मानसूनी बारिश में बढ़ी दिल्ली की सियासी तपिश
- एनसीपी में मचे कोहराम के बाद पवार राजधानी पहुंचे
- विपक्षी सदस्यों ने संसद पैनल की बैठक से किया वॉकआउट
- राजस्थान विस चुनाव पर कांग्रेस में माथा-पच्ची
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बारिश से तरबतर हो रही राजधानी दिल्ली में सियासत की तपिश बनी हुई है। जहां महाराष्ट्र में मची उथल-पुथल के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार अपनी पुत्री के साथ वहां पहुंच गए है। वह पार्टी की बैठक करेंगे उसके बाद पार्टी पर दावे के बाबत चुनाव आयोग से भी मिलेेंगे। वहीं राजस्थान चुनाव को लेकर कांग्रेस एक बैठक कर रही है जिसमें वह अगले चुनाव पर चर्चा करेगी। उधर आगामी आने वाले मानसून सत्र को लेकर होने वाली सर्वदलीय बैैठक पर विपक्ष व सत्ता पक्ष में मुद्दों को लेकर मतभेद हो गया है इसका वाकआउट करने का कांग्रेस व टीमएसी ने फैसला किया है। राष्टïवादी कांग्रेस पार्टी, के संस्थापक शरद पवार और उनके बागी भतीजे अजित पवार की ओर से बुलाई गई दो बड़ी-बड़ी बैठकों के बाद पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न की लड़ाई अब चुनाव आयोग की चौखट पर पहुंच गई है। अजित पवार खेमे ने चुनाव आयोग से संपर्क कर दावा किया है कि पार्टी के अधिकतर विधायकों का समर्थन उन्हें ही हासिल है। अजित पवार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं।
मंत्रिपद के लिए शिंदे गुट के विधायक आपस में भिड़े
मंत्री पद को लेकर दो विधायक आपस में भिड़ गए हैं। ऐसे में यह बात सामने आई है कि एकनाथ शिंदे को अपना गढ़चिरौली दौरा रद्द करना पड़ा है। शिवसेना के मंत्रियों का एक समूह और विधायकों का एक समूह मंत्री पद को आमने-सामने था। बताया जा रहा है कि मंगलवार को दो विधायक आपस में भिड़ गये। एकनाथ शिंदे को 8 जुलाई को गढ़चिरौली का दौरा करना था। गढ़चिरौली में शासन आपके दरवाजे पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। हालांकि, इस विवाद की वजह से मुख्यमंत्री ने अचानक यह दौरा रद्द कर दिया। कहा जा रहा है कि मौजूदा राजनीतिक हालात के चलते शिंदे ने कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, विधायक गठबंधन पर आपत्ति जता रहे हैं, और उनका कहना था कि शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे कभी राष्टï्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ नहीं जुड़ते।
कानूनी सलाह के बाद तोड़ी पार्टी : भुजबल
अजित पवार गुट ने अचानक एनसीपी तोडऩे का फैसला नहीं किया बल्कि सोच समझकर और पूरी तैयारी से ऐसा किया गया है। उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले अजित पवार और उनके सहयोगियों से कानूनी विशेषज्ञों से सलाह भी थी ताकि अयोग्य ठहराए जाने से बच सकें। अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल ने यह जानकारी दी है। साथ ही पार्टी के संविधान और मतदान नियमों का भी पालन किया गया है।
शरद पवार की तस्वीरों के इस्तेमाल पर फैसला अजित करेंगे
छगन भुजबल ने ये भी कहा कि पार्टी के पोस्टर्स में शरद पवार की तस्वीर इस्तेमाल करनी है या नहीं, इसका फैसला अजित पवार और अन्य नेता करेंगे। एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा था कि उनकी तस्वीर का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बाद ही होना चाहिए और सिर्फ उन्हीं लोगों द्वारा उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो उनकी विचारधारा को मानते हैं। एनसीपी (अजित गुट) के नेता छगन भुजबल ने दावा किया कि 42-43 विधायकों ने अजित पवार के समर्थन में हलफनामे पर हस्ताक्षर किए हैं। छगन भुजबल ने अजित पवार के पार्टी तोडऩे की वजह का भी खुलासा किया। भुजबल ने कहा कि हमने शरद पवार को पहले ही सलाह दी थी कि उन्हें अपनी बेटी (सुप्रिया सुले) को पार्टी का अध्यक्ष बनाना चाहिए और अजित पवार को महाराष्ट्र का नेतृत्व सौंपा जाना चाहिए।
मणिपुर पर चर्चा की मांग खारिज होने पर विपक्ष का वॉकआउट
- सर्वदलीय बैठक 19 को
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है। संसद का सत्र सही तरीके से चल सके इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से 19 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। वहीं, मणिपुर पर चर्चा की मांग खारिज होने के बाद विपक्षी सदस्यों ने संसद पैनल की बैठक से वॉकआउट कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करने की उनकी मांग को पैनल प्रमुख द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद गुरुवार को बैठक से वॉकआउट करने का फैसला लिया। बताया जा रहा है कि राज्यों में जेल सुधारों पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी।
टीएमसी व कांग्रेस ने लिखा पत्र
इस दौरान, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और प्रदीप भट्टाचार्य ने पैनल के अध्यक्ष बृजलाल को पत्र सौंपकर कहा कि समिति के सदस्य के रूप में मणिपुर की स्थिति को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इससे पहले भी ओ ब्रायन और दिग्विजय सिंह ने बृजलाल को पत्र लिखकर मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाने का आग्रह किया था। अध्यक्ष ने दोनों सांसदों को मणिपुर की स्थिति पर तत्काल बैठक आयोजित करने में असमर्थता जताई थी। उन्होंने कहा था कि जुलाई में जेल सुधार पर तीन बैठकें निर्धारित की गई हैं। इसलिए तुरंत मणिपुर की स्थिति पर बैठक नहीं की जा सकती है। वहीं, गुरुवार को हुई संसद पैनल की बैठक में अध्यक्ष समेत कुल सात सदस्य शामिल हुए।
अध्यादेश की लड़ाई ‘सुप्रीम’ चौखट पर आई
- अध्यादेश के खिलाफ राज्य की याचिका पर सोमवार को होगी सुनवाई
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र सरकार के अध्यादेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार,10 जुलाई को सुनवाई करेगा। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को चीफ जस्टिस के सामने जल्द सुनवाई की बात कही गई है, जिस पर उन्होंने सोमवार को सुनवाई की बात कही। दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर केंद्र और राज्य के बीच चल रही खींचतान पर पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत दिल्ली सरकार के तमाम अधिकारों पर मुहर लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई जिसमें एक बार फिर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के ऊपर कर दिया गया। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार विरोध कर रही है। अरविंद केजरीवाल देश भर में घूम-घूमकर अध्यादेश के विरोध में विपक्षी नेताओं के समर्थन मांग रहे हैं, उन्होंने कांग्रेस से भी अध्यादेश का विरोध करने को कहा है। मानसून सत्र में अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी विरोध की तैयारी कर रही है।
सिसोदिया कोर्ट में पेश, चार्जशीट से जुड़े दस्तावेज पर हुई सुनवाई
दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को कोर्ट में पेश किया गया। इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि क्या सभी आरोपियों को चार्जशीट से जुड़े दस्तावेज दे दिए गए हैं? इस पर सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि सभी आरोपियों को चार्जशीट से जुड़ेे दस्तावेज दे दिए गए हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को सुबह 10:30 बजे होगी। आबकारी नीति से जड़े भ्रष्टाचार के मामले में सिसोदिया समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आबकारी नीति मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई को सप्लीमेंट्री चार्जशीट से जुड़े दस्तावेज भी आरोपियों को देने का निर्देश दिया। अब अगली सुनवाई में कोर्ट दोनों तरफ की दलीलों को सुनेगा। वहीं सिसोदिया ने अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका को दाखिल की है।