताओं पर छापे मारे.. मोदी ने 2024 में कहा कि उन्होंने 2019 का वादा निभाया और भ्रष्टों को जेल भेजा.. प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट से पब्लिक सेक्टर में भ्रष्टाचार पर सजा दी जाती है…

 

 

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