कोर्ट न्याय का मंदिर है, 7 स्टार होटल नहीं

- बॉम्बे हाई कोर्ट की नई इमारत पर सीजेआई गवई बोले- फिजूल खर्ची ठीक नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने मुंबई में बनने वाले नए बॉम्बे उच्च न्यायालय परिसर को फिजूलखर्ची से बचाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह न्याय का मंदिर होना चाहिए, न कि सात सितारा होटल। सीजेआई ने लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप निर्माण करने और वादियों की ज़रूरतों का ध्यान रखने का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनकी महाराष्ट्र की अंतिम यात्रा है। दरअसल, वह बांद्रा (पूर्व) में परिसर की आधारशिला रखने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि नई इमारत किसी शाही ढांचे का चित्रण नहीं होनी चाहिए, बल्कि संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप होनी चाहिए।
सीजेआई ने अपने संबोधन के दौरान सुझाव दिया कि नए परिसर में फिजूलखर्ची नहीं होनी चाहिए और कहा कि न्यायाधीश अब सामंती प्रभु नहीं रहे क्योंकि उनकी नियुक्ति आम नागरिकों की सेवा के लिए होती है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कुछ अखबारों में पढ़ा कि नई इमारत बहुत फिजूलखर्ची वाली है। इसमें दो न्यायाधीशों के लिए लिफ्ट साझा करने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अब सामंती प्रभु नहीं रहे। न्यायाधीश उच्च न्यायालय, निचली अदालत या सर्वोच्च न्यायालय का हो सकता है। गौरतलब है कि 14 मई 2025 को पदभार ग्रहण करने वाले मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 24 नवंबर को शीर्ष न्यायिक पद छोडऩे से पहले यह उनकी महाराष्ट्र की आखिरी यात्रा थी और उन्होंने कहा कि वह अपने गृह राज्य में न्यायिक बुनियादी ढांचे से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि पहले मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने से हिचकिचा रहा था।
वादियों की आवश्यकताओं का भी रखा जाए ध्यान
सीजेआई ने कहा कि न्यायालय भवनों की योजना बनाते समय, हम न्यायाधीशों की ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि हम नागरिकों, यानी वादियों की जरूरतों के लिए मौजूद हैं। सीजेआई ने कहा कि यह भवन न्याय का मंदिर होना चाहिए, न कि सात सितारा होटल।



