नीतीश की पावर छिनते ही लालू के परिवार पर गहराया संकट, NDA में भारी तकरार, स्पीकर पर भयंकर लड़ाई, लॉ आर्डर पर भिड़ी सरकार

बिहार विधानसभा के रिजल्ट के बाद सीएम पद और मंत्रियों के बंटवारे में जिस तरह से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी लगातार पिछड़ती हुई दिख रही है, ऐसे में हर ओर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद नीतीश कुमार इस बार कम ताकत वाले सीएम साबित होंगे।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार में गृह मंत्रालया छिनने के बाद जहां एक ओर नीतीश कुमार और उनकी पूरी टीम एक्शन में है, और पूरी ताकत के साथ विधान सभा अध्यक्ष यानि कि स्पीकर की कुर्सी पर कब्जा करना चाहती है लेकिन बीजेपी किसी भी कीमत पर स्पीकर पर समझौता करने को तैयार नहीं है।

जिससे एनडीए में भयंकर रार-तकरार का दौर शुरु हो गया है तो तो वहीं दूसरी बिग ब्रेकिंग सामने आई है कि नीतीश के कमजोर होते ही लालू का आवास छीनने में बीजेपी कामयाब हो गई है। इसके पीछे लंबा गेम बताया जा रहा है । कैसे लालू यादव का आवास छीन लिया गया है और कैसे गृह मंत्रालय के बाद स्पीकर की लड़ाई तेज हो गई, और कहां से जदयू के 11 विधायकों का मुद्दा एक बार फिर गरमाया है। ये सबकुछ हम आपको अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताएंगे।

दोस्तों, बिहार विधानसभा के रिजल्ट के बाद सीएम पद और मंत्रियों के बंटवारे में जिस तरह से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी लगातार पिछड़ती हुई दिख रही है, ऐसे में हर ओर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद नीतीश कुमार इस बार कम ताकत वाले सीएम साबित होंगे। इसकी एक बड़ी नजीर नीतीश कुमार का गृह मंत्रालय छीना जाना भी है। क्योंकि अब तक देश में आमतौर से यह परंपरा रही है कि सीएम के पास ही गृह मंत्रालय होता है और खुद नीतीश जब पिछले 20 साल से सीएम रहे तो उनके पास गृह विभाग रहा है लेकिन इस बार पीएम साहब के चाणक्य जी ने नीतीश कुमार को किनारे लगा।

आपको बता दें कि पहले दावा किया जा रहा था कि यह मंत्रिमंडल के बंटवारे में तय हुआ था लेकिन अब जब स्पीकर के पद को लेकर पेंच फंस गया है तो नई थ्योरी सामने आ गई। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को गृह विभाग छोड़ने का कोई दबाव नहीं था, नीतीश कुमार ने अपनी इच्छा से सीएम का पद दिया है क्योंकि सम्राट चौधरी नीतीश कुमार के बहुत करीबी है , खुद सम्राट ने नीतीश कुमार को मनाया और उसने गृह विभाग ले लिया जबकि जो एनडीए को बहुमत मिला था तो दोनों पार्टियों यानी कि बीजेपी और जदयू ने आपस में बैठकर ये तय किया था कि स्पीकर का पद बीजेपी के पास होगा लेकिन अब गृह मंत्रालया वाला गेम समझने के बाद नीतीश कुमार किसी भी कीमत पर स्पीकर का पद छोड़ने को तैयार नही है।

खबर की हेडलाइन से ही साफ है कि नीतीश कुमार किसी भी कीमत पर इस बार विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी देने को तैयार नहीं है। इसको लेकर भयंकर रार एनडीए के अंदर चल रही है। वैसे अंदरखाने से जो खबर सामने आई है कि बीजेपी का दावा है कि सरकार के गठन के पहले से ही स्पीकर पर बातचीत फाइनल हो चुकी है और प्रेम कुमार ही स्पीकर होंगे लेकिन जदयू और नीतीश कुमार जिस तरह से अड़े हैं उससे एक बात साफ है कि बड़ा खेल शुरु हो सकता है। हालांकि पीएम साहब के चाणक्य जी ने एक बार फिर सम्राट चौधरी को एक्टिव किया है कि वो स्पीकर के पद पर नीतीश कुमार से अपनी बात मनावा लें लेकिन दूसरी ओर नीतीश कुमार और उनकी पूरी लॉबी किसी भी कीमत पर स्पीकर के पद पर अब समझौता करने को तैयार नहीं है।

वैसे भी नीतीश कुमार का इतिहास रहा है कि जब भी वो ताकत में रहेे हैं, हमेशा से विधानसभा अध्यक्ष पर उनका कब्जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी आग्रही रही हैं। विपरीत परिस्थिति में भले उन्होंने समझौता किया। वर्ष 2005 में जब स्पष्ट बहुमत मिली तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उदय नारायण चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया। ये 2005 से ले कर 2015 तक रहे। वर्ष 2015 में नीतीश कुमार राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़े और जीत मिली। वर्ष 2015 से 2020 तक विजय चौधरी विधानसभा अध्यक्ष रहे। वर्ष 2020 में एनडीए की सरकार वापस आई तो जनता दल यू को मात्र 43 सीटें आई। बीजेपी के पास 74 विधायक। बीजेपी ने खास रणनीति के तहत विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया।

वर्ष 2022 में नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन की सरकार बनाई तो राजद ने भी बीजेपी का फार्मूला रख। वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में राजद सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी बनकर उभरी थी। राजद के प्रस्ताव को नीतीश कुमार मान गए और अवध बिहारी चौधरी विधानसभा अध्यक्ष बने। 2024 में नीतीश कुमार फिर एन डी ए के साथ आए तो 43 विधायकों वाली मजबूरी थी तो बीजेपी ने नंद किशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाया। वर्ष 2025 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कम विधायकों के कारण लाचार नहीं हैं। इस बार उनके भी 85 विधायक हैं। मामला लगभग बराबरी का है। गृह और विधानपरिषद के सभापति और उप मुख्यमंत्री के दोनों पद भाजपा के खाते में जाने का बाद आदर्श स्थिति तो विधानसभा अध्यक्ष पद जदयू को जाना चाहिए।

ऐसे में साफ है कि सिर फुटव्वल तय है। लेकिन नीतीश कुमार इससे भी बड़ी तैयारी में लगे हैं। कहा जा रहा है कि इस ऑपरेशन लोटस बीजेपी का नहीं बल्कि जयदू का होगा। वो किसी भी तरीके से करें लेकिन नीतीश इस बार ये बड़ा काम कर सकते हैं क्योंकि उनको हर हाल में बीजपी से बड़ी पार्टी बनना है और ऐसे में एमआईआईएम के पांच और कांग्रेस के 6 विधायक नीतीश कुमार की नजर में है। वैसे तो एआईएमआईआईएम के चीफ असदु्द्ीन ओवैसी पहले ही एनडीए में जाने की बात कह चुके हैं तो कांग्रेस पार्टी के विधायक नीतीश कुमार के लिए बड़ा चैलेंज हैं। हालांकि ये तय है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि उनका कुनबा बढ़े। खबर देखिए, ये खबर साफ-साफ कह रही है कि नीतीश हर हाल में नंबर वन बनना चाहते है..

दोस्तों खबर की हेडलाइन से ही साफ है कि नीतीश अपना कुनबा बढ़ाना चाहते हैं ताकि वो बीजेपी से बड़ी पार्टी बन जाए और इसके पीछे वजह सिर्फ और सिर्फ यही बताई जा रही है कि एनडीए के अंदरखाने में जो सबसे बड़ी पार्टी के नाम पर चाणक्य जी बिहार में जो खेल कर रहे हैं उससे नीतीश किसी भी तरह मुक्ति पाना चाहते हैं। हालांकि अभी फिलहाल ये संभव होता नहीं दिख रही है लेकिन ये काम अकेले जदयू नहीं कर रही है बल्कि बीजेपी ने इस पर काम भी शुरु कर दिया है और सबसे पहले लालू या तेजस्वी के आवास को ही छीन लिया है। जी हां … सही सुना अपने की लालू के आवास को छीन लिया गया है और दावा किया जा रहा है कि नीतीश और लालू का घर जो अगल बगल था उसको दूर किया जा सके।

आपको बता दें कि जैसे ही बीजपी सरकार में हावी हुई और इसका सबसे बड़ा सबूत भी यही है कि बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हार्डिंग रोड में नया आवास आवंटित करने का आदेश इस तरह जारी किया है जैसे यह सामान्य बात हो, लेकिन इसमें एक राजनीतिक चालाकी की बात कही जा रही है। वह चालाकी यह है कि सरकारी पत्र में उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवास देने की बात नहीं लिखी गई है बल्कि उन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मकान आवंटित करने की बात लिखी गई है। पिछले 20 वर्षों से वह 10 सर्कुलर रोड में रह रही थीं और अब उन्हें 39 हार्डिंग रोड का क्वार्टर दिया गया है। सर्कुलर रोड वाले मकान की सुविधाओं के अलावा सबसे अहम बात यह है कि मुख्यमंत्री आवास वहां से बिल्कुल नजदीक है।

आपको बता दें कि ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि बीजेपी ने यह सबकुछ जानबूझ कर किया है और ये इस बात का सबूत भी है कि अब नीतीश कुमार सिर्फ दिखाने वाले सीएम हैं क्योंकि अगर इसपर कोई फैसला लेना होता तो नीतीश पिछले 20 साल से सीएम हैं और ये फैसला वो बहुत पहले ले चुके होते और नीतीश कुमार ही वो सीएम है जिन्होंने सीएम रहते लालू को ये आवास एक नियम में संशोधन करके दिलाया था लेकिन क्योंकि इस बार नीतीश कुमार कमजोर हैं तो और सरकार में बीजेपी हावी है तो यह सबकुछ होना है और ये बात भी पूरे मामले में साफ है कि नीतीश और बीजेपी के बीच भयंकर उठापटक चल रही है। ऐसे में स्पीकर के पद पर क्या होगा। प्रेम कुमार ही दो दिसंबर को निर्वाचित होंगे या फिर कोई और खेल होगा, ये सबसे अहम है।

क्योंकि दो दिसंबर को स्पीकर का निर्वाचन होना है और अगर सहमति नहीं बनी तो दो दिसंबर को भयंकर टकराव हो सकता है। पूरे मामले में आपकी क्या राय है। क्या लालू प्रसाद का आवास छीना जाना इस बात का सबूत नहीं है कि एनडीए में नीतीश कमजोर हो चुके हैं। नीतीश कुमार जिस तरह से गृह मंत्रालय छिनने के बाद स्पीकर पर अपना दावा ठीक रहे हैं, क्या वो स्पीकर का पद ले पाने में कामयाब होंगे। क्या नीतीश कुमार नंबर पार्टी बन बीजेपी को पीछे करना चाहते हैं।

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