सनातनी जूता, टारगेट पर दलित!

  • जस्टिस गवई के साथ हुए दुव्र्यवहवार पर वकीलों का प्रर्दशन
  • स्वामी प्रसाद मौर्या, रामजी लाल सुमन समेत तमाम पिछड़े नेताओं पर हो चुका है अटैक
  • बोला विपक्ष कुछ लोगों दलित का बेटा बर्दाश्त नहीं
  • पीएम समेत सभी नेताओं ने की घटना की निंदा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारत के इतिहास में एक और काला दिन दर्ज हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के भीतर जब देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई एक केस की सुनवाई कर रहे थे। ठीक उसी समय एक व्यक्ति जो वकील की पोशाक में था ने उन पर जूता फेंकने की कोशिश की और सनातन जिंदाबाद का नारा लगाया। घटना अदालत की दीवारों के भीतर हुई लेकिन उसकी गूंज संविधान की आत्मा तक पहुंची है।
यह जूता अदालत की गरिमा पर नहीं बल्कि उस व्यवस्था पर पड़ा है जिसने हर सवाल करने वाले को या तो राष्ट्रद्रोही बना दिया या अपराधी। जूता, स्याही या फिर हिंसा यह पहली बार नहीं हो रही। हाल के वर्षों में यह ट्रेंड बनता जा रहा है। इस घटना से पहले दर्जनों ऐसी घटनाएं घटित हुई जिनमें असहमति के नाम पर स्याही और जूता फेंका गया है। स्वामी प्रसाद मौर्या हो या फिर रामजी लाल सुमन सरीखे नेता इन लोगों को भी टारगेट किया जा चुका है। टारगेट लोगों की फेहरिस्त में जस्टिस गवई ताजा व्यक्ति हैं जिन्हें असहमति के आधार पर निशाना बनाया गया है।

घटना के विरोध में वकीलों का हंगामा

चीफ जस्टिस आफ इंडिया बीआर गवई के खिलाफ सनातन के नाम पर एक वकील द्वारा दुव्र्यवहार किये जाने की कोशिश ने बड़ा राजनीतिक शोर बरापा कर दिया है। आज सुबह से ही दिल्ली समेत देश के अलग—अलग हिस्सों में वकीलों ने घटना का विरोध प्रदर्शन किया। वकीलों का कहना है कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्तिपर नहीं है बल्कि भारत की न्याय व्यवस्था की नींव को हिलाने की साजिश है। यह संविधान के खिलाफ सीधा हमला है। प्रदर्शन कर रहे वकीलों के मुताबिक यह देश भारत के संविधान से चलेगा न कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों से। घटना की निंदा पीएम मोदी और विपक्ष के तमाम नेताओं ने कि है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी हो फिर इमरान मसूद सभी ने एक स्वर में कहा है कुछ लोगों को दलित का बेटा बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

यह न्यायालय की गरिमा का अपमान है : कपिल सिब्बल

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी इस हमले की कोशिश की कड़ी निंदा की है। उन्होंने अपने एकस सुप्रीम कोर्ट बार के एक सदस्य के असभ्य व्यवहार की सभी को सार्वजनिक रूप से निंदा करनी चाहिए क्योंकि यह न्यायालय की गरिमा का अपमान है। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और कानून मंत्री की चुप्पी कम से कम आश्चर्यजनक तो है ही।

हाल की कुछ घटनाएं

यूपी सरकार में पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर स्वामी प्रसाद मौर्या पर लखनऊ में एक पार्टी इवेंट के दौरान जूता फेंका गया था। जिसने जूता फेंका था उसका नाम आकाश था और वह भी वकील की ड्रेंस में आया था। घटना के पीछे उनकी कथित टिप्पणियों से नाराजगी बताई गयी थी। स्वामी प्रसाद अक्सर रामचरित्रमानस के कुछ हिस्सों को आलोचना करते थे। सपा नेता रामजी लाल सुमन के घर पर भी अभी हाल ही में करणी सेना के लोगों ने हमला कर दिया था। यही नहीं उनके उपर उस समय टायर फेंका गया जब वह कहीं जा रहे थे। हमले में वह बाल—बाल बचे थे। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक दलित अभियंता लाल सिंह को कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ता द्वारा जूते से मारपीट की गई थी। यूपी के कौशांबी में एक 65-वर्षीय दलित व्यक्ति का गांव में स्याही से मुह काला करने के बाद जूते की माला पहनाकर घुमाया गया था।

जूता फेंकने की घटना संविधान पर आघात : सोनिया गांधी

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई घटना की निंदा की है, जिसमें एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंककर हमला करने की कोशिश की। सोनिया गांधी के बयान में कहा गया भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश पर सर्वोच्च न्यायालय में हुए हमले की निंदा करने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है। यह न केवल उन पर, बल्कि हमारे संविधान पर भी हमला है। मुख्य न्यायाधीश गवई बहुत दयालु रहे हैं लेकिन पूरे देश को गहरी पीड़ा और आक्रोश के साथ उनके साथ एकजुटता से खड़ा होना चाहिए।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी की कड़ी निंदा

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी इसकी कड़ी निंदा की है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर हमले की कोशिश अत्यंत शर्मनाक, दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। यह सिर्फ देश के मुख्य न्यायाधीश पर नहीं, बल्कि हमारे संविधान, संपूर्ण न्याय व्यवस्था और कानून के शासन पर हमला है। माननीय मुख्य न्यायाधीश ने अपनी मेहनत, लगन और योग्यता के दम पर समाज के सारे बंधनों को तोड़कर सर्वोच्च न्यायिक पद हासिल किया है। उनपर इस तरह का हमला न्यायपालिका और लोकतंत्र – दोनों के लिए घातक है। इसकी जितनी निंदा की जाए, कम है।

कुछ लोगों के हाथ में जाकर तो जूता भी अपमानित महसूस करता है : अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि कुछ लोगों के हाथ में जाकर तो जूता भी अपमानित महसूस करता है। पीडीए समाज का अपमान करनेवाले ऐसे असभ्य लोग दरअसल अपने दंभ और अहंकार के मारे होते हैं। इनकी प्रभुत्ववादी सोच नफरत को जन्म देती है, जो देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए जितनी होती है, उतनी ही समाज के सबसे कमजोर अंतिम व्यक्ति के लिए भी। ऐसे लोग वर्चस्ववाद की बीमारी से घोर ग्रसित होते हैं। हम इसलिए कहते हैं, पीडीए का मतलब है ‘पीडि़त, दुखी, अपमानितÓ। पीडीए समाज की उदारता और भलमनसाहत 5000 सालों से ऐसे लोगों को माफ करती आई है, लेकिन इस हद तक अपमान के बाद पीडीए समाज अब और नहीं सहेगा। भाजपा और उसके संगी-साथी अपनी सत्ता के अंतिम दौर में हैं , क्योंकि उनकी भ्रष्ट चुनावी साजिश का भंडाफोड़ हो चुका है, वो अब कभी नहीं जीतेंगे। इसीलिए हताश होकर वो ऐसे कुकृत्य कर रहे हैं। भाजपाई इस बार जाएंगे तो फिर कभी नहीं आएंगे क्योंकि जब आबादी का 90 प्रतिशत हिस्सा अपने हक-अधिकार के लिए जाग गया है तो 10 प्रतिशत का गुरूर और सिंहासन अब और नहीं टिकेगा।

मुख्यमंत्रियों ने की निंदा

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई पर हमले की निंदा की। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई पर हुए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। इस तरह की हरकतें अस्वीकार्य हैं और एक सभ्य एवं लोकतांत्रिक समाज में इनका कोई स्थान नहीं है। हमारी न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखना हमारे लोकतंत्र के कामकाज का मूल आधार है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने भी हमले की निंदा की। सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा, देश के न्यायिक स्तंभ के सर्वोच्च पदाधिकारी पर हमला करने और उन्हें धमकाने के इस कायराना प्रयास की निंदा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। यह हमारे देश के इतिहास का एक काला दिन है। मैं सभी नागरिकों के साथ हमारे निडर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के प्रति एकजुटता व्यक्त करता हूं, जिन्होंने बहादुरी से घोषणा की कि वे ऐसे कायराना हमलों से न तो डरेंगे और न ही झुकेंगे।

देश के इतिहास में इस घटना को काले दिन के तौर पर लिखा जाएगा। एक दलित का बेटा सीजेआई बना है ये इन्हें पसंद नहीं हो रहा है। दलित और मुसलमान होना गाली होना जैसे हो गया है। ये लोग देश को पाषाण युग में ले जाना चाहते हैं। देश संविधान से चलेगा संविधान के अंदर सब के अधिकार सुरक्षित हैं। केवल आपका ही अधिकार नहीं है। आप सब को अपमानित क्यों कर रहे हो। सनातन तो प्रेम का धर्म है आप तो नफरत ही नफरत फैला रहे हैं।
इमरान मसूद, कांग्रेस सांसद

ऐसे आचरण से हर भारतीय आहत है। देश के मुख्य न्यायाधीश के साथ जिस प्रकार का व्यवहार करने का प्रयास किया गया, उसकी भारतीय जनता पार्टी निंदा करती है। इस प्रकार का आचरण हर भारतीय को आहत करता है। भाजपा की नजर में इस तरह की घटना बेहद निंदनीय है। यह न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि हर भारतीय को आहत करती है, क्योंकि इस तरह का व्यवहार भारत की सामाजिक परंपरा, संवैधानिक गरिमा और सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप नहीं है। संविधान की मर्यादा का पालन करना हर भारतीय का अनिवार्य कर्तव्य है।
सुधांशु त्रिवेदी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा

सनातन का अपमान नहीं सहेंगे कहते हुए राकेश किशोर नाम के वकील ने इस देश के सुप्रीम कोर्ट के मुख्यन्यायाधीश बीआर गवई पर बीच अदालत में जूता निकाल कर मारने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने समय रहते उस आदमी को कोर्ट रूम से बाहर निकाल दिया। यह धर्म के स्वयंभू ठेकेदार नहीं – जोम्बीज हैं। इस कगार पर मेरे देश को लाने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक आदमी जिम्मेदार हैं – नरेंद्र मोदी। सोचिए यह सब इस देश की सबसे ऊंची अदालत में सबसे वरिष्ठ जज के साथ हो रहा है – यह धर्मांधता नहीं पागलपन है। न्याय की सबसे ऊंची संस्था में यह होना बिल्कुल गलत है।
सुप्रिया श्रीनेत, कांग्रेस नेता

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