दिल्ली HC ने PFI के सदस्य को दी पैरोल, कहा- जीवन के अधिकार में धार्मिक और व्यक्तिगत कर्तव्यों के पालन का हक भी शामिल

कोर्ट ने कहा कि धार्मिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के कर्तव्यों के पालन करने का अधिकार जीवन के अधिकार में शामिल है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दिल्ली हाई कोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य को पैरोल दी. कोर्ट ने इस मामले में आरोपी के जीवन के अधिकार को वरीयता दी. कोर्ट ने कहा कि धार्मिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के कर्तव्यों के पालन करने का अधिकार जीवन के अधिकार में शामिल है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने जीवन के अधिकार के दायरे को समझते हुए एक मामले में फैसला सुनाया. कोर्ट ने एक ऐसे शख्स को पैरोल पर भेजने की इजाजत दी, जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का सदस्य है. आरोपी शख्स आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसे वित्तपोषण के आरोप में अरेस्ट किया गया था. कोर्ट ने आरोपी शख्स को अपनी दिवंगत सास के लिए आयोजित फातिहा समारोह (धार्मिक प्रार्थना) में शामिल होने के लिए पैरोल पर छोड़ा.

कोर्ट ने इस फैसले के जरिए ये स्पष्ट किया कि जीवन के अधिकार में धार्मिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के कर्तव्यों के पालन करने का अधिकार भी शामिल है. ऐसे में इससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने आरोपी की भावनाओं का सम्मान करते हुए अधिकारों की रक्षा के लिए उसके पक्ष में फैसला सुनाया.

न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने हाल ही में आरोपी शाहिद नासिर की याचिका को मंजूर किया. न्यायमू्र्ति ने कहा कि यह कानून का एक अच्छी तरह से स्थापित सिद्धांत है कि एक कैदी, चाहे वह दोषी हो या विचाराधीन हो, संविधान में दिए गए अपने मूल अधिकारों (जैसे सम्मान, सुरक्षा) का लाभ ले सकता है. हालांकि, ये अधिकार जेल में वैध हिरासत की सीमाओं तक ही लागू होते हैं.

आरोपी ने फातिहा समारोह में भाग लेने के लिए तीन दिनों के लिए हिरासत पैरोल की मांग की थी. नासिर ने अपने परिवार के साथ एक सप्ताह बिताने के लिए जमानत पर रिहाई की मांग की. जिस पर सेशंस कोर्ट ने इस आधार पर उसकी याचिका खारिज कर दी. इस पर कैदी ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उसकी सास की मृत्यु लगभग दो साल पहले हो गई थी. इस तरह की अनुमति के लिए कोई पूर्व अनुरोध नहीं किया गया था. फातिहा समारोह करने के लिए उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति बहुत जरूरी थी.

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