जोशीमठ पर गहराया अंधेरे का संकट
जोशीमठ। उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव का असर बिजली के खंबों और ट्रांसफार्मर में भी दिखने लगा है। शहर में बिजली के करीब 70 खंबों और 10 से ज्यादा ट्रांसफार्मर भू-धंसाव से झुक चुके हैं। वहीं, 33/11 केवी क्षमता के एक पावर सब स्टेशन के भी किसी भी क्षण बैठ जाने का खतरा है, क्योंकि वह पानी के रिसाव वाली जगह से 50 मीटर ही दूर है। इन हालात में लोगों को डर है कि किसी भी समय बिजली सप्लाई बाधित हो सकती है और शहर अंधेरे में डूब सकता है। जोशीमठ के हालात पाकिस्तान जैसे बनते दिख रहे हैं। पाकिस्तान इस समय पावर आउटेज के संकट से जूझ रहा है। आर्थिक मंदी की चपेट में आए पाकिस्तान जैसी स्थिति जोशीमठ की स्थिति जमीन धंसान के संकट के कारण हो रही है।
जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते जो खंबे और ट्रांसफार्मर झुक गए हैं, उनसे आपदा प्रभावित घरों में शॉर्ट सर्किट का खतरा बना हुआ है। इसी आशंका के कारण प्रभावित इलाकों में पावर सप्लाई की निगरानी के लिए कर्मचारियों को लगातार भेजा जा रहा है। जिन घरों से लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, उनके घरों की बिजली सप्लाई काट दी गई है। जो अब भी घरों में हैं, उनके घरों में बिजली की सप्लाई जारी है।
उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी ने बिजली विभाग के अफसरों से अपने साजोसामान के लिए नई जगह का विकल्प तलाशने को कहा था। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि नए प्लान के तहत विभाग ने जोशीमठ के पीपलकोटी क्षेत्र के सेलंग गांव में जमीन खोज कर नया सेटअप लगाने की तैयारी कर ली है। नई जगह पर सब स्टेशन ले जाने में 10 करोड़ रुपये का खर्च आने के आसार हैं।
उत्तराखंड प्रशासन ने घरों के बाद अब भू-धंसाव के चलते दरार वाली दुकानों की पहचान कर उन्हें खाली करने का आदेश दिया है। पहले चरण में छह ऐसी दुकानें चिह्नित हुई हैं, जिनमें दरारें आ गई थीं। उधर, बदरीनाथ हाइवे पर आ रही दरारों को मिट्टी भरकर चलने लायक बनाया जा रहा है। बदरीनाथ हाइवे पर स्टेट बैंक की जिस ब्रांच के सामने भू-धंसाव हुआ था, उस ब्रांच के अहम दस्तावेजों को गोपेश्वर शिफ्ट किया गया है। बैंक कर्मचारी अभी जोशीमठ में ही काम कर रहे हैं।
साल 1970 से पहले जोशीमठ में 100 से ज्यादा जलकुंड होने की बात सामने आने पर इसकी पुष्टि के लिए सर्वे ऑफ इंडिया से पुराना मैप मंगाया गया है। उत्तराखंड सरकार ने भले अधिकांश प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का दावा किया है, लेकिन उनको दिए जाने वाले मुआवजे पर सरकार अभी दुविधा में ही है।